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इक माँ

ओमप्रकाश श्रीवास्तव ‘ओम’
तिलसहरी (कानपुर नगर)
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कितनी त्याग तपस्या देखो,
जग में इक माँ करती है,
पाने को मातृत्व लाभ वह,
सदा मृत्यु से भी लड़ती है।

छोटी सी इक कन्या देखो,
यौवन नारी बन जाती है।
फिर सृष्टि जगत नियमों से बँध,
खुद माँ के ख्वाब सजाती है।
सास ससुर पति सेवा में वह,
निज जीवन अर्पित रहती है।
कितनी त्याग तपस्या देखो,
जग में इक माँ करती है।

माँ बनने के प्रेम पाश में,
कष्ट अनेकों वह पाती है,
कभी कभी साक्षात मृत्यु से,
माँ सीधे आँख लड़ाती है।
देने को सारा सुख सुत को,
रातों वह जगती रहती है।
कितनी त्याग तपस्या देखो,
जग में इक माँ करती है।

माँ की ममता का पैमाना,
जग में कौन बता पाएगा,
यह सृष्टि रची जिस ब्रह्मा ने,
क्या व्याख्या वह कर पायेगा।
जग में माँ ही तो होती है,
सह कष्टों को भी हँसती है।
कितनी त्याग तपस्या देखो,
जग में इक माँ करती है।।

परिचय :- ओमप्रकाश श्रीवास्तव ‘ओम’
जन्मतिथि : ०६/०२/१९८१
शिक्षा : परास्नातक
पिता : श्री अश्वनी कुमार श्रीवास्तव
माता : श्रीमती वेदवती श्रीवास्तव
निवासी : तिलसहरी कानपुर नगर
संप्रति : शिक्षक
विशेष : अध्यक्ष राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच उत्तरीभारत इकाई, रा.उपाध्यक्ष, क्रांतिवीर मंच, रा. उपाध्यक्ष प्रभु पग धूल पटल, रा.मीडिया प्रभारी-शारदे काव्य संगम, प्रभारी हिंददेश उत्तरप्रदेश इकाई
साहित्यिक गतिविधियां : विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, आदि १०० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। ५ साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित, अनेक पत्र पत्रिकाओं, ई-बुक, काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी। अब तक ३०० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ३०० से अधिक सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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