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Tag: अर्चना तिवारी “अभिलाषा”

माँ का गुणगान
कविता

माँ का गुणगान

अर्चना तिवारी "अभिलाषा" रामबाग, (कानपुर) ******************** किन शब्दों से करूँ माँ का गुणगान । सृष्टि की जो है शोभा, है रत्नों की खान।। जिसकी ममता से सुरभित होता सकल यह संसार। शाश्वत प्रेम से परिपूरित जिसका हृदय महान।। रक्त की बूँदों को कर संयोजित बनती सृजन हार। पल्लवित होता बीज अंतस में होता चमत्कार।। अपने स्नेहिल वात्सल्य से जब उसका पोषण करती है । वह पुष्प कुसुमित होता पाता मां का दुलार।। माँ की महिमा का कोई नहीं है पार। माँ के हाथों होता है बच्चों का उद्धार।। दुष्कर राहों में बन जाती सहारा, जब बीच भंवर में फंसती है नाव की पतवार। लबों पर जिसके हर पल दुआएं सजती हैं। साँची प्रीति हृदय में जिसके हर पल ही पलती है। हृदय में सच्ची आस लिए प्रतिपल बच्चों का चिंतन करती है।। माँ ईश्वर का है अनमोल उपहार चरणों में जिसके स्वर्ग का द्वार.... आद...
शुभम सनातन वर्ष
स्तुति

शुभम सनातन वर्ष

अर्चना तिवारी "अभिलाषा" रामबाग, (कानपुर) ******************** चैत्र शुक्ल की प्रतिप्रदा, शुभम सनातन वर्ष। सृष्टि रची भगवान ने, जीवन हो उत्कर्ष।। तन मन को निर्मल करे, चैत्र सुदी नवरात्र। नियम-धरम से जो रहे, बनता सुख का पात्र।। प्रभुवर ने इस माह में, ले मत्स्य अवतार। मनु की रक्षा खुद करी, नाव उतारी पार।। पावन निर्मल माह ये, शुचिता से भरपूर। ईश्वर की जिन पर कृपा, रहें दुखों से दूर।। नौ दिन हैं नवरात्रि के, करें हृदय सुखधाम। नवमी तिथि पावन बड़ी, जन्में हैं श्री राम।। चैत्र सुदी नवरात्रि में, सजे मातु दरबार।। घट की होती स्थापना, बँधते बन्दनवार।। मैया मेरी आ गयी, ध्वजा लिए हैं हाथ। रक्षा माँ सबकी करो, चरण झुकाऊँ माथ।। मातु भगवती पाठ से, होती विपदा दूर। ध्याएँ निर्मल भाव से, कृपा मिले भरपूर।। परिचय :-  अर्चना तिवारी "अभिलाषा" पिता : स्वर्गीय जगन्नाथ प...
जयति माँ शीतले
स्तुति

जयति माँ शीतले

अर्चना तिवारी "अभिलाषा" रामबाग, (कानपुर) ******************** आज शीतला अष्टमी, करो मातु का ध्यान । रोग अंग के दूर हों, महिमा बड़ी महान ।। सूप कलश झाड़ू लिए, और नीम के पात। गर्दभ पर बैठी हुईं, आई मेरी मात ।। दर्शन कर लो मातु का, चरण झुकाओ माथ । कृपा करेंगी शीतले, धरें शीश पर हाथ ।। सुख समृद्धि की कामना, विनती बारंबार । कलुष हृदय का माँ हरो, हर लो रोग विकार ।। सच्चे मन से मातु का, करता है जो ध्यान । नित्य कृपा माँ की मिले, होता है कल्यान ।। जयति-जयति माँ शीतले, करूँ तुम्हारा ध्यान । नित्य कृपा मिलती रहे, माँगू माँ वरदान ।। परिचय :-  अर्चना तिवारी "अभिलाषा" पिता : स्वर्गीय जगन्नाथ प्रसाद बाजपेई माता : श्रीमती रानी बाजपेयी पति : श्री धर्मेंद्र तिवारी जन्मतिथि : ४ जनवरी शिक्षा : एम ए (राजनीति शास्त्र) बी लिब- राजर्षि टंडन ओपेन यूनिवर्सिटी-प्रयागराज निव...
त्रिभंगी छंद आधारित शिव स्तुति
छंद

