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उसकी छवि

अतुल भगत्या तम्बोली
सनावद (मध्य प्रदेश)

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सुबह चाय लेते समय मैंने उससे फोन पर बात करते हुए पूछ लिया। क्या चल रहा है आजकल? उसने दबी हुई आवाज में मुझसे कहा कि जीवन है बस जीये जा रहे है। मैंने उस आवाज को समझ लिया और उससे समस्या जानना चाहा पर वह समस्या बता नही पा रहा था। मुझे जल्द से जल्द तैयार होकर ऑफिस जाना था इसलिए मैंने ज्यादा जोर न देते हुए कुछ समय बात करके फोन काट दिया। मैं व्यस्त हो गया। ऑफिस जाने की जल्दी में मैं अपना मोबाइल जो बार बार बज रहा था। उसे उठा नही पाया। मैंने जब मोबाइल उठाया शायद उस समय काफी देर हो चुकी थी। मैंने जब मोबाइल देखा उसमें रवि के चार मिस्ड कॉल थे। उस नम्बर पर जब कॉल किया तो किसी सज्जन व्यक्ति ने उसका मोबाइल उठाया। मुझे जैसे ही पता चला रवि इस दुनिया में नही रहा। मेरे पैरों तले जमीन सरक गई। मैं अपना काम छोड़ उस जगह पर पहुँचा जहाँ रवि की लाश थी। मैंने वहाँ मौजूद लोगों से जानना चाहा पर कोई भी जवाब देने में सक्षम न था। तभी एक पुलिस वर्दी में व्यक्ति आया मैंने हिम्मत जुटाकर उससे पूछा तो उसने जवाब दिया। किसी लड़की ने उसे धोखा दिया। उस धोखे की वजह से रवि ने आत्महत्या कर ली। उसने मरने से पहले रोहन नाम के व्यक्ति के लिए एक सुसाइड नोट छोड़ा है। जिसमें उसने लिखा है कि उसके मरने के बाद उसकी माँ और छोटे भाई का ध्यान रखना। मैंने उसकी लाश को वचन दिया कि मैं उसकी इच्छा पूरी करूँगा पर बेटे की मौत के सदमें ने उसकी माँ को भी नही बक्शा। उस दिन एक साथ दो लाशों को देख मेरी आँखें अपने अंदर से जैसे सागर बहा रही थी। उस दिन मैंने प्रण लिया कि अपनो से ज्यादा प्रेम व विश्वास किसी पर नही करूँगा। अपने वचन के चलते मैंने अब तक किसी लड़की को अपने जीवन में नही आने दिया ।आज रवि का छोटा भाई एक डॉक्टर है। उसने मुझे सबकुछ मान लिया है। आज उसकी छवि में मुझे अपना दोस्त नज़र आता है।

परिचय :- अतुल भगत्या तम्बोली
निवासी : सनावद, जिला खरगोन (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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