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कातिल कोरोना

डॉ. गुलाबचंद पटेल
अहमदाबाद (गुज.)
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एक बार न्यूमोनिया
कोरोना बनकर हमसे जा टकराया
डटकर किया मुकाबला हमने
उल्टे सिर लटकाया

वो इतना कातिल था,
गले में जा अटका
कफ सिरप ने दांतों से खूब चबाया

डॉ. दीपेन ने रेमडीसीवर दिया
उसने खूब आराम से वो पिया
औषध का नदी बहाया
कोरो ना कहे मे कहा से आया

डॉ. ने गोलियों से बूंद डाला
सिर उसका काट डाला
हमने कहा,
अब तुम वापस मत आना
सीधे अपने घर पहुँच जाना

तुम करोना हो या फिर कोई भी
हमरी ताकत तूने नहीं देखी

कवि गुलाब कहे,
कोरों ना से मत डरना
डटकर मुकाबला करना
मास्क मुह पर जरूर लगाना
औरों को तुम जगाना
दो गज की दूरी तुम रखना
सेनेटराइज़ पास रखना
टीका जरूर तुम लगवाना
बिना काम घर से बाहर न निकलना

परिचय :-  डॉ. गुलाबचंद पटेल अहमदाबाद (गुज.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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