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Tag: किरण विजय पोरवाल

सीख
कविता

सीख

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** फूलों से सीखा मैंने है महकना। पेड़ों से सीखा मैंने है झुकना। नदीयो से सीखा बढ़ते है रहना, धरती से सीखा धैर्य है रखना, आकाश से सीखा मौन है रहना, पशु पक्षी से सीखा नियम में चलना। संतो से सीखा संयम में रहना, गुरु से सीखा आत्मा में रमना, कांटों से सीखा सम्भल कर चलना। शत्रु से सीखा कूटनीति का ज्ञान, दोस्त से सीखा का स्नेह और प्यार, मां से सीखा संस्कारों का ज्ञान, पिता से सीखा दुनिया की पहचान। प्रकृति का कण-कण हमें दे रहा है सीख, गुढ़ रहस्य उसमें छुपा, ज्ञान ध्यान और योग। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्र...
लालच सिंहासन का
कविता

लालच सिंहासन का

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** कहे द्रोपती ! दुर्योधन से- पतियों ने दावँ पर लगाया है, उनकी तो मति मारी है गई, तू क्यों दुष्टता लाया है। भाई भाई के बंटवारे में क्या दोष मेरा है, हे पांडव! क्यो? दुशासन के निर्लज हाथों मेरा क्यों चीर फडवाया है, अपमानित मुझे कराया है। क्यों आँख बचाते हो अर्जुन क्यों गांडीव गिर रहा हाथो से। क्यों भीम की गदा देखो छूट रही, युधिष्टिर ने मौन को साध लिया? हे गंगा पुत्र भीष्म पिता क्यों कर्मों का तुम नाश करो। दुशासन खींचो साड़ी को इसे नग्न बिठाओ जंगा पर, आज शर्त मेरी पूरी करना कोई बीच ना आए नर नारी। द्रोपती ने वस्त्र को पकड़ा है पांवो से दबा यू जकड़ा है, दोनों होंठ से दबा-दबा उस शर्म को दांतों से पकडा है, मन ही मन कान्हा को पुकारती है, तुम आ जाओ हे बनवार यदि लाज बहन की है प्यारी, तुम आ जाओ हे...
मांँ
कविता

मांँ

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** मांँ एक दर्पण है, मां मन का भाव है, दिल की पहचान है, माँ निश्छल प्रेम है, मां समय का ज्ञान है, मां समझ है, माँ मेहनत है, मां विचार है मां मार्गदर्शक है। मां हिम्मत है मां साहस है, मां शक्ति है मां भक्ति है , मां वर्तमान भूत और भविष्य है, माँ कोमल है मांँ कठोर है, मांँ आनंद है माँ खुशी है, मांँ सोच है माँ विचार है, मांँ आंसू है माँ खुशी है। माँ घर की रौनक है मांँ बहार है। मां गरीबी पर अमीरी है, तो मांँ मान और सम्मान है परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित ३....
करवा चौथ
कविता

करवा चौथ

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** सजकर सौलह श्रृंगार प्रियतम के नाम का, प्रीत की डोर सदा बँधी रहे तेरे मेरे प्यार की। प्रकृति सी हरियाली रहे मेरे घर अँगना, चंदा सा चादोल्यो रहे मेरे सिर पर धरा। लाल पीली चुदड़ मै बूटा लाल गुलाब, अमर चाँद का दीदार करू मै सौ-सौ बार, अमर रहे सुहाग मेरा चन्दा से प्यार का। सुन्दर रूप चन्दा मै देखु मै मेरे प्रीतम का, नजर ना लग जाये सुन्दर जोडी पे काला दाग है चन्दा में। सदा सुहाग का वर मांगू मै, अमर शिवत्व सी जोडी़ रहे, ये शिव बन जाये, मै गवरा बनी रहू चरणन मै। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्राष्ट्री...
दीप से दीप जलाऐ
कविता

दीप से दीप जलाऐ

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** दीप से दीप जलाऐ, मन से हर भेद मिटाएं। प्रेम के दीप हर मन में जलाकर, राग द्वेष का भेद मिटाएं। प्रेम का दीपक ज्ञान की बाती, हर मन मे यह भाव जगाऐ। मन कंचन सा दीप ह्रदय में, रजत सा उज्जवल प्रेम बढ़ाएं। एक दूसरे का मान रखे हम, जैसे दीप से दीप जलाएं। द्वेष का दीप ना जले इस मन में, हर मन में यह भाव जगाऐ। छोटा दीप उज्ज्वल है प्रकाश, जैसे सूर्य उदय अंधकार का नाश। तेज पुन्ज दीपक का प्रकाश, राग द्वेष का कर दे नाश। दीपों का यह उत्सव प्यारा, हर मन में आशा के भाव। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्राष्ट्र...
जीवन का सार
कविता

जीवन का सार

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** अपनी अंतर आत्मा से पूछो? "क्या खोया क्या पाया है" क्या जग से है लिया है हमने, क्या जग को लौट आया है। कितना प्रेम दिया है हमने, कितना प्यार लुटाया है, कितना दिन दुखीयो को हमने, अपने गले लगाया है। कितना दान दिया जीवन मै, कितना छिना दुनिया से, कितना राग द्वेष किया है, जग में जीने वालों से। भला किया या बुरा किया, हिसाब लगा लो आत्मा से, कितने दिलों को तोडा़ हमने, कितना सेतू जोड़ा है। "एक पल हम मर कर है देखे", कौन रोये कोन हंँसता है, कौन हमें अच्छा है कहता, कौन बुरा आज कहता है। यदि अश्रुधार भये जन जन की, तो जग मै नाम है कमाया है, पीछे से अपशब्द जो बोले, जीवन में नाम डुबाया है। यही आनंद दिवाली का जीवन, यही होली का रंग लगाया है, यही दशहरे की जीत है पाई, राखी का प्रेम कमाया है। जीवन का हिसाब...
अनमोल भाव
कविता

अनमोल भाव

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** कवि की कविता को जाने, कवि की भावना पहचाने, चिन्तन की गहराई जाने, मनन की एक सोच पहचाने। आकाश सी ऊँचाई जाने, पंछी सी उडा़न है उसकी। एकाग्रता का ध्यान है उसमे, ज्ञान और विज्ञान है उसमें, धर्म और समाज का बोध है उसमे, ज्वालामुखी सा विस्फोट है उसमें। नदी सा बहाव है उसमें, चक्रव्यू सी रचना है उसमें। तोलमोल के तराजू मे तोल, आग मै तपकर सोना बनता अनमोल। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित ३. राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा "साहित्य शिरोमणि अंतर्राष्ट...
चन्द्रमौलेश्वर मनमहेश
स्तुति

चन्द्रमौलेश्वर मनमहेश

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** चन्द्रमौलेश्वर मनमहेश, शिव ताडवं करते महेश। उमा महेश वन करते विहार, घटा टोप बादल अपार, सप्तधान शिव स्वरूप अनाज, सुन्दर मुख होल्कर महान, शेषनाग शिव मस्तक धारे, गले भुजगं अति शोभित साजे, महाकाल विकराल काल शिव, रजत पालकी बैठै मौलेश्वर, दर्शन कर भक्त हुये निहाल, जयकारा गूँजे महाकाल। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित ३. राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा "साहित्य शिरोमणि अंतर्राष्ट्रीय समान २०२४" से सम्मानित ४. १५००+ कविताओं की रचना व भजनो की रचना रूचि : कविता...
प्रकृति
कविता

प्रकृति

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** बादलों से आलिंगन करते पर्वतों की श्रृंखला है अपार। ऊंचे ऊंचे पर्वतो के मध्य श्वेत झरनों की धार। ऊँचे पर्वतो से यात्रा करके मिलते हैं धरती से आज। हर पल मे बरसते देखो एक पल मै ओझल हो जाते, अपने आंचल में है समेटे बादलो का बिखर रहा है जाल। हरियाली अपने यौवन पर फल-फूल रहे हैं झाड़। कभी गरजते कभी बरसते कभी मौन हो जाते आप। देख नजारा प्रकृति का टकटकी लगाये अखियां आज। देखो दृश्य ओझल ना हो जाये स्वर्ग उतरा धरती पर आज। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित ३. राष्...
चलते रहना ही जीवन है
कविता

चलते रहना ही जीवन है

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** चलते रहना ही जीवन है, चाहे सुख आए या दुख आए, चाहे काँटे भाटे रोडे आए, इन सबको पार करते चलना, चलते रहना ही जीवन है। चाहे ओलावृष्टि आती हो, चाहे गर्मी कितनी सताती हो, जीवन में लक्ष्य लेकर चलना, चलते रहना ही जीवन है। मंजिल की आस रहे दिल में, चाहे कितनी कठिनाई सामने हो, हो चट्टान का सामना भी, चलते रहना ही जीवन है। कुछ पाना है तो चलते रहना, बढ़ते रहना हो लक्ष्य सदा, ना हार कभी मन में लाना, ना नर्वस होकर तुम रहना। उठो चलो ! चलते रहना चलते रहना ही जीवन है। कभी नही उदास हो जीवन मै, नहीं कभी हतोत्साहित हो जीवन मै, खुश होकर चलते ही रहना, चलते रहना ही जीवन है। नदियों की तरह बढ़ते रहना, नाचते गाते उत्साह भरे, मंजिल तो एक दिन पाना है, चलते रहना ही जीवन है। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : वि...
एक औरत
कविता

एक औरत

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** कितना गम दबाती मन मै, कितना गम वह पी जाती, ओरौ के खातिर जीती है वह, औरों के खातिर ही मर जाती? पल-पल जीती पल-पल मरती हर क्षण गिरकर फिर संभलती, अपने साहस अपने बल पर, गिरती पड़ती फिर उठती। मान, अपमान, नफरत,तिरस्कार, सब सहती जाती जीवन में। कभी सोचती कभी उलझन है, कभी उलझन को सुलझाती! कभी खुद उलझन में पढ़ जाती, हंस देती सब सह कर वह तो, नही खोलती मन का राज। हर नारी की गाथा है यह, हर नारी की परीक्षा है, चाहे रानी महारानी हो जग में, चाहे गरीब भीलनी वन की हो। चाहे सीता सतवंती नारी हो, चाहे प्यारी राधा रानी हो , चाहे सती सावित्री मीरा हो, अग्नि परिक्षा नारी की हो। "नारी की गाथा नारी की पहचान बखान कर रहा इतिहास है आज" परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (...
घूंघट
कविता

घूंघट

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** सिमट गया घूंघट देहली तक, सिमत गया घूंघट घर द्वार, सिमट गया घूंघट होठों पर, सिमट गया चित्रों में आज। घूंघट में अब लाज छुपी नहीं, घूंघट में अब शान छुपी नहीं, मान सम्मान की बात छुपी नहीं, घूंघट में अब शर्म छुपी नहीं। घूंघट में अरमान छुपे नहीं , घूंघट में कुछ बात छुपी नहीं, घूंघट में अब मान छुपा नहीं, घूंघट में कुछ राज छुपा नही। घूंघट में अब मान बिक रहा, घूंघट में सम्मान बिक रहा, घूंघट अब बाजार बन रहा, घूंघट अब व्यापार बन रहा। घूंघट कवियों की वाणी मै, घूंघट कविताओं की लेखनी मै, घूंघट बड़े बूढ़ों का मान, घूंघट राजपूतो की शान, मर्यादा और सम्मान का भाव। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूम...
फटा बनियान
कविता

फटा बनियान

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** फटे बनियान का राज बहुत है, पिता के मन का भाव जुडा़ है, छुपा है उसमें कहीं है राज, देखो एक पिता का त्याग। जोड़-जोड़ कर आगे बढ़ता, कंजूसी उस पर है थोपता, छिन-छिन हो जाये जब तक ना आप। बच्चों की हर उमंग तार मै, डॉक्टर इंजीनियर का राज तार मै, परिवार का हर भार तार मै, कई भोझ का भार तार मै, नहीं खरीदता पहने रहता, कोई आए उसे ढक वह लेता, कई दिल के अरमान है तार। सूरज की तपन है सहता, लाज शर्म मेहनत है तार मै, अपनी धुन अपना एक भाव, आगे बढ़ना उसका काम। अपने मन पर कंट्रोल हर वक्त है, नहीं चलेगी किसकी बात, फटी बनियान का बड़ा है राज, फिर भी जीता यथार्थ में आज। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन वि...
समय का फेरा
कविता

