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Tag: नील मणि

गर्व
कविता

गर्व

नील मणि मवाना रोड (मेरठ) ******************** धरा आज गर्व से इठलाई बेटियां विश्व कप ले आईं भारत ने फिर दिवाली मनाई हमनप्रीत ने की टीम अगुआई शिकस्त दे दक्षिण अफ्रीका को विश्व विजेता टीम कहलाई। शेफाली की धुआंधार बल्लेबाजी दीप्ति शर्मा की तूफानी गेंदबाजी देख कप्तान वाल्वर्ट टीम लड़खड़ाई देख कप्तान वाल्वर्ट टीम लड़खड़ाई दीप्ति ने पांच विकेट चटकाई २४६ रन पर हुए सब धराशाई सात बार विजयी ऑस्ट्रेलिया टीम बुलंद हौसले से हराई गूंज रही आज हर दिल शहनाई। परिचय :- नील मणि निवासी : राधा गार्डन, मवाना रोड, (मेरठ) घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।...
मैं सौमित्र
पुस्तक समीक्षा

मैं सौमित्र

सुधा गोयल द्वारा लिखित उपन्यास ‘मैं सौमित्र’ की समीक्षा लेखक :- नील मणि मवाना रोड (मेरठ) *************** विदुषी, प्रबुद्ध, सुविख्यात लेखिका श्रीमती सुधा गोयल जी ने अपने उपन्यास ‘मैं सौमित्र’ में रामचरित मानस के पात्रों का ‘मानवीकरण चिंतन’ कर वाकई साहस पूर्ण कृत्य किया है। प्रस्तुत हैं उपन्यास के कुछ अंश- मर्यादा पुरुषोत्तम राम का अनुज लक्ष्मण इतना दीन हीन कैसे हो सकता है? जिसकी अपनी कोई इच्छा ना हो। बच्चे का स्वभाव अक्सर अपने जन्म दाता अर्थात माता पिता के ऊपर जाता है। यानी दशरथ और सुमित्रा। क्या सुमित्रा वास्तव में राजपुत्री थी या दासी? इस किताब की खोज यहाँ से प्रारंभ हुई। राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया और अग्निदेव स्वयं खीर लेकर प्रकट हुए। कौशल्या, केकैयी राजा को प्रिय थी। इसी से आधी खीर कौशल्या को दी। तदनंतर सुमित्रा आ गई। तो बची खीर के दो भाग कर एक केकैयी को दिया। फिर बची...
चूहा दौड़
कविता

चूहा दौड़

नील मणि मवाना रोड (मेरठ) ******************** घर-घर त्रस्त माता-पिता ग्रस्त रिश्ते ध्वस्त सपना त्यागे पल-पल जागे अच्छी परवरिश को सब सुख के त्यागे बच्चे युवा हुए कभी खुश कभी खफा हुए कामनाएं जगीं मोह, अहंकार पंख पसारे भय, भ्रम के मारे कच्चे अनुभवहीन बच्चे विचारों की गहराई क्या जाने माता-पिता से उलझ उनकी सहनशीलता क्षमाशीलता की सीमा लांघें। परिचय :- नील मणि निवासी : राधा गार्डन, मवाना रोड, (मेरठ) घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाई...
पौराणिक सच- हमारे पुराणों का सच
पुस्तक समीक्षा

पौराणिक सच- हमारे पुराणों का सच

सुधा गोयल द्वारा लिखित 'पौराणिक सच' पुस्तक की विवेचना लेखक :- नील मणि मवाना रोड (मेरठ) *************** हिंदू धर्म में वर्णित १८ महा पुराणों (एक पुराण लगभग ७००-१००० पेज) के गहन अध्ययन के बाद लेखिका श्रीमती सुधा गोयल जी ने "पौराणिक सच" नामक किताब में अलंकारिक व शुद्ध साहित्यिक हिंदी भाषा में कुछ चमत्कृत व हैरान कर देने वाले तथ्य चुन चुन कर कहानी के रूप में पाठकों की थाली में परोसे हैं। सन २०२२ में ‘नमन प्रकाशन’ नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित "पौराणिक सच" की कहानियां को पढ़ने के बाद पुराणों में वर्णित पाठ्य सामग्री की झलक स्पष्ट हो जाती है। मेरी तमन्ना रही थी कि कुछ पुराणों का अध्ययन करूं, जो "पौराणिक कथाओं का सच" जानकर काफी हद्द तक तृप्त हो गई है। पुराणों में देवताओं की भोग, छल कपट व ईर्ष्या की प्रवृत्ति सर्वत्र वर्णित है। लेखिका ने पौराणिक सच की भूमिका में साहसिक तौर पर लिखा है कि प...
मैं बनाम तुम
कविता

