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अंतिम दर्शन का दर्शन शास्त्र
डॉ. मुकेश ‘असीमित’ गंगापुर सिटी, (राजस्थान) ******************** जीवन क्या है- पानी का एक बुलबुला है, साहब! दिन-रात हम लगे रहते हैं- भागदौड़ में… निन्यानवे के फेर में… और कब ऊपर वाले का इशारा हो जाए, साहब, पता ही नहीं चलता। पाप-पुण्य की गठरी… भवसागर… मोक्ष… ऐसी मौत सभी को नसीब हो, साहब! माया, धन, समृद्धि, […]
प्रकृति का मौन संदेश
प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** बहुत हुई इस बार तो, मानसून की मार। इंसानों की बस्तियाँ, गईं आज हैं हार।। दिया प्रकृति ने देश को, चोखा इक संदेश। छेड़-छाड़ हो प्रकृति से, तो भोगो आवेश।। बिगड़े किंचित संतुलन, तो होगा आघात। मौन संदेशा प्रकृति का, सौंप रहा जज़्बात।। मानसून की मार […]
सपन सलोने
अपभ्रंश…
जगत पालनहार माँ
इंतजार
डॉ. राजीव डोगरा “विमल” कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** अंधेरों को जैसे रोशनी का इंतजार है। नफरत को जैसे मोहब्बत का इंतजार है। बादलों को जैसे बरसने का इंतजार है। राहों को जैसे हमराही का इंतजार है। वृक्षों को जैसे खिलते हुए पत्तों का इंतजार है। सूखी भूमि को जैसे वर्षा का इंतजार है। सावन को […]
पर्दा है पर्दा
जान कर भी क्या कर लोगे
दशकंधर
डॉ. राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** प्रश्न खड़ा था दशकंधर पर, मान और अभिमान का। रक्ष संस्कृति शान से जिए, झुके न आत्म सम्मान का। आशुतोष का भक्त निराला, कालो के महाकाल का। शिव तांडव स्त्रोत सृजन , और वेदों के शृंगार का।। शीश चढ़ाया शिव शंभू को, और वरदान विजय का। रक्ष संस्कृति […]
अनमोल भाव
किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** कवि की कविता को जाने, कवि की भावना पहचाने, चिन्तन की गहराई जाने, मनन की एक सोच पहचाने। आकाश सी ऊँचाई जाने, पंछी सी उडा़न है उसकी। एकाग्रता का ध्यान है उसमे, ज्ञान और विज्ञान है उसमें, धर्म और समाज का बोध है उसमे, ज्वालामुखी सा […]
द्वेष
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण” इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** देवता बनकर हमारे आँगनों में द्वेष बैठा। ले विकारों की कलाएँ गृद्ध सा अनिमेष बैठा।। नित्य होती अर्चनाएँ आरती के थाल सजते, दीप जलते पुष्प चढ़ते किन्तु दोष विशेष बैठा।। द्वेष के कारण समस्या राग की ज्यादा बड़ी है। चाहते हैं शान्ति लेकिन भ्रान्ति कुछ ऐसी जड़ी है।। […]
प्रणाम है मां भारती
डॉ. रीना सिंह गहरवार रीवा (मध्य प्रदेश) ******************** नव पुष्पित, नव पल्लवित नवज्योति पुंज, जगतसुखदायनी पूजित रघुराज कर, तम विनाशिनी पूजित अखंड दीप, जौ, पुष्प से शक्ति संचारक नवनिधि दायिनी कर प्रयोग संपूर्ण शक्ति का हो तम को विनाशती दसशीष धारी को धूल-धूसरित धारती। कर क्षत-विक्षत दसानन मारती हे जगत देवी प्रणाम है मां भारती। […]
गाँधी जी
प्रीतम कुमार साहू ‘गुरुजी’ लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** सत्य अहिंसा के पुजारी हिंसा के वो खिलाफ थे अपनी बात मनवाने का उनका अलग अंदाज थे..!! वकालत की नौकरी छोड़ विदेश से वतन को आए गुलामी की जंजीर तोड़ने संघर्ष का मार्ग अपनाए..!! तन मन धन,समर्पण कर, जीवन अपना,अर्पण कर.. नमक कानून तोड़ दिए, गाँधी जी […]
खुद से एक मुलाकात करो
सब शौक हुए पूरे
प्रेम नारायण मेहरोत्रा जानकीपुरम (लखनऊ) ******************** , अब सांसों को जीना है। अमृत ज्ञान दे रहा ईश्वर, अब बस उसको ही पीना है। सब शौक…….. दी हमको श्रेष्ठ योनि, उपकार है प्रभु का। परिवार दिया उत्तम, ये प्यार है प्रभु का। दायित्व जो भी देता, पूरे वही कराता। जैसे भी प्रभु रक्खे, वैसे हमें जीना […]
मैं और मेरा “मैं”
किसने कब सोचा था
विजय गुप्ता “मुन्ना” दुर्ग (छत्तीसगढ़) ******************** नियमों की अनदेखी से वज्रपात किसने कब सोचा था। घर से लेकर शाला तक सड़क नियम बताना लोचा था। कितनी शिद्दत चाहत से नव-पीढ़ी आती है सड़कों पर। करते अरमान सुरक्षित भविष्य भी अति सुंदर चलकर। घर शाला से सत्ता शासन सब नियम से लेता लोहा था। सुनने सीखने […]
दर्द दिल का
चिड़िया
डॉ. राजीव डोगरा “विमल” कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** उड़ती चिड़िया आसमान में दोनों पंख फैलाए। छोटी सी अपनी चोंच से दाना-दाना चुग खाएं। अपने पंख फैलाए उड़ती पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण हर कोने पर अपना हक़ जमाती। डाल-डाल पर पात-पात पर बैठ अपना मधुर गीत सबको सुनाती। परिचय :- डॉ. राजीव डोगरा “विमल” निवासी – […]
आंख मूंद न अपना कहो
मैं जब भी जाऊंगी
श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** जब भी जाऊंगी, कोई प्रश्न अधूरा नहीं छोड़ूगीं, पूर्ण विराम लगा कर जाऊँगी! अर्धविराम रिश्तों को जीवित नहीं रहने देता है, जीवन मे समर्पण होना चाहिए! प्रेम जीवन का आदि और अंत दोनों होता है! प्रेम में अधूरेपन की कोई जगह नहीं होती उसमे पूर्ण समर्पण होना चाहिए, […]
कलियुग में बिकती सच्चाई
मीना भट्ट “सिद्धार्थ” जबलपुर (मध्य प्रदेश) ******************** कलियुग में बिकती सच्चाई, झूठ कपट भी भारी है। तृष्णा के गहरे सागर में, जाने की तैयारी है।। खेले खेल सियासत भी अब, कालेधन की है माया। खींचें टाँग एक दूजे की, सत्ता लोलुप है काया।। बस विपक्ष की पोल खोलना, नई नीति सरकारी है। दौड़ सीट हथियाने […]
तर्पण की हकीकत
देवों के महादेव
डॉ. राम रतन श्रीवास बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ******************** शिव की भक्ति शिव की शक्ति, सावन का मास जो आया…..। देवों के महादेव को भक्तों ने बुलाया …।। प्रथम वंदना गौरी नंदन, त्रिविध ताप हर पुष्प चढ़ाया….। देवों के महादेव को भक्तो ने बुलाया …।। शिश जटा प्रभु चंद्र विराजे, हे भोलेनाथ भंडारी….. । देवों के महादेव […]
