अक्षर-अक्षर प्यार लिखें …
भीमराव झरबड़े 'जीवन'
बैतूल (मध्य प्रदेश)
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मानवता को जिंदा रखने,
अक्षर-अक्षर प्यार लिखें।
कलम कसाई बनकर हम क्यों,
दुखड़ों का अंबार लिखें।।१
बीज प्रीति के रोपित करने,
मानव के बंजर उर पर,
श्रम सीकर-सा सींच-सींच हम,
करुणा के उद्गार लिखें।।२
छंदों के उद्यान उगा हम,
महकाने वाले जग को,
पंक्ति-पंक्ति में बस मानव के,
सद्कर्मों का सार लिखें।।३
दिल के सम्यक् संयोजन कर,
भरें मधुरिम काव्य के रस,
कलुष भाव के भेद मिटा हम,
प्रणय युक्त संसार लिखें।।४
विश्व शांति हो विश्व पटल पर,
लहराएँ हम वह परचम,
भाल भारती का हो उन्नत,
ऐसा लोकाचार लिखें।।५
जला ज्ञान के दीप जगाएँ,
हो जिनके घर अँधियारा,
सत्पथ के राही हैं जितने,
हम उनका आभार लिखें।।६
हो'जीवन'खुशियों से रोशन,
मिट जाये अवसाद सभी,
रोम-रोम में इस मिट्टी से,
हम कुसुमित श्रंगार लिखें।।७
परिचय :- भीमराव...