Thursday, May 9राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

अनसुलझे प्रश्न पर समीक्षा : अरुण कुमार जैन

अरुण कुमार जैन वरिष्ठ एवं प्रसिद्ध साहित्यकार की लेखनी द्वारा की गयी ‘अनसुलझे प्रश्न’ लेखिका शरद सिंह पर समीक्षा
कृति : अनसुलझे प्रश्न
लेखिका : सुश्री शरद सिंह
प्रकाशक : प्रतिष्ठा फिल्म एन्ड मीडिया , लखनऊ
पृष्ठ : ९६
पेपर बैक संस्करण
प्रथम संस्करण २०१९

“अनसुलझे प्रश्न” सुश्री शरद सिंह का उपन्यास व कुछ लोक कथाओं का संकलन है। ९६ पृष्ठों की इस कृति मे भावना, संवेदना, आशा, निराशा, हताशा विश्वास, मैत्री, निश्छल प्रेम, उमंग व सुन्दर भाषाभिब्यक्ति का संसार समाया है।
कृति की मुख्य रचना अनसुलझे प्रश्न है। यह एक ऐसी नारी की कहानी है जो सक्षम होते हुए भीकदम कदम पर ठोकरे खाती है व अन्त मे मृत्यु का वरण कर लेती है।
कृति दुखान्त है। इसमे झाकती पीडा़ बेबसी, संकोच बहुत कुछ ब्यक्त करता है।
विद्यालय जाती छोटी बेटी, किशोर अवस्था का प्रेम, मार्मिक संवेदनाऐ फिर यथार्थ के धरातल पर विपन्नता के कारण बेमेल विवाह समाज में व्याप्त कटु यथार्थ को दर्शाता है वही गरीबी के कारण एक युवतीपिता जैसी उम्र के पुरुष के साथ व्याह दी जाती है। संवेदन शून्य क्रूर जीवनसाथी जो पीडा़ ही देता है फिर भी कथा नायिका क्षमाअपने अन्तर्मुखी, सहनशील ब्यक्तित्व के कारण सब सहती है। एवं एक नारी स्वभाव वश बच्चों की किलकारी मे इन्द्रधनुषो को सजा लेती है।आगे बढ़ता हुआ जीवन, बेटे का असीम प्रेम अनुराग, सिर्फ एक नारी (बहु) के आ जाने से उसमे शंका, द्वैश , कलह व छलावा पुनः नायिका के जीवन मे आ जाता है। कंटकाकीर्ण पथ से पुष्पित पथ पर आई नायिका पुनः पीडा़ के मर्मान्तक वियावान मे खो जाती है। एकाकी जीवन एक परिचारिका राधा के साथ सम्बल पाता है।बीच बीच मे पडोसिने व पुराने सहपाठी सम्बल देकर उसे उबारने का प्रयास करते है पर अन्त में जीवन भर अन्याय अत्याचार, उपेक्षा से जूझती नायिका मृत्यु का व रण कर लेती है।
सुश्री शरद सिंह ने कथा का ताना बाना बहुत ही अच्छी तरह बुना है।
इसको पढ़कर पाठक स्वतः ही नायिका की पीडा़ मे सहभागी हो जाता है। विनीत व विनय जीवन मे फिर से सम्बल देते हैं पर पुत्र की उपेक्षा फिर क्षमा को तोड देती है।
पूरे उपन्यास में नायिका पार्श्व मे बार-बार जाती है जिससे कुछ कथाबरोध भी हुआ है यदि कथा प्रारम्भ से ही रची जाती तथा सुखान्त होती तो और प्रभावकारी हो जाती।
कृति एक प्रेरक रचना बनकर समाज को दिशा देने मे सक्षम है।
लेखिका वरिष्ठ है तथा उनके पास संवेदनाओ की असीम थाती है l लेखनी मे प्रवाह है तथा अपनी बात कहने मे सक्षम हैं।
संसार मे इतना कुछ जीवन्त व भव्य है जो समाज को सबल व प्रेरणादायक बना सकता है।
इस कृति मे सात कथानक है। लघुकथा ‘माँ’, ‘अब देर हो गयी ‘ ‘पछतावा’ अनसुलझे प्रश्न का लघु रूप हैं।
लघुकथा ‘मजदूर इस कृति की श्रेष्ठ कथा है जो ब्यक्त करती है कि प्रसन्न रहने के लिए मन की समृद्धि आवश्यक है जो भौतिक समृद्धि से कही अधिक आनन्द दे सकती है।
अनत मे ‘ऐसा दोस्त’ प्रेरक रचना है जो बताती है कि निराशा, हताशा, कुन्ठा से आगे भी रास्ते है जो सफलता देते है।
कुल मिलाकर यह संकलन प्रेरणा परक है।
सुश्री शरद सिंह वरिष्ठ लेखिका है। अनुभव ,संवेदना की समृद्ध विरासत उनके पास है। निश्चित ही वह समाज को प्रेरणा देगी।
मुद्रण, आभरण आकर्षक है।

लेखिका को भविष्य के लिये मंगल कामनाऐ।
अरुण कुमार जैन
साहित्यकार

.


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *