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कभी आँसु पोंछ करके तो देख

अशोक पटेल “आशु”
धमतरी (छत्तीसगढ़)
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कभी किसी के आँसु पोंछ करके तो देख
बेवजह तेरे आँसु कभी बहेंगे तो कहना।

कभी किसी के दर्द बांट करके तो देख
बेवजह तुझे कभी दर्द मिलेंगा तो कहना।

कभी तू किसी के सहारा बनके तो देख
बेवजह कभी बेसहारा बनेगा तो कहना।

कभी किसी के भूख को मिटा के तो देख
बेवजह कभी बिना खाए सोएगा तो कहना।

कभी किसी के प्यास बुझा के तो देख
बेवजह तू कभी प्यासा होगा तो कहना।

कभी किसी की छत्र छाया बन के तो देख
बेवजह तू छाया से वंचित होगा तो कहना।

कभी किसी के लिए हाथ बढ़ा के तो देख
बेवजह कोई अपना हाथ खींचेगा तो कहना

कभी किसी के लिए इंसान बनके तो देख
बेवजह कोई तेरा हैवान बनेगा तो कहना।

परिचय :अशोक पटेल “आशु”
निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़)
सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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