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धुंध हठीली

अशोक बाबू माहौर
कदमन का पुरा मुरैना (म.प्र.)

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धुंध हठीली
इंसान सुस्ता रहा
खामोश मन।

धुआँ शहरी
नखरे अजीब से
झेलता कौन।

कोहरा जमा
छत और दीवाल
दुखिया मन।

सेहत कैसी
मुख बाँधे रुमाल
अजीब पंगा।

हवा भी रूठी
धुंध दिखाये आँखें
ड़रते हम।

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परिचय :- अशोक बाबू माहौर
ग्राम – कदमन का पुरा, जिला – मुरैना (म. प्र.)
प्रकाशन – हिंदी रक्षक डॉट कॉम (hindirakshak.com) सहित देश विदेश की विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – इ-पत्रिका अनहदकृति की तरफ से विशेष मान्यता सम्मान २०१४-१५ से अंलकृति।
नवांकुर साहित्य सम्मान
साहित्य भूषण सम्मान
मातृत्व ममता सम्मान आदि।
प्रकाशित साझा पुस्तक :-
(१) नये पल्लव ३
(२) काव्यांकुर ६
(३) अनकहे एहसास
(४) नये पल्लव ६
(५) काव्य संगम
(६) तिरंगा
मौलिकता – मैं अशोक बाबू माहौर यह घोषणा करता हूँ कविता ”हे औरत” स्वरचित रचना है जिसे मैं हिंदीरक्षक डॉट कॉम में प्रकाशित करने के लिए प्रेषित कर रहा हूँ।

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