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जुल्फों का साया

राम प्यारा गौड़
वडा, नण्ड सोलन (हिमाचल प्रदेश)
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आशिक बोला हे प्रिये!
मुझे अपनी
काली, घुंघराली नागिन सी
जुल्फों के साये में
क्षण भर रहने दीजिए।
थोड़ा विश्राम…
तनिक बतियाने दीजिए।

दिल बहलाने को
मन करता है
प्यार भरी दो
बातें कीजिए,
मधुर आवाज
सुनने को
मन करता है।

तुम्हारी जुल्फों के
साये में बैठ
सब कुछ भूलने को
मन करता है
ऊब, खीज, घुटन
निराशा छोड़
हर्षित मन हो जाने को
दिल करता है।
बिखरे सपनों का
ताना-बाना बुन,
हसीन दुनिया बसाने को
मन करता है।

सुनकर महबूबा बोली…
माफ कीजिये
मुझ पर करें एहसान…।
फेसबुक हूं चला रही,
नेटवर्क की कमी से,
पहले से हूं मैं परेशान।
जुल्फें बिखेरने का
मेरे पास नहीं वक्त,
देखते नहीं, ऊपर से
जमाना है सख्त।

मेरी मानो…
किसी वृक्ष तले चले जाओ
घनी छाया में बैठ
हवा संग खूब बतियाओ।

बुझे मन आशिक उठा…।
मुंह से निकली हाए
दोंनो हाथ उपर कर, बोला…
तुने मुझे अपनी जुल्फों के
साये में न रहने दिया…
खूदा करे कि तू गंजी हो जाए …
काली, घुंघराली नागिन सी,
तेरी जुल्फें तुझे ही सताए।

परिचय :-  राम प्यारा गौड़
निवासी : गांव वडा, नण्ड तह. रामशहर जिला सोलन (सोलन हिमाचल प्रदेश)


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