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अधरों पर मुस्कान

बुद्धि सागर गौतम
नौसढ़, गोरखपुर, (उत्तर प्रदेश)
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काला तिल है गाल पर, अधरों पर मुस्कान।
जीवन साथी खुश रहे, सदा रहे मुस्कान।

हंसता मुखड़ा जान का, अधरों पर मुस्कान।
पत्नी मेरी खुश रहे, मैं चाहूं मुस्कान।

अधर गुलाबी है नरम, मुखड़े पर मुस्कान।
दुल्हन ऐसी भाग्य से, पाता है इंसान।

अधरों पर मुस्कान है, आंखों में है शर्म।
पत्नी मेरी समझती, सदा हमारी मर्म।

ममता की मूरत लगे, बोती है मुस्कान।
अधरों पर मुस्कान से, खुश रहते संतान।

रखने में कुछ ना लगे, अधरों पर मुस्कान।
खुद को भी अच्छा लगे, मुस्काता इंसान।

सुंदर मुखड़ा भीम का, अधरों पर मुस्कान।
किए कर्म है नेक जो, हम पाए मुस्कान।

शांति मिली है बुद्ध से, पंचशील का ज्ञान।
अधरों पर मुस्कान है, मिला धम्म का ज्ञान।

नमन करूं मैं भीम को, नमन तथागत बुद्ध।
अधरों पर मुस्कान हो, सबका मन हो शुद्ध।

परिचय :- बुद्धि सागर गौतम
जन्म : १० जनवरी १९८८
सम्प्रति : शिक्षक- स्पर्श राजकीय बालिका इंटर कालेज गोरखपुर, लेखक, कवि।
निवासी : नौसढ़, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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