समय का फेरा

किरण विजय पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** किसी ने कहाँ अच्छा हूँ मै, किसी ने कहा बुरा हूँ मै, अच्छा बुरा कोई नही होता? बस समय का बदलाव है रहता। अच्छे मै सब अच्छा लगता, बुरे मे सब बुरा दिखता, सोच-सोच का फर्क है मन मै, यही समय का फेरा रहता। बुरा वक्त है मौन हो जाओ, अच्छे मै आगे बढ़ जाओ, नही तो समय को चूक जाओगे। यही शतरंज की चाल है भय्या। बिखर गयी है गोटी सारी, राजा, वजीर, घोडा़ और हाथी, जाओगे तब सिमट जायेगी, एक डिब्बे मै बन्द सब भाई। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्र मंडल जबलपुर से सम्मानित २. अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन से सम्मानित ३. राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौ...
सवारी महाकाल की
स्तुति

सवारी महाकाल की

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** चली सवारी ठाठ से, महाराजा महाकाल, २१ तोपों की देते सलामी पुलिस बैंड के साथ। कहार पालकी ले चले, देखो उनके भाग्य, शिव धाम के बने अधिकारी, बाबा जिनके साथ। भोले की भक्ति में, मस्त हुए सब संत, भूत पिशाच मस्त हुए, दानव दैत्य ले संग। राजा राजसी वेष में, ठाट बाट के साथ, अगवानी करते चले, भाला त्रिशूल ले हाथ। राम सीता है बने, देखो नर और नार, दशानन भारी है बना शंकर भक्त महान। भक्त चले हैं झूमते, नाचे गाये मस्त, भक्ति में देखो डूबे, झाझ करताल ले संग। द्वारकाधीश से है मिले महाकाल महाराज, पहने माला बिल पत्र, तुलसी दल महाराज। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय सा...
मातृत्व दिवस
कविता

मातृत्व दिवस

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** माँ को मै पलको पे रख लूँ, उनकी बाते सर पर रख लूँ, गुढ रहस्य की बाते माँ मै, इतिहास के पन्ने हे माँ मै, जीवन के सब सपने माँ मै, खाने का भण्डार है। (अन्नपूर्णा) माँ मै, बीते दिनो की याद है माँ मै, संस्कृति और संस्कार है माँ मै, मान और सम्मान है माँ मै, दुनिया के हर अनुभव माँ मै। घर मै एक वर्चस्व ही माँ है, घर की एक रौनक ही तो माँ है, बच्चो का तो सब कुछ माँ है, जीवन का एक पथ ही माँ है, भले बुरे की पहचान है माँ मै, मन के भाव की पहचान है माँ मै, गम को पीना खुशी से रहना, सबको लेकर साथ है चलना, यही भाव तो माँ रहता, घर मै सदा सजग है रहना, चौकन्ना सदा ही रहना, यह सब तो माँ मै ही रहता, मेरा तो यह अनुभव दिल का, बिन माँ के हम (बच्चा) पथ विहीन है रहता, जीवन का पथ माँ से मिलता, शिखर को छूने का साहस दे...
मीठी मनवार
कविता

मीठी मनवार

किरण पोरवाल सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) ******************** माँ की देखो मीठी मनवार बचपन से करती वह प्यार। पुचकार-पुचकार माँ दुध पिलाती, जिद्दी पर माँ उसे सहलाती, अपने हाथ माँ सीर पर घुमाती, मीठा-मीठा लाड़ लडाती, रोने पर माँ दुखी होजाती, कही नजर ना इसे लग जाये, अपने आँचल से उसे छुपाती, राई लून से नजर उतारे, काला टीका उसे लगावे, मीठी मनवार करे देखो लाड़। पलना झुले देखो लाल। पैरो पर माँ उसे लेटाती बडी हिफाजत से उसे नहलाती, नैनो मे कही नीर ना ढल जाये देखो कैसे उसे बचाती। माँ तो बस माँ होती हैं, मीठी मनहार से उसे सुलाती। मीठी मीठी लोरी गाती, पलने मै माँ उसे सुलाती। परिचय : किरण विजय पोरवाल पति : विजय पोरवाल निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी.कॉम इन कॉमर्स व्यवसाय : बिजनेस वूमेन विशिष्ट उपलब्धियां : १. अंतर्राष्ट्रीय साहित्य मित्...