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त्राहिमाम

अजय गुप्ता “अजेय”
जलेसर (एटा) (उत्तर प्रदेश)

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तुम हो जग के पालनहारे,
ब्रहां, विष्णु, महेश हमारे।
हे आपदा प्रबंध प्यारे,
सबहु तेरी कृपा सहारे।।

सूनी सड़क गली चौबारे,
जैसे नभ से ओझल तारे।
घर-घर में नर-नारी सारे,
बिन प्राणवायु जीवन हारे।।१

भौतिक सुख इच्छा ने भुलाये,
पर्यावरण क्षति हमें रुलाये।
जगह जगह हम पेड़ लगायें,
अब नहीं वन-कटान करायें।।

त्राहिमाम! हम शीश नभायें,
माथे पग रज तिलक लगायें।
प्राणवायु जग भर फैलाये,
फिर से धरा सकल महकायें।।२

हमने किये पाप हैं भारी,
भूले थे हम तुम अधिकारी।
म़ाफ करो हम रचना त्यारी,
त्राहिमाम! देवधि उपकारी।।

हम तेरे बालक मनुहारी,
त्राहिमाम! हे जग गिरधारी।।
प्रभु सुन लीजिए अरज हमारी,
करो दया जग लीलाधारी।।३

परिचय :- अजय गुप्ता “अजेय”
निवासी : जलेसर (एटा) (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा : स्नातक ऑफ लॉ एंड कॉमर्स, आगरा विश्व विद्यालय, आगरा
सामाजिक कार्य : नियमित रक्तदाता, भारत विकास परिषद, नुपुर शाखा, गौ ग्रास सेवक, गऊशाला गंगेश्वर मुक्तिधाम जलेसर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिल भारतीय व्यापार मंडल,जलेसर, भूतपूर्व सचिव श्री घुंघरू उद्योग मंडल जलेसर एटा, भूतपूर्व सचिव भारत विकास परिषद नुपुर जलेसर
लेखन विधा : दोहा, छंद, मुक्तक, कविता, गीत, कहानीं।
लेखन : छात्र जीवन से अनवरत जारी। काव्य संग्रह प्रकाशनाधीन, शताधिक रचनायें जोकि अमर उजाला ‘काव्या’ एंव साहित्यक रचना ई पत्रिका में समय समय पर प्रकाशित होती रही है। पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित।
उपलब्धि : (१) अंतरराष्ट्रीय काव्य प्रेमी मंच के पटल पर महान स्वतंत्रता सेनानियों पर कविता में शताधिक मनीषियों के साथ भाग लिया और ‘वीर विनायक दामोदर सावरकर’ पर स्वरचित कविता पढी जो कि गोल्डन बुक ऑफ बर्ड रिकार्ड में दर्ज हुई। (२) सिख पंथ संस्थापक ‘गुरु नानकदेव’ के जीवन पर अंतरराष्ट्रीय काव्यपाठ किया जिसमें एक सौ पचास कवि कवित्रियों ने २४ घंटे लगातार काव्यपाठ किया और जो विश्व रिकार्ड के लिये आवेदित है। विभिन्न काव्य सम्मेलनों में नियमित भागीदारी।)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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