Tuesday, December 16राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Search Results for: hindirakshak17@gmail.com

गुरु बिन ज्ञान न होता

अंजनी कुमार चतुर्वेदी “श्रीकांत” निवाड़ी (मध्य प्रदेश) ******************** गुरु बिन ज्ञान न हुआ किसी को, सारी दुनिया जाने। राम कृष्ण पहुँचे उज्जैनी, गुरु से शिक्षा पाने। सांदीपनि आश्रम में प्रभु ने, ज्ञान उन्हीं से पाया। सांदीपनि गुरु से शिक्षा ली, सुयश जगत में छाया। गुरु बिन ज्ञान भेद बिन चोरी, संभव कभी न होता। गुरु […]

क्षणिक

मालती खलतकर इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कदम दर कदम सम्भल कर चलो जिन्दगी क्षणिक हे गुनगुनाते चलो। कोई अछूता नही है जिन्दगी के झन्झावातो से इस तुफान को हाँ इस तुफान को मुठ्ठी मे बान्ध कर चलो। दसों दिशाएं देगी तुम्हे अवलम्बन अंधेरी रात मे तारों के प्रकाश मे आकाश ओढते चलो। करेगी पीछा परछाई […]

आप का सानी नहीं

भीमराव झरबड़े ‘जीवन’ बैतूल (मध्य प्रदेश) ******************** रोल अद्भुत आप का है, देख हैरानी नहीं। आप जिसको काटते वह, माँगता पानी नहीं।। सेंक लेते हो चिता पर वोट की सब रोटियाँ, झूठ, धोखे, जाहिली में, आप का सानी नहीं।। ठीकरा नाकामियों का फोड़ते सिर और के, जानती हैं सच प्रजा सब, मान अंजानी नहीं।। मात्र […]

पापों का स्टॉक क्लीयरेंस

डॉ. मुकेश ‘असीमित’ गंगापुर सिटी, (राजस्थान) ******************** मानव जाति भी कमाल की चीज़ है। अपने पापों को वह ऐसे संजोकर रखती है मानो कोई व्यापारी पुराने माल को गोदाम में ठूँस रहा हो। व्यापारी सोचता है- “सीज़न आएगा तो क्लीयरेंस सेल में निकाल दूँगा।” और यही फॉर्मूला धर्म के बाज़ार में भी चलता है। फर्क […]

हिंदी ज्ञान का महारथ

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** भाषाज्ञान से सबका सन्मान हिंदी को बढ़ाए रचाये सीखकर अर्जित करें हिंदी लिखने पढ़ने बोलने का ज्ञान ।।१।। जो है करता, भाषा हिंदी का सन्मान, मनमस्तिष्क में हिंदी कविता साहित्य जगत का, तनमन से रचाकर दिलाती खूब सन्मान ।।२।। वही खूब है रचता हिन्दीभाषा लेखन में शक्तिशाली शब्द भरकर […]

झूठी है ज़िंदगी यहाॅं

निज़ाम फतेहपुरी मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) ******************** वज़्न- २२१ २१२१ १२२१ २१२ अरकान- माफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन झूठी है ज़िंदगी यहाॅं मेहमान हम सभी। असली है घर ॲंधेरे में सोचा है कुछ कभी।। आ जाए मौत कब ये किसी को नहीं पता। मौका है तौबा कर ले गुनाहों से तू अभी।। नेकी का फल है […]

शिक्षादाता

प्रीतम कुमार साहू ‘गुरुजी’ लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हाथ पकड़कर जिस गुरुवर ने, लिखना हमें सिखाया ! जीवन पथ पर कैसे चलना चलकर हमें दिखाया !! कैसे भूलूँ उस गुरुवर को, कभी हार न माना होगा ! गलतियाँ को माँफ कर जिसने काबिल हमें बनाया !! सही गलत का ज्ञान कराकर, सत्य मार्ग बतलाया कैसे […]

व्यथा

छत्र छाजेड़ “फक्कड़” आनंद विहार (दिल्ली) ******************** उनींदी बोझिल पलकें लिए मृगनयनी कुछ कुछ सहमी कुछ डरी डरी सी मन-कपोत आतुर उड़ने को फड़फड़ाते पंख लिए पर आत्मा थी एक पीड़ा से भरी भरी सी संवाद अतुल है अक्षुण्ण है मगर अभाव है शब्दों का अभिव्यक्ति है मरी मरी सी अतिशय कहा नहीं जाता इसी […]

अ अत्याचार … ह से हत्या …

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* अ से अनार या अमरूद नहीं वर्तमान समय के अनुरूप अ से अनर्थ या अत्याचार लिखने की जरूरत है. कोशिश करता हूँ कि क से क़लम या करुणा लिखूँ लेकिन मैं लिखने लगता हूँ क से कर्कशता या कट्टरता. ख से खरगोश लिखता आया हूँ लेकिन ख […]

जीव की करूण पुकार

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** आया पावन गणेश चतुर्थी का त्यौहार, सबको मिले जीवन मे खुशियां अपार! हम भी चाहें थोड़ा सा स्नेह, हे गणपति करो हम पर ये उपकार!! शिव-शक्ति के पुत्र कहलाते, सर्वप्रथम पूजे जाते, मूषक तुम्हारा वाहन होता सहनशीलता का संदेश है देता! गजराज बन पूजे जाते, पर्व ”त्यौहार” में […]

पता नहीं कैसे जिंदा हूं

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** ये है ही बेहद ताज्जुब की बात, कि कुरेदा गया दिल बचपन से जिसका लेकिन कैसे बचा हुआ है आज, था जिनके भरोसे ताना मिला उन्हीं की ओर से कि जिंदा हूं आज भी खाकर जूठन, ना आयी लाज बाल्यकाल में और न शर्मिंदगी ढलते जवानी में भी, उलाहना देने […]

बूझो तो जाने …साप्ताहिक पहेलियों की प्रथम किश्त

महादेव प्रसाद “प्रेमी” गंगापुर सिटी, (राजस्थान) ******************** १. नर शरीर धारण किया, मुख किया पशु सम्मान प्रथम पूज्य देवता भए, पहेली है आसान। २. सुबह चाय के वक्त पड़ती है ज़रूरत तेरी, थोड़ी-सी चिंता बढ़ती है मेरी, जब तेरे आने में होती है थोड़ी-सी देरी। ३. हम भाई बहन अनेक हैं, मैं उनमें से एक, […]

सुंदरतम

डॉ. राजीव डोगरा “विमल” कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जल ने प्रलय मचा रखी है आसमाँ की मोहब्बत में दुनिया तबाह कर रखी है। सोचते हो मोहब्बत बस तुमने ही की है यहाँ ओह नहीं नहीं … हवा ने पानी से पानी ने हवा से आंखों से आंखें मिला रखी है। सोचते हो खूबसूरत बस तुम […]

आजमा कर छोड़ दिया

डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय” ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी ******************** कौन अपना है कौन पराया है। ये तब पता लगा जब मैने आजमाया है। ****** आजमाने से हकीकत पता चलती है। अगले की हमारे प्रति सोच पता चलती है। ******* सामने से तो सब लोग मीठे बातें बोलते है। पर मौका मिलने पर पीठ में छुरा भोकते […]

गुरु तुम दिव्य

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे मंडला, (मध्य प्रदेश) ******************** शिक्षक तुम तो हो गुरू, तुम से ही उत्थान। गुरु बन तुम ने ही रचा, जीवन का सम्मान।। शिक्षक से आलोक है, शिक्षक से संसार। शिक्षक से ही शिष्य को, मिलता है उपहार।। तुमने दिया विवेक तो, हुआ सत्य का भान। तुमसे ही है दिव्यता, गुरुवर […]

औकात की बात

डॉ. मुकेश ‘असीमित’ गंगापुर सिटी, (राजस्थान) ******************** आज फिर उनकी औकात उन्हें दिखने लगी है। दुखी हैं बहुत। एक बार हो जाए, दो बार हो जाए, लेकिन बार-बार कोई औकात दिखा दे तो भला किसे बर्दाश्त होगा? इस बार तो हद ही कर दी। संस्था वाले भी पीछे ही पड़े हैं… क्या यार, इस बार […]

हे गणपति

प्रीतम कुमार साहू ‘गुरुजी’ लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी रिद्धी-सिद्धि के तै स्वामी, तोरेच गुन ल गावत हँव। सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव।। हे गणपति, गणनायक स्वामी, महिमा तोर बड़ भारी हे। माथ म मोर मुकुट सजत हे, मुसवा तोर सवारी हे।। साँझा बिहिनिया करँव आरती, लडवन भोग लगावंत हँव। सजे […]

गुरु को प्रणाम

हितेश्वर बर्मन ‘चैतन्य’ डंगनिया, सारंगढ़ (छत्तीसगढ़) ******************** मेरा गुरु मेरे लिए पूज्यनीय है, खुद से भी ज्यादा आदरणीय है। जिसने दिया मुझे अनमोल ज्ञान, वो ज्ञानी मेरे लिए है सबसे महान। मेरे गुरु ने मुझे भविष्य की राह दिखाया है, कँटीले रास्ते में भी शान से चलना सिखाया है। मेरे जीवन से जिसने अंधकार को […]

कुदरत की महिमा

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** कुदरत तेरी रचना वाह तेरा क्या खूब कहना प्राणी जीवजन्तु में कमोधिक गुणों में गुण की बसती महिमा खूबसूरत सुंदर रहती विद्यमान कुदरत तेरी रचना ।।१।। कलम, काठ, पेंसिल स्याही, चाक, लिखावट में गुणी पुस्तकें ज्ञान बढाने, पढ़ाने में रहती है हरदम गुण में गुणी डस्टर बार बार लिखावटों […]

विश्व गुरु मोदी जी

संजय कुमार नेमा भोपाल (मध्य प्रदेश) ******************** मोदी जी का जय घोष हो सनातन संस्कृति को बचाने, कलयुग से सतयुग लाने, मोदीजी को सिंघासन पर बैठाया। संकल्प लिया था जिसने मां भारती को सोने की चिड़िया बनवाया। किसानों का आत्म सम्मान बचाने। नये उद्योगों से भारत का डंका बजवाया। गांधी का गया जमाना, एक गाल […]

गुरु महिमा (दोहे)

डॉ. भगवान सहाय मीना जयपुर, (राजस्थान) ******************** गुरु ओजस्वी दीप है, तेज है चहुं ओर। अपने अनगढ़ शिष्य का, सृजन करें हर छौर। विद्यास्थली मंदिर है, गुरु मेरे भगवान। करता नित मैं वंदना, हृदय बसे सम्मान। अभिनन्दन गुरु देव का, है सादर सत्कार। अनुग्रह मिलें शिष्य को, करते नित उपकार। नित गुरु शिष्य भला करे, […]

वक्त के साये

सूर्यपाल नामदेव “चंचल” जयपुर (राजस्थान) ******************** क्या जीत है क्या हार है, कहीं वक्त की मार तो कभी वक्त ही उपकार है। वक्त की तिजोरी नसीब में सबके, बेकद्र जो वक्त है टूटते सपने बेशुमार है।। जीवन मिला है सबको वक्त भी मिला वहीं है। भावना जुदा-जुदा है जिंदगी सबकी वही है।। खुद को पका […]

अपनोंं से निष्कासित

शिवदत्त डोंगरे पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश) ******************* एक टुकड़ा बादल का छोटा सा आंँखों के काजल- सा भटक रहा था यतीम- सा मगर मुझे लगा इसमें कोई बात है मौसम बरसात ‌का हुजूम बादलों का उमड़-घुमड़ बरस रहा फिर क्या वज़ह कि सूखी आंखों से गीली धरती ताक रहा. बस पूछ लिया मैंने अकेला […]

दोहरा मापदंड क्यों…?

छत्र छाजेड़ “फक्कड़” आनंद विहार (दिल्ली) ******************** मैं बेटी हूँ सिर्फ इसलिए ही जन्म से पहले कोख में मार दी जाती हूँ कहाँ चली जाती है ममतामयी माँ की ममता क्यों आँखे मूंद लेते हैं सरंक्षक कहलाने वाले पिता क्यों उत्प्रेरक बन सहयोगी बन जाता है समाज कैसी विडम्बना है सब कुछ होता है मर्यादा […]

सहचर

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** मैं चाहूँ और कोई आ जाए, बिना कुछ पूछे, बिना कोई सवाल किए मात्र इसलिए कि हमने चाहा है! जब कि सच्चाई है कि हमने खुद को कभी वक़्त नहीं दिया, खुद से खुद की कोई बात नहीं की! जीवन के अकेलेपन में मेरी आत्मा में मेरा अस्तित्व […]