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निशा की माया

दिनेश कुमार किनकर
पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
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फैलाई निशा ने माया, चाँद सितारों की!

लौट गए रवि लेकर,
अपना स्वर्णिम रथ!
नर्तन कर संध्या भी,
चल दी अपने पथ!
निशा ने सुलाया सबको जो
थे थके हुए लथपथ!
विरहदग्ध रहे देखते,
रातभर यात्रा तारो की!…….

फैल गई चांदनी गगन,
में जैसे हृदय की आस!
लगे दौड़ने तारे नभ में,
दग्ध मन के से संत्रास!
शशि अपनी शीतलता से,
उर में भर रहा विश्वास!
पंहुची साधना चरम पर
प्रभु पथ के प्यारो की!…….

गहन तिमिर में निकल,
निशाचर पा रहे आहार!
मिलन की इस यामिनी में,
युगल कर रहे हैं विहार!
अधर्मियों के लिए निशा,
सुलभ करने पीत व्यापार!
निशा साक्षी हर हृदय में
बनती गिरती दीवारों की!

फैलाई निशि ने माया, चाँद सितारों की!

परिचय –  दिनेश कुमार किनकर
निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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