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खामोशी और शब्दों का खेल

होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ हरियाणा

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खामोश रहे फिर भी कहे,
यह अजब खेल होता है,
देख-देख इन नजारों को,
दर्द में आंखें भिगोता है।
दृश्य- १.
लुट गया सुहाग अबला,
मौन दर्द में वो रहती है,
उसकी आंखें जगत को,
कष्टों के आंसू कहती है।
दृश्य- २.
हार गया सैनिक युद्ध में,
मौन अपने को छुपाता है,
उसके दिल के शब्द ही,
खामोश हाल बताता है।
दृश्य- ३.
मलयुद्ध लड़ा पहलवान,
हार गया लगा एक दाव,
लोग उसको निहार रहे हैं,
खामोशी कहे डूबी नाव।
दृश्य- ४.
फेल हो गया मेहनत कर,
खामोश है लगता है डर,
आंखें उसकी बोल रही,
कैसे जाऊंगा अपने घर।
दृश्य- ५.
मृत्यु शैया पर लेट रहा ,
खड़े परिजन चारों ओर,
खामोश सभी कुछ कहे,
नहीं दो प्रभु विपत्ति घोर।
दृश्य- ६.
अमीर स्वाद लेता मिठाई,
गरीब की आंखें ललचाई,
खामोश रहे फिर भी कहे,
हमने बासी रोटी ही खाई।
दृश्य- ७.
बूढ़े को निकली लाटरी,
खुशी के मारे हुआ मौन,
धन देख उड़े प्राण पखेरू,
सदा सदा को हुआ मौन।
दृश्य- ८.
बेटा मिला बिछुड़ा मां से,
मौन रह करे प्रभु को याद,
खुशियों में बहुत कुछ कहे,
लंबी उम्र की करे फरियाद।
दृश्य- ९.
बना अधिकारी गरीब पुत्र,
जल गये कितने मौन रहते,
कैसे बन गया ये अधिकारी,
मन ही मन में बहुत कहते।
दृश्य-१०.
हुई अभी थी भोर सुहानी,
नालायक को मिले ईनाम,
मौन रहकर लायक सोचते,
दे लेकर कहीं हुआ काम।।

परिचय :- होशियार सिंह यादव
जन्म : कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा
पिता : स्व. श्री जयनारायण (कवि) एवं गोपालक देहांत १९८९
मां : स्व. मिश्री देवी गृहणि देहांत २०१६
निवासी : महेंद्रगढ़ हरियाणा
शिक्षा : पीएच. डी. (जारी) एम. एससी (बायो एवं आईटी), एम.ए. (हिंदी, अंग्रेजी एवं राजनीति शास्त्र), एमसीए, एम. एड., पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर, पी जी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एवं मास कम्यूनिकेशन, पी जी डिप्लोमा इन गांधियन स्टडिज, गोल्ड मेडलिस्ट पंजाब वि.वि.।
रचनाएं : अब तक विभिन्न विषयों पर २४ पुस्तकें प्रकाशित। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोधपत्र प्रकाशित, विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में कहानी, लेख, मुक्तक, क्षणिकाएं, प्रेरक प्रसंग, कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।
हरियाणा साहित्य अकादमी से अनुमोदित पुस्तकों में : आवाज, बाल कहानियां, उपयोगी पेड़ पौधे, शिक्षा एक गहना
व्यवसाय : लेखक, पत्रकार एवं शिक्षण कार्य में श्रेष्ठता।
सम्मान : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा कहानी लेखन में प्रथम पुरस्कार सहित पांच दर्जन सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित। महेंद्रगढ़ न्यायाधीश द्वारा रजत पदक से सम्मानित। अरुंधती वशिष्ठ अनुंसधान पीठ द्वारा देशभर से आयोजित निबंध लेखन में एक्सीलेंस अवार्ड। हरियाणा के राज्यपाल से पुरस्कृत। तीन शोध भी प्रकाशित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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