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Tag: कंचन प्रभा

पछ्तावा और सीख
लघुकथा

पछ्तावा और सीख

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** (हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता में प्रेषित लघुकथा) मेरी सहेली गितिका अपने यादों में खोई छत की मुंडेर पर बैठी थी अचानक मुझे वहां देख कर चौंक गई। मैनें पुछा 'क्या हुआ गितिका तुम चौंक क्यो गई' और मैनें उसकी आँखो में आंसु देखे। फिर से उसे अपनी जिन्दगी के वो मनहूस पल याद आ रहे थे जब उसके अनुसार उसके जीवन का अन्त हो गया था शायद इस लिये उसके आँखो में आंशु दिख रहे थे। गितिका मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती थी। काफी बाचाल थी हमेशा हँसते रहना उसकी पहचान थी। कॉलेज में भी वो सबकी चहेती थी। उसके इसी हंसमुख स्वभाव के कारण कॉलेज का एक लड़का मयंक उसे चाहने लगा। कॉलेज खत्म हो गई दोनों अपने अपने घरवालों से बात की और हाँ हो गई। दोनों के परिवार बहुत अच्छे थे। काफी धूम-धाम से दोनो की शादी हो गई। नये घर मे जा कर गितिका काफी ...
मुझे शर्म आती है
कविता

मुझे शर्म आती है

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** कितने कितने फरेब देखे इस दुनिया के इस दुनिया के हालात पे मुझे शर्म आती है बादशाहत से जीने वाले वो बुजदिल ही होंगें उन बेदर्द बुजदिल-ए-हयात पे मुझे शर्म आती है कपड़ों से नहीं वो चमरी से चिथड़े पहने थे आलिशान महलों के सजाने पे मुझे शर्म आती है लाखों लाख बेघर जब भूखे बिलख रहे थे झूठी आस्था के उन खजाने पे मुझे शर्म आती है मंदिरों के नाले में बहा दी गई दुध की नदियाँ बेबस माँ के बिलखते लाल पे मुझे शर्म आती है सड़क पर भागती वो कार जब रोके न रुकी थी उस बेबस लड़की की बलात्कार पे मुझे शर्म आती है . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय ए...
अगर ख्वाब ना होते
कविता

अगर ख्वाब ना होते

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** अम्बर के तारों में टिमटिमाहट न होती चंदा की चांदनी में चमचमाहट न होती सूर्य की तपन में गरमाहट न होती जगती हुई आँखो में अगर ख्वाब न होते ठंडी सी बयार में इठलाहट न होती मेघ की धड़कन में गड़गड़ाहट न होती बारिश की बूंदों में झमझमाहट न होती जगती हुई आँखो में अगर ख्वाब न होते चिड़ियों की बोली में चहचहाहट न होती पेड़ों के पत्तों में सरसराहट न होती फूलों के कलियों में खिलखिलाहट न होती जगती हुई आँखों में अगर ख्वाब न होते भवरों की गुंजन में भनभनाहट न होती बच्चों के चेहरे की मुस्कराहट न होती राही के गीतों में गुनगुनगुनाहट न होती जगती हुई आँखों में अगर ख्वाब न होते दुल्हन के घूँघट में शरमाहट न होती गाँव की गोरी में छमछ्माहट न होती प्रणय हृदय में प्रेम की आहट न होती जगती हुई आँखों में अगर ख्वाब न होते . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहे...
घूँघट
कविता

घूँघट

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** कभी किसी की लाज है घूँघट सुहागन के सिर का ताज है घूँघट दुल्हन के मुख का राज है घूँघट ब्याह में सूरत सजाती है घूँघट सजनी के चेहरे दमकाती है घूँघट भारतीय नारी का प्रतीक है घूँघट प्रेमी की अभिलाषा की प्रीत है घूँघट फूलों की सेज की खुशबू है घूँघट माँ बाप के सपनों की आबरू है घूँघट कहीं इज्जत कहलाती है घूँघट नारी पर सबको भाती है घूँघट चाँद से चेहरे की दीवार है घूँघट चंदा चकोरी का प्यार है घूँघट पिया के प्रणय की शुरुआत है घूँघट प्रणय जोड़े की नव प्रभात है घूँघट ... . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाश...
मजबूर मजदूर
कविता

मजबूर मजदूर

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** औजार हथौड़ा हाथ में ले कर अपनी हाथों पर छाले सजाते। रुखी सुखी खाना खा कर देशवाशियों के भूख मिटाते। सूरज से तपती धरती पर अडिग खड़े कुदाल चलाते। दिनभर अपना खुन जला कर रात को बेसुध नींद समाते। सुर्य तपन,ओलो की मार से उनके हृदय हर दम घबराते। कभी बारिश तो कभी सुखार के चिंता में पुरा वर्ष गुजारते। कभी नीले अम्बर के नीचे फटी चादर ओढ़े सो जाते। ऊँची ऊँची इमारत बना कर अपना धर्म कर्म निभाते। झुग्गी झोपड़ी आशियां उनका दूजे का शीशमहल वो सजाते। सबके घर घर रौशन करके खुद के घर डिबरी वो जलाते। दो जुन की रोटी पा कर बच्चों संग चैन की बंसी बजाते। फसल लहलहाए या सुखा पड़ जाये फिर भी मालिक तक अनाज पहुचाते। शरीर का हिस्सा हिस्सा झोंक परिवार के लिये दिहाड़ी कमाते। . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक...
मकान अब घर लग रहे हैं
कविता

मकान अब घर लग रहे हैं

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** धरती की बेजान हुई परतों पर अब विधाता के आशीर्वाद की नजर दिख रही है उफनते समुद्र में दशहत की सोनामी हुआ करती थी वहीं सपनीले रेत पर शांत सी समंदर दिख रही है। प्रदूषण के जंग की जो नजर लग चुकी थी प्रकृति में प्रेमसुधा सी असर दिख रही है। गर्म हवाओं में कभी चिलचिलाहट हुआ करती थी सुनहली धूप में अब नमी की पहर दिख रही है। जहाँ सुखी पत्तियों की हरदम चरमराहट हुआ करती थी उस हरे दरख्त पर चिड़ियों की बसर दिख रही है। कभी बेजान सी खंडहर चुपचाप रोया करती थी बदले बदले से अब सब शहर दिख रहें हैं। जहाँ ईंट पत्थरों के मकान हुआ करते थे अब उसकी जगह हँसती हुई हर घर दिख रही है। . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित  ...
पत्र जो लिखा पर भेजा नहीं
कविता

पत्र जो लिखा पर भेजा नहीं

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** एक पत्र भगवान के नाम लिखा था मैने भगवान से गुजारिश ये किया था मैने हे भगवान मेरी माँ मुझे वापस दे दो बदले में तुम मुझसे चाहे ले लो हे भगवान मेरे पिता मुझे वापस दे दो बदले में तुम मुझसे चाहे जो ले लो मैं माँ की गोद में एक बार सोना चाहती हूँ पिता से खिलौना की जिद करना चाहती हूँ हे भगवान एक बार मेरी विनती सुन लो बदले में चाहे तुम मेरे प्राण ले लो माँ पिता आज भी बसते हैं दिल की क्यारी में वो पत्र आज मुझे मिली पुरानी डायरी में . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताए...
बेटियाँ
कविता

बेटियाँ

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** बेटियाँ घर की रौनक है बेटियाँ घर की शान है जिस घर में बेटी नहीं वो घर बहुत सुनसान है फूलों की खुशबू है सँझा का दीपक है जिनके घर में बेटी नहीं वो पिता बहुत महान है बेटी दो कुल की जननी बेटी माँ की परछाईं जिस घर की बेटी करे पढ़ाई वो घर जग में नाम कमाए बेटी को पढ़ा लिखा कर देश का करो कल्याण बेटी पढ़े तो मिल जाये मात पिता सबको सम्मान . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hin...
नैनों की बात
कविता

नैनों की बात

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** नैनों की क्या बात कहूँ नैना ये क्या कर देते हैं चाहूँ मैं जो बात छिपाना महफिल में सब बयाँ कर देते हैं किसी की खुशियाँ होठों पर ला कर रौनक तमाम कर देते हैं चाहूँ मैं जो बात छिपाना महफिल में सब बयाँ कर देते हैं दवा नहीं पाते दर्द किसी का मोती की तरह आँशु छलका देते हैं चाहूँ मैं जो बात छिपाना महफिल में सब बयाँ कर देते हैं . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindiraksha...
गंगा अब मैली नहीं
कविता

गंगा अब मैली नहीं

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** सुनाई देती है वही सुरीले पंछी की चहचहाहट फिर से है हवाओं में शीतल सी वही गीतों की गुनगुनाहट फिर से दिखाई देती है अब साँझ की दुल्हन में शरमाहट फिर से फूलों पर रंगीन तितलियों की नजर आती है फड़फड़ाहट फिर से गंगा भी अब मैली नहीं उसकी निर्मलता में है सरसराहट फिर से प्रदूषण की धुँध हुई विलय अब इन वादियों में आई है खिलखिलाहट फिर से धानी चुनर वह आसमान में रुई के बादलों में गड़गड़ाहट फिर से सफेद मोतियों की बूंदों में है छम छम पायल की छमछ्माहट फिर से प्रकृति की साँसो पर सजती है सदियों पुरानी वही मुस्कुराहट फिर से रजनी की गोद में सजी पृथ्वी की वही स्वर्ण कमल सी टिमटिमाहट फिर से . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित...
ये महिला का सम्मान नही
कविता

ये महिला का सम्मान नही

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** महिला दिवस पर कार्यक्रम करना महिला का सम्मान नही महिला का फ्री टिकट करना नारी का ये मान नही नजरों मे हो हवस भरी और भाषण में नारी सशक्तिकरण बेटी बेटी करते रहते कोख मे बेटी का होता मरण ये महिला का सम्मान नही समारोह में सम्मानित करना नारी का ये मान नही अन्धविश्वास के नाम पर उसे दबाना ठीक नही घर की चारदीवारी में बन्द कर हिफाजत ठीक नही ये बँधन है सम्मान नही अपना निर्णय उस पर थोपना नारी का ये मान नही मिट्टी का पुतला समझ समझ यातना दे कर तोड़ते रहना दूर गगन में उड़ने की इच्छा पर खुली हवा से बंचित रखना महिला का सम्मान नही परम्परा की जाल में जकड़ी नारी का ये मान नही कभी ये माँ तो कभी बहन है कभी ये जीवनसाथी है धरती पर उतरी नील गगन से सबसे अनोखी जाति है बस इतनी सी बात समझना महिला का सम्मान नही पावन धरती माँ कह देना नारी का ये मान नही . प...
सखी की बारात
कविता

सखी की बारात

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** महफिल सजी हुई है तेरी बारात आई है। हर किसी की मुरादों वाली रात आई है। सब दे रहें दुआयें और आशीर्वाद तुम्हें । मेरी आँखो मे जुदाई की बरसात आई है। पिया के घर का मंजर खुशगवार हो। हर कदम पर एक दूजे को एतवार हो। निभाना पिया का साथ हर तुफान मे, प्रेम का जला रहे चिराग अन्धकार में । हर सुबह की नई किरण तेरी बिन्दियाँ बने। शीतल चान्दिनी आँगन की खुशियाँ बने। सांझ की मद्धम रौशनी में तेरी सूरत जगमगाये। घर का हर्ष उल्लास चैन की निन्दियाँ बने। याद कर लेना अपनी खुशियों में कभी। जब याद आये बाबुल तम्हें कभी। भूल ना जाना इस बचपन की सखी को, खेला था गुड्डे-गुड़ियो का खेल जिसके साथ कभी . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित  ...
एक और एक ग्यारह
कविता

एक और एक ग्यारह

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** मेरे देश के सेनाओं में एक और एक ग्यारह का दम एक देश है प्यारा अपना रंग रुप और जाति धरम प्रांत जैसे अलग-अलग है तिरंगा अपना एक है त्योहार भिन्न-भिन्न होते यहाँ और भारत अपना एक है नष्ट कर देंगे भारतीय सेना दुश्मन के फेंके बम मेरे देश के सेनाओं में एक और एक ग्यारह का दम भाषा बोली अलग-अलग है राष्ट्रगान अपना एक है पकवान भिन्न-भिन्न मिलतें यहाँ और भारत अपना एक है यही कहती है सेना हिन्दुस्तानी हँसते हुये हम सब करें करम मेरे देश के सेनाओं में एक और एक ग्यारह का दम . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, ...
नाराज नजर आते
कविता

नाराज नजर आते

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** क्या हुआ कि तुम ऐसे क्यों नाराज नजर आते कभी हँसते नहीं आजकल छुपा कोई राज नजर आते तेरा चुपचाप यूँ रहना मुझे खामोश करता है कभी जो हँसते मुस्कते थे वही आवाज नजर आते क्या हुआ कि तुम ऐसे क्यों नाराज नजर आते सूरत उदास हो तेरी मुझे ये बात गवाराँ नहीं तेरी मुस्कान है ऐसी जो मुझको ताज नजर आते क्या हुआ कि तुम ऐसे क्यों नाराज नजर आते तुम्हारी दिल्लगी नही दिखती तुम्हारी वो हँसी नही दिखती मुझे बोलो या ना बोलो सुरीले साज नजर आते क्या हुआ कि तुम ऐसे क्यों नाराज नजर आते तमन्ना दिल में क्या तेरे मुझे इक बार बता तो दो तुम्हारी ये खामोशी में अलग अंदाज नजर आते क्या हुआ कि तुम ऐसे क्यों नाराज नजर आते कभी हँसते नही आजकल छुपा कोई राज नजर आते क्या हुआ कि तुम ऐसे क्यों नाराज नजर आते . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार ...
प्रेम
कविता

प्रेम

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** प्रेम से भरी चान्दिनी रात प्रेमान्जली सी ओश की बुंदे प्रेमहरित दरख्त के पत्ते प्रेम व्यार की मदहोशी प्रेम सुधा से भरी ये नदियाँ प्रेम कुसुम हर डाल खिले प्रेम गीत पंछी की गुंजन प्रेम रंग सा इन्द्रधनुष प्रेम एक है ऐसा भी प्रेम जो तेरा मुझसे है प्रेम प्रभा से चमकीला प्रेमान्जली से निर्मल प्रेम हरित से हरा है जो प्रेम व्यार से स्वच्छ है वो प्रेम सुधा से ज्यादा अमृत प्रेम कुसुम से ज्यादा कोमल प्रेम गीत से मीठा ज्यादा प्रेम रंग से रंगीला है प्रेम जिसका कोई नाम नही प्रेम अनोखा तेरा मेरा प्रेम दिवस के इस प्रेम भरे उत्सव में प्रेमोपाशक मैं कंचन प्रेम हृदय अपने विकास को प्रेमोपहार यह अपनी प्रेम कविता सौहार्द्र्पूर्ण प्रेम भेंट करती हूँ . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hind...
बाल विवाह
कविता

बाल विवाह

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** बाल विवाह करना अब तो बन्द करो जल्दी विवाह को रोकने का प्रबंध करो नादान कली को पूर्ण रूप से खिलने दो शिक्षा में ऊँचा अस्तित्व उन्हे मिलने दो सही उम्र पर विवाह का प्रबंध करो बाल विवाह करना अब तो बन्द करो बच्चों के बचपन को ना छीनो तुम मत अन्धविश्वास का ताना बाना बीनो तुम जन जन को जागरूकता का प्रबंध करो बाल विवाह करना अब तो बन्द करो जल्दी विवाह को रोकने का प्रबंध करो . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहान...
जब जब बादल आता है
कविता

जब जब बादल आता है

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** बादल की एक टोली जो घूम रही थी नभ में गाँव के बच्चे झूम रहे थे खुशी मनाई सब ने फैलाये अपने पंख मोर ने वर्षा की दस्तक दी भोर ने आज जब बरसेगा पानी तब आयेगी बरखा रानी हम सब भींगने जायेंगे खेत सींचने जाएंगे सोच रहे थे रामू काका कुदाल भी लाये शामू दादा मीरा दीदी छत पर दौड़ी उठा लाई वो पसरे अदौड़ी सोनु की माँ भी ले कर आई रखे थे बाहर जो उसने रजाई पेड़ से फँसा पतंग का फंदा आज रात नही दिखेगा चंदा पानी टप टप खूब बरसाया गगन घटा घनघोर है छाया बादल चाचा तुम रोज आना खुशियाँ ढेरों संग अपने लाना . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रक...
नारी तुम हो देवी शक्ति
कविता

नारी तुम हो देवी शक्ति

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** नारी तुम हो देवी शक्ति जो तेरा करता अपमान मानव नही है दानव है वो दैत्य के रूप मे करता काम कितनी निर्भया मलिन हुई कितनी प्रियंका का अन्त हुआ देश की व्यवस्था बड़ी बुरी है ये भी तो राजनीति से जुड़ी है आँखोदेखी पर ना करते विश्वास चाहे पड़ी हो किसी निर्भया की लाश इस दुष्कर्म का सबूत माँगते जबकि सच्चाई वो सम्पुर्ण जानते थाने कोर्ट और पुलिस वाले राजनीति की रोती सेंकने वाले एक को तो नपुंसक बना कर देखो सरे आम फाँसी पर लटका कर देखो ऐसा भी होगा एक दिन है सम्पुर्ण विश्वास मुझे पड़ी रहेगी अबला कोई जिस रोज अपनी बांहे समेटी संविधान बदल जाएगा उस दिन इन्साफ तुरंत मिल जाएगा उस दिन फर्क यही होगा कि होगी वो किसी नेता की बेटी नारी तुम हो देवी शक्ति नारी तुम हो देवी शक्ति . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हि...
माँ  सरस्वती
कविता

माँ सरस्वती

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** हे हंस वाहिनी माता तेरे शरण में जो भी आता पुष्प चढ़ा कर करे नमन हम आशीर्वाद से छू पाएँ गगन हम सुर की देवी तु कहलाती हर बच्चे के मन को भाती छात्र करे पूजन सब तेरे दुख दूर हो जाये तेरे मेरे हो जाए परिपूर्ण ज्ञान से करे अध्ययन वो बड़े ध्यान से तेरी वीणा से जो निकले संगीत मन को मुग्ध करे वो गीत ज्ञान दायिनी तु वीणा वादिनी चन्द्र कमल स्वेत वस्त्र धारिनी अम्ब विमल दे अज्ञानी को मधुर बनाये शख्त वाणी को बसंत ऋतु में तु आती है छात्रों के हृदय बस जाती है जीवन आनंदमय का पाठ पढ़ाती कला की देवी सरस्वती कहलाती . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित  आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने...
ऐ पाक जरा
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ऐ पाक जरा

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** ऐ पाक जरा सुन लो तुम तेरा रूप बदलने वाला है भूतकाल से ही तेरा भविष्य बहुत ही काला है । किस बात का तुझे अभिमान है शान तुझे किस बात की जबकि चीन अमेरिका ने तुझको बहुत सम्भाला है भूतकाल से ही तेरा भविष्य बहुत काला है। तु युद्घ चाहे तो युद्ध होगा पर कश्मीर कभी ना तेरा होगा अन्तिम साँस तक युद्ध करेंगें हर हिन्दुस्तानी हिम्मतवाला है भूतकाल से ही तेरा भविष्य बहुत काला है। कौन है तु आया कहाँ से १९७१ को क्या तु भूल गया छक्के छुड़ाए जब भारतीयों ने अंग्रजों को भी घर से निकाल है भूतकाल से ही तेरा भविष्य बहुत काला है। पीछे से क्यों बार करे हिम्मत है तो आँख मिला कारगिल क्यों तु भूल गया भारत की सेना हर बार तुझे खँगाला है भूतकाल से ही तेरा भविष्य बहुत काला है। आतंकी तेरे गोद में सोते आई एस आई का तु रिश्तेदार है क्या कहूँ मैं विसात तेरी मुजाहिद्द...
नियोजित शिक्षक
कविता

नियोजित शिक्षक

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** आज शिक्षक की क्या हालत हो गई है। सभी विद्यालय जैसे आज अदालत हो गई है। हर छोटी मछली बड़ी मछली का शिकार बन रही है। शिक्षा देना बच्चों को सरकारी व्यापार बन रही है। नेता भी लगे हैं अपनी उल्लु सीधा करने में। चापलूसों की क्या कहे भला हम जो लगे हैं जेबी भरने में। घर परिवार की ना सोचें और उजड़े उपवन बनते हैं। इनमें भी है खुब खराबी अब क्या क्या मैं बयाँ करुँ? काम है चने चबाना फिर क्यों ना मैं उनका सम्मान करूँ? हे भगवान तुझे ही क्या कभी इनसे कुछ दुश्मनी हुई थी? क्या तेरा नेताओं से भर भर घुटने बनी हुई थी? हर क्षेत्र में हर कार्य में अधिकारी निकाले इनका फरमान। फिर आज क्यों आज जमाने में मिलता नहीं इनको सम्मान। . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी ...
आ कर इस शहर में
कविता

आ कर इस शहर में

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** ये दूरियाँ किसी तरह अब मिटा दिजीये उजड़े बहारों की हँसी जरा लौटा दिजीये ये गमों का धुंध बिखर गया जो फ़िजा में इक बार शहर में आ कर इसे हटा दिजीये ये दूरियाँ किसी तरह अब मिटा दिजीये दरवाजों के धुंधले पर्दो के पीछे से या फिर कमरे के किसी बन्द दरीचे से अपने होठों पर मेरा नाम सजा लिजिये ये दूरियाँ किसी तरह अब मिटा दिजीये मेरे खामोश आँगन में इक गम का दीया जलता है मेरे सुनसान धड़कन में इक डर सा कुछ पलता है अपनी आगोश में मुझको छिपा लिजिये ये दूरियाँ किसी तरह अब मिटा दिजीये . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार सम्मान - हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्ष...
सुन्दरता
कविता

सुन्दरता

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** सुन्दरता सूरत में नही सुन्दरता गुण में होती है जो पहचाने सच्चा प्रेम जौहरीपन उनमें होती है। कोई दिखती गोरी चिट्टी किसी के नैन तीखे हैं लेकिन उसकी कुरुपता ये कि वो बड़ो की इज्जत ना सीखे है सुन्दरता सूरत में नहीं सुन्दरता खुन में होती है जो पहचाने सच्चा प्रेम जौहरीपन उनमें होती है। कितने मर मिटे नारी पर कितने घर बर्वाद हुये लेकिन सच्चा हृदय छोड़ भटक गया तु मृगनैयनी पर सुन्दरता सूरत में नही सुन्दरता प्रेमधुन में होती है जो पहचाने सच्चा प्रेम जौहरीपन उनमें होती है। . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहान...
नाज
कविता

नाज

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** मुझे कुछ और जमाने से क्या उन पर मुझे बहुत ही नाज है। चाहने वाले तो उन्हे बहुत है मगर उनके दिल पर सिर्फ मेरा ही राज है मुझे कुछ और जमाने से क्या उन पर मुझे बहुत ही नाज है। उन्हे देखूँ उन्हे चाहूँ उनके साथ चलती जाऊँ अब अन्त समय तक बस यही काज है मुझे कुछ और जमाने से क्या उन पर मुझे बहुत ही नाज है। लाख शोहरत पा भी लूँ दुनिया में साथ उनके चलना ही मेरे सर का ताज है मुझे कुछ और जमाने से क्या उन पर मुझे बहुत ही नाज है। उड़ने भी लगूं गगन में पंछी की तरह उनकी हथेली ही मेरी परवाज है मुझे कुछ और जमाने से क्या उन पर मुझे बहुत नाज है। कितने ही गीत लिखूँ मैं अपनी कलम से हर गीत में छुपा हुआ उनका ही साज है हमे कुछ और जमाने से क्या उन पर मुझे बहुत ही नाज है। . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कवि...
समय
कविता

समय

कंचन प्रभा दरभंगा (बिहार) ******************** समय को समझो समय को जानो समय को अपना प्रिय मित्र मानो समय का ख्याल करो खुद से ये सवाल करो समय अगर गुजर गया तब ना इसका मलाल करो पाषाण से कड़ा है कौन रत्न से जड़ा है कौन भिक्षुक हो या भूप यहाँ समय से बड़ा है कौन . परिचय :- कंचन प्रभा निवासी - लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी ...