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Tag: अशोक पटेल “आशु”

अभी संघर्ष शुरू हुआ है
कविता

अभी संघर्ष शुरू हुआ है

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** अभी तो संघर्ष शुरू हुआ है पसीने बहाना बाकी है। कोशिश अभी शुरू हुआ है मंजिल पाना बाकी है।। मंजिल की राहें बड़ी कठिन है अभी तो सफर बाकी है। बाधाएँ तो बहुत बहुत आएँगी इम्तिहान अभी बाकी है।। कोई सहारा हमसफ़र नही है पर अभी हौसला बाक़ी है। हौसलों का साहस बुलंद कर तेरा विश्वास अभी बाकी है।। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहान...
ये पितृ-श्राद्ध है पूर्वजों का
कविता

ये पितृ-श्राद्ध है पूर्वजों का

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** ये तर्पण है पितरों को तिल का ये श्राद्ध है पुर्वजों को अन्न का। ये आस्था है बिछड़ों के सेवा का ये विस्वास है अपनो के प्रेम का। ये पर्व है जीवआत्मा के तृप्ति का ये स्मृति है अदृश्य आत्माओं का। ये मोक्ष् है स्व के सभी पुरखों का ये पक्ष है अपने पितर सुतृप्ति का। ये पितृ पक्ष है देवों के भोगों का ये पक्ष है ऋषिमुनि के भोगों का। ये पितृ पक्ष है अनन्त में मिलने का ये पक्ष है ब्रम्हांड में मिलने का। ये पितृ पक्ष है दान–पुण्य देने का ये पक्ष है जीव-ब्रम्ह की सेवा का। ये पितृ पक्ष पुरखों के पिंडदानो का ये पितृ पक्ष है भाद्र के पूर्णिमा का। ये पितृ पक्ष है पवित्रवी आश्विन का ये आस्था है कुलवंश के विकास का। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता ...
साक्षर भारत सक्षम भारत
कविता

साक्षर भारत सक्षम भारत

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** भारत साक्षर होगा भारत सक्षम होगा। विश्व साक्षरता का यह ध्येय है सभी को पढ़ना-लिखना आए। पढ़ना-लिखना बहुत कुछ कहता है हम संस्कारवान बने सुसंकृत बने। हम इस योग्य बने की आत्मनिर्भर हो जाएं। और यह भी कहता है की- एकता भाईचारा और मानवीयता की मिशाल पेश कर सकें। हम राष्ट्रीय भावनाओं का सम्मान करें। इसको आत्मसात करें। तभी हमारा देश सही मायने में साक्षर और सक्षम कहलाएगा। मात्र पढ़ने लिखने से हमारा ध्येय और लक्ष्य पूरा नहीं होगा। ध्येय को पूरा करने के लिए साक्षरता की महत्ता, उपयोगिता को समझना होगा, जानना होगा। साक्षरता अर्थात शिक्षा का विशेष महत्व। राष्ट्र प्रगति करे, सामाजिक बदलाव आए। चिंतन में, रहन–सहन में आमूलचूल परिवर्तन आए। लोगों के सोंच में बदलाव आए। देश,समाज हित के लिए सकारात्मक बदलाव आए। प...
मैं भारत कहलाता हूँ
कविता

मैं भारत कहलाता हूँ

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** मैं धर्म गुरु मैं ज्ञान गुरु मैं आध्यात्म का भी गुरु कहलाता हूँ मैं भारत कहलाता हूँ। मै सूत्रधार मैं मार्गदर्शक मैं नीति न्याय का ध्वजा फहराता हूँ मैं भारत कहलाता हूँ। मैं वेद गीता मैं ही भागवत मैं रामायण, पुराण ग्रंथों का सिरजनहारा हूँ मैं ही भारत कहलाता हूँ। मैं समृद्धि मैं ही वैभव मैं कुबेर सोने की चिड़िया कहलाता हूँ मैं ही भारत कहलाता हूँ। मैं शक्तिशाली मैं सैन्य सामरिक मैं ज्ञान विज्ञान योग का परचम फहराता हूँ मैं ही भारत कहलाता हूँ। मैं स्वतंत्र मैं गणतंत्र मै जनता,जनार्दन लोकतंत्र कहलाता हूँ मैं ही भारत कहलाता हूँ। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह र...
मेरे देश की चंदन पावन माटी है
कविता

मेरे देश की चंदन पावन माटी है

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** मेरे देश की चंदन पावन माटी है यह तो अनमोल हमारी थाती है इस मिट्टी में ही शस्य श्यामला है जहां की हरियाली रंग-रंगीला है। यहां ही बहते सरिता निर्मल है जहां त्रिवेणी संगम कलकल है जहां गंगा जमुना.. की धारा है जो पतित पावन जग से न्यारा है। यह देव धर्म की पावन धरती है जहां ज्ञान भक्ति धारा बहती है यहां पुण्य तीरथ चारो धाम है तेरा अखंड भारत पावन नाम है। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपन...
जिंदगी धूप छांव
कविता

जिंदगी धूप छांव

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** जिंदगी में कभी खुशी है तो कभी आ जाता गम है। दोनो आते रहते हैं बराबर न कोई ज्यादा न कोई कम है। जिंदगी एक अनंत यात्रा है कभी गति तो कभी ठहराव है। कभी देता सुख तो कभी दर्द है जिंदगी धूप तो कभी छांव है। जिंदगी तो एक तलाश है कुछ पाने की एक प्यास है। कड़वी मीठी यह अहसास है कभी दूर है तो कभी पास है। जिंदगी कभी घना अंधियारा तो कभी रोशन उजियारा है। जिंदगी कभी हसीन प्यारा है तो कभी गमों का मारा है। जिंदगी कभी बोझ लगती है तो कभी खुशगवार लगती है। कभी यह उलझन दे जाती है कभी उलझन सुलझा जाती है। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपन...
तुम तो तनमन में समाए हुए हो
कविता

तुम तो तनमन में समाए हुए हो

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** तुम तो तनमन में समाए हुए हो मुझे पाने की तुमको जरूरत नही है। तुम तो मेरे यादों समाए हुए हो तेरी झलक पाने की जरूरत नही है। मेरी आंखों में तुम तो बसी हो तुम्हे पास आने की जरूरत नही है। मेरी साया तुम ही तो बनी हो तुम्हे पाने की मुझको जरूरत नही है। मेरी चाहत मुहब्बत तुम्ही हो मुझे कसमें खाने की जरूरत नही है। मेरा प्यार हमसफर तुम ही हो मुझे वादा करने की जरूरत नही है। मेरे सपनो में नींदों में तुम ही हो तेरा दीदार करने की जरूरत नही है। मेरी हकीकत मेरी मुद्दत तुम हो मुझे सफाई देने की जरूरत नही है। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी ...
चलो घर–घर  तिरंगा  फहराएंगे
कविता

चलो घर–घर तिरंगा फहराएंगे

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** चलो घर–घर तिरंगा फहराएंगे भारत माता का मान बढ़ाएंगे राष्ट्रीयता का अलख जगाएंगे शहीदों को शीश हम झुकाएंगे। रंग जाए आसमान तिरंगा से सफेद हरा और केसरिया से भारत का जय–जयकार गूंजे जन–गण–मन राष्ट्र के गान से। त्याग,बलिदान, व समृद्धि का और शांति का संदेश दे जाएंगे न कोई दुखी रहे न कोई भूखा सबके चेहरे पर खुशियां लाएंगे बलिदानियों की अमर कथा चलो जन–जन को सुनाएंगे शहादत उनकी व्यर्थ न जाए यह मर्म चलो हम समझाएंगे। रण–गाथा है, अनमोल उनकी उस गाथा की स्तुति गा जाएंगे राष्ट्र–धर्म का हम शपथ खाकर भारत का सर ऊंचा उठाएंगे। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
कर हौसला… कर हिम्मत
कविता

कर हौसला… कर हिम्मत

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** कर हौसला, कर हिम्मत, तुझमें तेरा तो अभी इंसान बाकी है। अभी तो संघर्ष शुरू हुआ है तेरा अभी इम्तिहान बाकी है। न डरना कभी न झुकना कभी अभी तो सारा जहान बाकी है। हौसला दिखा, और पर लगा अभी तो तेरा अरमान बाकी है। जो डर गया वो बिखर गया, अभी तो स्वाभिमान बाकी है। कब तक बेबस जिंदगी जीएगा अभी तो तेरा सम्मान बाकी है। कब तलक सम्मान खोते रहोगे अभी तेरा अधिकार बाकी है। यह तो, अधिकार की लड़ाई है अभी तो तेरा हुंकार बाकी है। कमर कसना होगा भिड़ना होगा अभी तो तेरा जोश बाकी है। किसी के बहकावे में मत आना अभी तो तुझमें होश बाकी है। मत हो परेशान, मत हो हलाकान अभी तो तेरा मंजिल बाकी है। मत हार हौसला, मत हार हिम्मत अभी तो तेरा साहिल बाकी है। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति ...
प्रीत पिया की याद सताए
कविता

प्रीत पिया की याद सताए

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** आयो पावस बरसे बरखा यह तन-मन अब तड़पायो। दूर गयो परदेश पिया जी प्रिया का मन है तरसायो। पिय मिलन की आस में विरहीन नीर है बहायो । यादों के गहरी सागर में डूबती सी है नजर आयो । मन में प्रीत अगन लगे है पल-पल धधकता जाए रे। आ जाओ पास पिया तुम तुम से शीतल हो जाए रे । प्रीत पिया की याद सताए मन तड़पा -तड़पा जाए। तुम बिन अब चैन नही है अब तुमसे रहा न जाए। आ जाओ प्रियतम मेरे प्रीत से तन-मन भर दो। प्रीत में तेरे मैं रंग जाऊँ मन की पीड़ा मेरा हर दो। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक...
हिन्दू जागो और हिंदुत्व जगाओ
कविता

हिन्दू जागो और हिंदुत्व जगाओ

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हिन्दू जागो और हिंदुत्व जगाओ सोया हुआ स्वाभिमान जगाओ। कब तक दुष्टता का जहर पिओगे खोया हुआ अब सम्मान जगाओ। जनजन जागो हिन्दू भाई जागो सनातन धर्म का झंडा फहराओ। कब तक धर्म का अपमान सहोगे भरतवंश का अब यह देश बचाओ। राष्ट्र-धर्म का अब कर्तव्य जगाओ न्याय-धर्म का अब हुँकार लगाओ। कब तक अनीति का भेंट चढ़ोगे पावन मिट्टी का उपकार चुकाओ। शंख-नाद का अब हुंकार लगाओ। शिव-तांडव का अब नर्तन दिखाओ कब तक तुम बहरे और गूंगे रहोगे दिव्य दृष्टि और दिव्य रूप दिखाओ। इंसानियत की अब अस्मिता बचाओ जाति धर्म का अब दीवार गिराओ। कब तक नफरतों की बलि चढ़ोगे दुष्ट-दानवों की अब बलि चढ़ाओ। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार स...
आगे दिन किसानी के
आंचलिक बोली

आगे दिन किसानी के

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** काँटा खूंटी ल बिन ले सँगी मेड़ पार ल चतवार ले। आगे हे दिन किसानी के सँकेल के आगी बार दे। चारो कोती खातु कुड़हा टेपरी डोली भर म पाल दे। बाढ़े सब कांदी-कचरा ल खन-खन के ओला टार दे। परछी उतरे हे मेड़ पार म तीरे-तार ल ढेलवानी दे-दे। खेत के भोरका डबरा ल खन के रापा-रापा पाट दे। मेड़ बनगे हे रोठ-रोठ मुही ओ मेड़ जम्मो ल सुधार दे। मेड़ जम्मो म माटी भर के सुग्घर मेड़-पर ला सवाँर दे। बिजहा तिल राहेर हिरवा ल मेड़-पार सब्बो कती छिंच दे। खेत के सुग्घर जोताई करके धान बिजहा ल बोवाई कर दे। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिया...
कोई तो चीत्कार  सुने उसकी
कविता

कोई तो चीत्कार सुने उसकी

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** भरी बरसात के मौसम में भी नदियाँ वीरान सी लगती है कोई तो चीत्कार सुने उसकी वह खाली-खाली लगती है। सारी नदियाँ दूर-दूर तलक बंजर जमीन सी लगती है बन गई शहर का कूड़ादान इसे देख नदियाँ सिहरती है। आज नदियाँ मैली लगती है नाली सी वह काली हो गई गंदे पानी से हुई वह कुत्सित मीठे जल से वंचित हो गई। सारे घाटों का बंदरबाट हुआ सुना-सुना पनघट घाट हुआ सब जीव-जंतु पानी को तरसे पूरी नदियाँ श्मशान घाट हुआ। यह नदियाँ हमेशा चीख रहीं कोई तो उसकी पुकार सुनो गङ्गा की तरह यह भी लहराए कोई तो उसकी गुहार सुनो। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी ...
पिता
कविता

पिता

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** पिता पालक है, जनक है पुत्र का सहारा है, सर्जक है। पिता निर्माणक है, साधक है पुत्र के लिए मार्गदर्शक है। पिता पथ है, आधारशिला है पुत्र के लिए, कवच किला है। इसका साया जिसे मिला है वही फूल की तरह खिला है। पिता तरु है, शीतल छाँव है पुत्र का नही कोई अभाव है। पिता मन की भाषा भाव है पुत्र पिता का आविर्भाव है। पिता पुत्र के लिए पतवार है पिता पुत्र का, पालनहार है। पिता पुत्र का सर्जनहार है पिता पुत्र का घर संसार है। पिता ही तो भाग्यविधाता है पिता पुत्र का अटूट नाता है। पिता घर को स्वर्ग बनाता है पिता पूत को सपूत बनाता है। पिता मंजिल को दिखाता है पिता ही चलना सिखाता है। पिता अपना धर्म निभाता है पिता पुत्र को कर्मठ बनाता है। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत...
पिता ही भगवान हैं
कविता

पिता ही भगवान हैं

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** वो बच्चे बहुत ही खुशनसीब हैं। जिनके सर पर पिता का साया है। वो बच्चे बहुत सौभाग्यशाली हैं। जिसने पिता के प्यार को पाया है। पिता हैं तो बच्चे को कोई गम नही। पिता हैं तो पुत्र नवाब से कम नही। पिता खुशियों से ही भरा सागर हैं। पिता आशीषों का महासागर हैं। पिता पुत्र के लिए ही अभिमान हैं। पिता पुत्र के लिए स्वाभिमान हैं। पिता पुत्र के लिए ही भगवान हैं। पिता पुत्र के लिए बड़ा वरदान हैं। पिता में पुत्र के लिए, अपनापन है। पिता बिना, पुत्र का जीवन सूनापन है। पिता बिना, पुत्र का सुना बचपन है। पिता पुत्र का प्रेरक, मार्गदर्शक है। पिता से ही पुत्र का जीवन सार्थक है। पिता ही सब कुछ हैं, अभिभावक है। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : ...
मधुमय प्याला छलका दो
कविता

मधुमय प्याला छलका दो

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** मेरे हृदय का आँगन है सुना-सुना सुरभित प्यार की बगिया खिला दो। सदियों से हूँ मैं तेरे प्यार का प्यासा तू बनके बरखा मेरी प्यास बुझा दो।। बन जाओ तुम मेरी मधुमय साकी प्यार का मधुमय प्याला छलका दो। हो जाऊँ मैं भी तेरा मदमस्त दीवाना बस मुझको थोड़ा-थोड़ा बहका दो।। बनके होठों का प्याला तुम जरा सा मुझको मधुमय रस का पान करा दो। हो जाऊँ मैं मगन मदहोश भम्रर सा हृदय से मुझको आलिंगन करा दो।। प्यार में छा जाए कुछ ऐसी मदहोशी ऐसी होश न मुझको कभी भी आए। प्यार का ऐसा जाम पीला दे तू साकी कि उमर भर फिर चाहत न रह जाए।। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
मोर भुइयाँ के करवँ गुनगान
कविता

मोर भुइयाँ के करवँ गुनगान

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** मोर भुइयाँ के करवँ गुनगान तोर महिमा है जग म महान। तोर कतका करवँ मैं ह बखान तोर गढ़ हे इहाँ सरग समान। ए माटी ह हावय पावन भुइयाँ जनजन ह तोर ध्यान धरइया। नित-नित हे तोर मान करइया तोर माटी ल हे माथ लगइया। तँय हर देवी तँय हर ओ माता जनम-जनम के तोर से नाता। तहीं ह माता तहीं ओ बरदाता तय हर ममता के खान माता। छत्तीस ठन तोर कुरिया-डेहरी छत्तीस-ठन हे तोर घर-दुवारी। तहीं हर,माता सब्बो के दुलारी तयँ हर बने सब्बो के महतारी। तोर कोरा हावय सरग ले बड़के तोर महिमा हावय अड़बड़ भारी तोर अँचरा हावय शीतल छईहा चारो धाम बरोबर सुग्घर न्यारी। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलि...
कभी आँसु पोंछ करके तो देख
कविता

कभी आँसु पोंछ करके तो देख

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** कभी किसी के आँसु पोंछ करके तो देख बेवजह तेरे आँसु कभी बहेंगे तो कहना। कभी किसी के दर्द बांट करके तो देख बेवजह तुझे कभी दर्द मिलेंगा तो कहना। कभी तू किसी के सहारा बनके तो देख बेवजह कभी बेसहारा बनेगा तो कहना। कभी किसी के भूख को मिटा के तो देख बेवजह कभी बिना खाए सोएगा तो कहना। कभी किसी के प्यास बुझा के तो देख बेवजह तू कभी प्यासा होगा तो कहना। कभी किसी की छत्र छाया बन के तो देख बेवजह तू छाया से वंचित होगा तो कहना। कभी किसी के लिए हाथ बढ़ा के तो देख बेवजह कोई अपना हाथ खींचेगा तो कहना कभी किसी के लिए इंसान बनके तो देख बेवजह कोई तेरा हैवान बनेगा तो कहना। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सु...
बेटी अउ बेटा एके बरोबर
आंचलिक बोली

बेटी अउ बेटा एके बरोबर

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** बेटी अउ बेटा एके बरोबर दुन्नो होथे घर के धरोहरर। बेटी अंगना के फुलवारी त बेटा आय घर के माली। बेटी सुख-दुख के सँगवारी त बेटा से होथे पूछ-पुछरी। बेटी दु कुल के लाज होथे त बेटा से कुल के मान होथे। बेटी हमर पहिचान होथे त बेटा से एकर धियान होथे। बेटी करम के पूजा होथे त बेटा धरम के धजा होथे। बेटी सृष्टि के आधार होथे त बेटा ओकर रखवार होथे। बेटी ह सरग के द्वार होथे त बेटा घर के जिम्मेदार होथ। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रक...
बिरवा हम लगाबो
आंचलिक बोली, कविता

बिरवा हम लगाबो

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** आवव संगी आवव, बिरवा हम लगाबो आवव संगी साथी, भुइया हम सजाबो गांव के गली पारा म चउक-चउक हटवारा म धरती म बिरवा जगाबो आवव संगी आवव.... खेत-खार सुन्ना होंगे, मेड़ घलो सुन्ना बनिस नावा डाहर त, कटगे पेड़ जुन्ना छइहा ह नोहर होंगे, कहां सुख पाबो आवव संगी आवव.... चिरई-मन खोजत हावे, रुखुवा के थइहा तरसत हे छइहा बर, गांव के हे गंवतरिहा झिलरी अउ झाड़ी छईहा रद्दा ल बनाबो आवव संगी आवव.. घर-अंगना खोर गली, अउ जमो मोहाटी खेत-खार, मेड़-पार अउ घलो चौपाटी गोकुल के धाम सही चला अब सुघराबो आवव संगी आवव.... नरवा के तीर घलो, पारे-पार तरिया फुलवारी लागे कलिन्दी कछार नदिया गाँव-गाँव शहर-नगर ल मधुबन बनाबो आवव संगी आवव.... धरती के तापमान तभे तो सुधरही झमाझम रुखुवा म धरती सवँरही आही बादर करिया अउ पानी बरसाबो आवव संगी आवव.....
बरसते आँसुओं को देखो
ग़ज़ल

बरसते आँसुओं को देखो

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** देखना है तो बरसते आँसुओं को देखो मुस्कुराते हुए इन होठों में क्या रखा है। पोछना है तो बहते आँसुओं को पोंछो बेवजह!दुख व दर्द देने में क्या रखा है। देखना है तो कराहते आहों को देखो किसी के झूमते कदमो में क्या रखा है। बाँट सको तो किसी को खुशियाँ बाँटो बेवजह!खुशियाँ छिनने में क्या रखा है। देखना है तो तरसते आँखों को देखो किसी के खुश जिंदगी में क्या रखा है। दे सको आंखों को चैन का चमक दो बेवजह!आँसु को देने में क्या रखा है। देखना है तो बेबस लाचारों को देखो किसी के मस्त जिंदगी में क्या रखा है। दे सको तो उनको कुछ सहारा दे दो बेवजह!बेसहारा करने में क्या रखा है। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षि...
तेरे चरणों मे माँ तीरथ द्वार है
कविता

तेरे चरणों मे माँ तीरथ द्वार है

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** माँ मैं कहाँ जाऊँ, कहाँ भटकूँ तेरे चरणों मे ही तीरथ द्वार है, सारे देवता हैं माँ तेरे चरणों मे नमन करूँ तुझको बारम्बार है। करूँ स्तुति मैं, करूँ आराधना करूँगा मैं तेरा, नित गुणगान है, जग में है माँ तेरी पावन महिमा माँ तू ही इस जगत में महान है। तुम ही हो जग की जन्मधात्री तुम ही तो हो पहिली गुरुमाता, तुम हो शक्ति माँ देवी स्वरूपा तुम ही तो हो माँ सृजन-कर्ता। तुम ही तो हो माँ वात्सल्यमयी तुम ही माँ ममता की खान हो, तुमसे बढ़कर जग में कोई नही तुम ही देती सबको वरदान हो। माँ तुम हो सबकी पालनहारी और तुम ही हो दया की मूर्ति, तेरे बिना सब यह जग है सुना तुझसे यह धरा-धाम सँवरती। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हू...
हम अपने अंदर को झांकें
कविता

हम अपने अंदर को झांकें

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हो सके तो हम, अपने अंदर को झाँकें यहॉं-वहाँ हम, दूसरे को बाहर न ताकें। हम गौर करें अपना, करें स्वआँकलन स्वआत्मा के, आवाज का करें पालन। हम स्वयं है अपना, कुशल मार्गदर्शक यहॉं-वहाँ की बातें, करना है निरर्थक। हम स्वयं हैं स्वप्रेरक, बने अपनी प्रेरणा हम प्रकाशवान बने, न करें अवहेलना। हम अपने कर्म-फल, को बनाएँ महान इसी से मिलेगा, जगत में मान-सम्मान। बनाले ले कुछ, अलग अपनी पहचान बन जाएँ स्वच्छ छबि, का भला इंसान। अपने कर्मों का रहे, हमे हरदम ध्यान बने हम सभ्य मानव, इसका रहे ज्ञान। हमारे व्यवहारों का, सभी करे गुणगान हमसे भूल से न हो, किसी का अपमान। हम अपने को ही सुधारें, जग बने महान हम सुधरें जग सुधरेगा, यही है बड़ा ज्ञान। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : ...
मैं भोली-भाली चिड़िया
कविता

मैं भोली-भाली चिड़िया

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** मैं घर आँगन की पहचान हूँ मैं पेड़-पौधों की मुस्कान हूँ। मैं भोर का सन्देशा लाती हूँ मैं सारे जगत को जगाती हूँ। मैं कलरव के गीत सुनाती हूँ मैं रवि का स्वागत करती हूँ। मैं भोली-भाली चिड़िया हूँ मैं जागरण मैं ही निंदिया हूँ। मैं नील-गगन का श्रृंगार हूँ मैं बादलों का पुष्प-हार हूँ। मैं फुलवारी की सँगिनी हूँ मैं फूलों की मन मोहिनी हूँ। पर!मैं व्यथित परेशान हूँ मैं लोगों से बड़ी हैरान हूँ। मैं बहुत प्यासी और भूखी हूँ इसलिए तो मैं बहुत दुखी हूँ। मैं चिड़िया पानी का प्यासी हूँ मैं दाने के लिए बड़ी उदासी हूँ। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भ...
तूम प्रीत की बारिश करना
कविता

तूम प्रीत की बारिश करना

अशोक पटेल "आशु" धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** तूम प्रीत की बारिश करना बरखा के सावन की तरह मैं आकुल हूँ बस तेरे लिए प्यासा समंदर की तरह। तुम मेरी चाँद बन जाना निशा में पूनम की तरह। मैं बस तुझे निहारा करूँ आतुर चकोर की तरह। तुम मेरी बहार बन जाना महकते फूलों की तरह। मैं बस यह गुनगुनाता रहूँ बावरा भ्रमरों की तरह। तुम मेरी साया बन जाना मेरे हमसफ़र की तरह। मैं हरदम तेरे साथ रहूँ फूलों में खुशबु की तरह। तुम मेरी बरखा बन जाना सावन में बूंदों की तरह। ये तन मन भी भीग जाए प्यासा धरती की तरह। तुम मेरी धड़कन बन जाना मेरे सीने में दिल की तरह। ये जीवन मधुमय हो जाए वसन्त के बहारों की तरह। परिचय :- अशोक पटेल "आशु" निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़) सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रच...