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हमर बाबा धन्य होगे

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
बालोद (छत्तीसगढ़)
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अंजोर के बगरैय्या हमर
भीम बाबा धन्य होगे।
लिखित संविधान के रचैय्या
अम्बेडकर महान होगे।।

सरल अउ सहज
व्यक्तित्व के धनी हाबे जी।
सादा जीवन उच्च
विचार के मणि हाबे जी।।
धरम करम के रद्दा
बतैय्या वो तो पूजनीय होगे ..
अंजोर के बगरैय्या
हमर भीम बाबा धन्य होगे ….

जाति–पाति भेदभाव के
गड्डा ला वो पाटीस हे।
छुआछूत अऊ कुरीति के
जड़ ल घलो वो गाढ़िस हे।।
अइसनहा मानव जन के
जनैय्या महामानव होगे …
अंजोर के बगरैय्या
हमर भीम बाबा धन्य होगे…

संत मनीषी साधू संन्यासी
मन के संग ल धरिस हे।
तीन रतन अउ पञ्चशील के
सन्देश ल गाढ़िस हे।।
आष्टगिंक मारग म चलैय्या
बौद्ध धरम के अनुयायी होगे..
अंजोर के बगरैय्या
हमर भीम बाबा धन्य होगे…

बाबा के मारग ल अपनाही
वोकरे जिनगी सरग बनत हे।
खान-पान, रहन-सहन सुधारही
उंखरे बेड़ापार होवत हे।।
‘श्रवण’ गुरूजी संदेश बतैय्या
मनखे जीवन पवित्र होगे …

सबके मन मंदिर म
दीया जलैय्या बाबा अमर होगे…
अंजोर के बगरैय्या
हमर भीम बाबा धन्य होगे …

शब्दार्थ :-
बगरैय्या = फैलाने वाला,   बतैय्या= बतानेवाला,   जलैय्या= जलानेवाला,   चलैय्या= चलनेवाला,   रचैय्या= रचनेवाला,   रद्दा= रास्ता,   मनखे= आदमी,   मार्ग= मार्ग,   उंखरे/वोकरे= उसी का,   अपनाही= अपनाना,   सुधारही= सुधारना,   सरग= स्वर्ग,   धरिस= अर्जन करना,   गाढ़िस= गाड़ना,   पाटीस= पाना,   हमर= हमारे,

परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
निवासी : भानपुरी, वि.खं. – गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़
कार्यक्षेत्र : शिक्षक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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