मैं बनाम तुम

नील मणि मवाना रोड (मेरठ) ******************** इंस्टेंट मैगी सा रिश्ता क्यों हो गया इतना सस्ता सरे बाजार जुड़ता है फिल्मों सा जलवा बिखेरता है चंद लम्हों की चमक-दमक दिखा सिमटने लगता है दो परिवारों का विश्वास चंद पलों में दरकने लगता है। कहां गया वो अपनापन, समर्पण, त्याग… रिश्ता निभाने का वो भाव, एक टीम का सुविचार, हमारे फैसले, हमारा अधिकार हमारी खुशी, हमारा घर, हमारे बच्चे ‘हम तुम अपने’ क्यों ‘स्व’ बदला अहम् में, आया एहसान, त्याग का हिसाब असंतोष, ईर्ष्या, आक्रोश व बहिष्कार का विचार विद्रूप और हिंसक, क्रोध भरा अहंकार। कल्पना लोक में विचराते मीडिया के झूठे इश्तहार बच्चों को बहकाते नकारात्मकता ओढ़ाते विवेकशीलता का संतुलन डगमगाते रिश्तों में षड्यंत्र की दरारें डलवाते ये इश्तहार वास्तविकता पहचानें कल्पना लोक से उबरें ना भटकें बने होशियार। परिचय :- नील मणि...
स्वीकार
कविता

स्वीकार

नील मणि मवाना रोड (मेरठ) ******************** स्वयं को स्वीकार कर तो देखो चित्त को साध कर तो देखो मन की लगाम थाम कर तो देखो गुण अवगुण स्वीकार कर तो देखो ना चोर कहे मैं चोर ना हिंसक कहे मैं हिंसक ना क्रोधी कहे मैं अक्रोधी ना निकम्मा कहे मैं लुल गंदगी छिपे ना इत्र छिड़काने से छिपे रोग को उजागर कर तो देखो स्वीकार लो सत्य को खुलकर बह जाकर तो देखो ज्ञान रोशनी है मन के अंधेरे तक पहुंचा कर तो देखो। परिचय :- नील मणि निवासी : राधा गार्डन, मवाना रोड, (मेरठ) घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्र...
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस
कविता

अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस

नील मणि मवाना रोड (मेरठ) ******************** संयुक्त परिवार सबका, सबके लिए वैश्विक आवाहन परिवार गौरव, सुरक्षा, एकता का पवित्र आलिंगन जीवन की पहली श्वास को गर्माहट भरा चुंबन हर आंसू का आश्रय गृह, विश्वास और रंजन सपनों को संस्कारों के पंखों की उड़ान का सृजन रिश्तों के स्नेहिल धागों में लिपटा प्यारा आचरण परिवार, समाज, संस्कृति, राष्ट्र प्रगति का जागरण समय, संवाद, समर्पण के महत्व का अनोखा मंच व सिंचन। परिचय :- नील मणि निवासी : राधा गार्डन, मवाना रोड, (मेरठ) घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्र...
बदलाव
कविता

बदलाव

नील मणि मवाना रोड, (मेरठ) ******************** किसी को बदलने की कोशिश कभी नहीं करनी चाहिए हां अगर चाहें तो कोशिश करें स्वयं में कुछ परिवर्तन जरूर ला सकते हैं दूसरों के अनुकूल स्वयं को बना सकते हैं स्थिति में संतुलन बैठ सकते हैं दो विपरीत दिशाओं को मिला सकते हैं कोशिश जरूर करनी चाहिए बंधने में ही सार्थकता है टूटना अंतहीन है, दुखद है अपने लिए तो सभी जीते हैं किसी और के लिए भी जी कर देखना चाहिए। परिचय :- नील मणि निवासी : राधा गार्डन, मवाना रोड, (मेरठ) घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि ...
माँ- एक सुखद अनुभूति
कविता

माँ- एक सुखद अनुभूति

नील मणि मवाना रोड, (मेरठ) ******************** चाँद तारों सा बचपन चाँद तारे हो गया मां जब से दूर हुई बचपन खो गया फ्रॉक से लेकर साड़ी तक खूब सजाया तुमने लाडली के हर आंसू पर स्नेहांचल फैलाया तुमने कुछ बन जाऊं मैं रोज सवेरे जगाया तुमने सफेद कोट बुन डॉ. ख्वाबों में बनाया तुमने कभी मलाई आम तो कभी मालपुए का स्वाद चखाया तुमने हर क्षेत्र में प्रवीण हो लाडली हर दांव चलाया तुमने जब भी उदास मन हुआ शोहदों की शरारतों से 'देखने की चीज हो तुम' कह विश्वास जगाया तुमने अंजाने में दिए मेरे दुख को, कण्ठ भी उतारा तुमने अपनी परी के हर एहसास को गले लगाया तुमने नाज है मां तुम पर.. तुम्हारी स्नेहाशीष सीखों पर आज आश्वस्त हूँ इसीलिए माँ, मैं अपने आप पर। परिचय :- नील मणि निवासी : राधा गार्डन, मवाना रोड, (मेरठ) घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौल...