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नैतिक बल

मनोरमा जोशी
इंदौर म.प्र.

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शारिरिक बल, बुद्धिबल,
से बलशाली नीति,
नैतिक बल के सामने,
टिकती नहीं अनिती।
व्यक्ति जाति या राष्ट्र हो,
होता उसका नाश,
जो अनिती पथ पकड़ता,
है साक्षी इतिहास।
नैतिक बल से आत्म बल
है संवद्ध घनिष्ठ,
टका एक दो पृष्ठ है,
किसे कहें मुख पृष्ठ।
है यदि सच्ची नीति तो,
वहीं धर्म आधार,
ठहर न सकता धर्म है,
जहां न नीति विचार।
सब धर्मों को देख कर,
गोर करें यदि आप,
तो पायेंगे नीति का,
सब मे अधिक मिलाप।
अचल नियम है नीति के,
अचल न चक्र विचार,
मत विचार है बदलते,
नीति धर्म आधार।
निर्भर करता नियत पर,
नीति अनिती कलाप,
शुद्ध हर्द्रय सदभावना,
मूल्यांकन का माप।
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परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा – स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र – सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक, मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है। कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) व एक काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है।

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