Saturday, May 11राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

प्रीति चित्रण

भारमल गर्ग
जालोर (राजस्थान)
********************

मौन धारण कर वचन मेरे,
लज्जा आए प्रीत मेरे।
मगन प्रेम सांसे सत्य ही है,
शब्द अनुराग है मेरे।।

दुखद: प्रेम सदियों से चला आया।
माया, लोभ ने विवश बनाया।।

कामुक कल्पनाएं प्रेम सजाए,
विनम्र प्रेम जगत सौंदर्य दिखाएं।
प्रीति, प्यार अनोखा चित्रण
मन को भाता यह बोध विधान।।

बजता प्रेम का है यह
अलौकिक संदर्भ जगत में।
देखो सजना सजे हैं हम
प्रेम इन जीवन अब हाट पे।।

स्वर का विश्वास नहीं,
देखो माया संसार में।
वाणी के बाजे भी अब तो,
टूट गए हैं आस में।।

प्याला मदिरा का मनमोहक
दृश्य लगे जीवन आधार में।
बिखरे हैं यह सज्जन देखो,
टुकड़े-टुकड़े कांच जैसे कांच के।।

कलयुग में सजती है
स्वर्ण कि यह लंका।
ताम्र भाती प्रेम बना है,
प्रेम यह संसार में।।

मैं चला हूं उस पथ पर
अग्रसर कटु सत्य वचन से।
मिथ्य वाणी ना बोलता सदा
करूं मनमोहक जीवन से।।

एहसास है मेरे, हमदम
प्रेम है संसार जगत में।
अब बन गया है यह देखो
मन भी तन की आस में।।

तरणि से चले हैं इस पथ पर
अनिष्ट अपना देखो।
आभास नहीं अवधि का
विख्यात क्या करें जीवन में।।

कृतघ्न अभियान विख्यात
वसन से है नश्वारता लोगों को।
आरूझाई प्राकार पाषाण
कोर्त्तक अब है सांसोच्छेदन देखो।।

में हूँ अक्षुण्ण प्रेम जीवन में
श्लाघ्य करते युगल की।
स्वैराचार ना चला पाया, सुमुत्सुक देखो
तरणि पे अनिष्ट हो रहा जीवन में।।

वात्याचक्र में बहका ना पढ़ पाया
विनम्र भाव: को स्वयं ही सुंदरता में उलझा।
अद्वितीय उज्ज्वल को परख दोष नहीं
गर्ग ध्यान से, प्रेम बना जीवन
जगत में यह अनुभूति संसार में।।

परिचय :- भारमल गर्ग
निवासी :
सांचौर जालोर (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *