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पूनम की सर्द रात

श्रीमती राधा दुबे
जबलपुर (मध्य प्रदेश)

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चाँदनी की छाँव तले
जगमग-जगमग दीप जले
पूनम की सर्द रात का एहसास
अँधेरे में उजाले का उजास
क्यों बैठे हो उदास
यह तो है प्रेम का एहसास
यही उजाला जगाता मन में विश्वास
बाँधे हुए रेशम की डोर
झूमे-नाचे मन मोर
आओ कुछ दूर साथ चलें
जगमग-जगमग दीप जले
कार्तिक की पवित्र पूर्णिमा
गीत गाती नारियाँ
डुबकी लेते भक्त अपार
श्रद्धा का है यह त्योहार
सजे हुए हैं घाट, मेला लगा विराट
यह तीज-त्योहार हैं भारत की पहचान
यहाँ नदियाँ करती मोक्ष प्रदान
जगमग-जगमग दीप जले

परिचय :-  श्रीमती राधा दुबे
सम्प्रति : पत्रकार, साहित्यकार, समाजसेवी
निवास : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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