त्रिभंगी छंद आधारित शिव स्तुति

अर्चना तिवारी "अभिलाषा" रामबाग, (कानपुर) ******************** त्रिभंगी छंद आधारित शिव स्तुति १ जय -जय शिव शंकर, प्रभु अभ्यंकर, नाथ महेश्वर, भंडारी। हे जग अखिलेश्वर, प्रभु परमेश्वर, हे गिरिजेश्वर, त्रिपुरारी।। यह मन है चंचल, होता विह्वल, घुलता पल-पल, माया में। प्रभु पार लगाओ, दरश दिखाओ, मत भटकाओ, काया में।। २ मद लोभ फँसी मैं, क्रोध धँसी मैं, विरह हँंसी मैं, हे भगवन्। माया में अटकी, दर-दर भटकी, दुख में लटकी, हे त्रिभुवन।। उर पीर बड़ी है , विकट घड़ी है, नीर झड़ी है, गिरिजेश्वर। हे नाथ उबारो, संकट टारो, मुझे सम्हारो, अखिलेश्वर।। ३ रोते हैं नैना, उर बेचैना, पीड़ित बैना, प्रभु मेरे। हूँ लाज गड़ी मैं, द्वार खड़ी मैं, शरण पड़ी मैं ,प्रभु तेरे।। मम त्रास मिटाओ , हृदय लगाओ, अंक बिठाओ, हे दाता। प्रभु विनती करती , नाम सुमिरती , धीरज धरती, जग त्राता।। ४ हे नाथ मह...
गणेश स्तुति
भजन, स्तुति

गणेश स्तुति

अर्चना तिवारी "अभिलाषा" रामबाग, (कानपुर) ******************** भाद्रचतुर्थी तिथि अति पावन । शंभु उमा के पुत्र गजानन ।। शुभम दिवस जन्में श्री कंता । संकट नाशक प्रभु भगवंता ।। प्रथम पूज्य हे गिरिजानंदन। प्रतिपल करूँ तुम्हारा वंदन ।। मातु-पिता के तुम हो प्यारे। गौरी नन्दन शंभु दुलारे ।। बुद्धि प्रदाता हे गणनायक। संतति सुख के तुम हो दायक ।। सकल मनोरथ पूरण करते । भक्तों के प्रभु दुख हैं हरते ।। हे लंबोदर भवभय हारी । शूर्पकर्ण पीताम्बरधारी ।। लड्डू मोदक अति मन भावे । नरियल का नित भोग लगावे ।। दूब-शमी प्रभु को है प्यारी । धूप-दीप प्रभु पे बलिहारी ।। सच्चे मन जो करते सेवा । पूर्ण मनोरथ करते देवा ।। तुम्हरी महिमा जग से न्यारी । मूषक की तुम करो सवारी । जिन पर होती कृपा तुम्हारी । धन्य-धन्य होते नर-नारी ।। हे गजवंदन हे गणनायक । भक्तों के प्रभु तुम हो...
रंगमंच सी है ये दुनिया
छंद

रंगमंच सी है ये दुनिया

अर्चना तिवारी "अभिलाषा" रामबाग, (कानपुर) ******************** सरसी छंद :- रंगमंच सी है ये दुनिया, हम सब हैं किरदार। जाना सबको इस दुनिया से, खाली हाथ पसार।। फिर काहे की उलझन भइया, काहे की तकरार। हँसी खुशी से मिल लो सबसे, मिले दिवस हैं चार।। परिचय :-  अर्चना तिवारी "अभिलाषा" पिता : स्वर्गीय जगन्नाथ प्रसाद बाजपेई माता : श्रीमती रानी बाजपेयी पति : श्री धर्मेंद्र तिवारी जन्मतिथि : ४ जनवरी शिक्षा : एम ए (राजनीति शास्त्र) बी लिब- राजर्षि टंडन ओपेन यूनिवर्सिटी-प्रयागराज निवासी : रामबाग, (कानपुर) अभिरुचि : आध्यात्मिक व साहित्यिक पुस्तकों का अध्ययन व लेखन साहित्यिक उपलब्धियाँ : साहित्य संगम संस्थान द्वारा प्रकाशित एकल पुस्तक-काव्यमेध, साझा संग्रहों में रचनाएं प्रकाशित, मासिक ई पत्रिका में श्रेष्ठ सृजन हेतु कविताएं व आलेख प्रकाशित। सम्मान : अम्रता प्रीतम कवियित्री स...