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साहित्य के धरातल पर

गगन खरे क्षितिज
कोदरिया मंहू (मध्य प्रदेश)
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साहित्य के धरातल पर
भावनाएं ही सुन्दर प्रेरणा
बनकर जन्म लेती हैं।
दिल को छूले मन को
सुकून मिलता हैं और
जनमानस की प्रेरणा
बन जाती हैं मेरी कलम।

सृजनकार हर
परिस्थितियों में
अपनी पहचान
बना लेता है।
जहां न पहुंचे रवि
वहां पहुंचे कवि,
जहां चाह नहीं
वहां जीने की राह
निकल लेता
कवि और प्रेरणा
बन जाती हैं मेरी कलम।

चमत्कार तो नहीं करतीं
जिम्मेदारी का
एहसास कराती,
बहुत नाज़ है उस पर
अद्भुत हैं कलम मेरे लिए
भगवान बन गई हैं
मेरे लिए मेरी कलम।

मां बहन बेटी की तरह
वह एक पिता की
जिम्मेदारी का
अहसास कराती सांसारिक
धरातल पर प्रेरणा
स्वरूप हैं मेरी कलम।

विपत्तियों से
घिर गई है ज़िन्दगी,
हैवानियत का शिकार
हो गई मासूम जिन्दगी,
और तो और महामारी
करोना से लाशों का ढेर
बन गई हैं जिन्दगी
व बेबस हो गई है ज़िन्दगी
साथ ही आंसू बहाने
लगी है मेरी कलम।

सुरक्षित रहें कहती हैं
मेरी कलम गगन
जागरूक बने हर एक
मापदंडों ध्यान रखें
जीतेंगे हम अपने कर्तव्य
और कर्मवीरौं के संग
एक नई दिशा नई सुबह
की किरण लिए
और नई आभा के साथ
कभी न मिटने वाली
सार्थक हैं, मेरी कलम।

परिचय :- गगन खरे क्षितिज
निवासी : कोदरिया मंहू इन्दौर मध्य प्रदेश
उम्र : ६६वर्ष
शिक्षा : हायर सेकंडरी मध्य प्रदेश आर्ट से
सम्प्रति : नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण भोपाल मध्यप्रदेश सेवानिवृत्त २०१४
साहित्य में कदम : २०१४ से भारतीय साहित्य परिषद मंहू, मध्य प्रदेश लेखक संघ मंहू इकाई, महफ़िल ए साहित्य कोदरिया मंहू, आर्चना साहित्य संस्थान मंहू, राष्ट्रीय संखी साहित्य परिवार, छत्तीसगढ़ सखी साहित्य परिवार, म. प्र. संखी साहित्य परिवार, राष्ट्रिय हिंदी रक्षक मंच आदि समूह से समय पर जुड़े है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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