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Tag: धीरेन्द्र कुमार जोशी

जन्मदिवस पर अनंत शुभकामनाएं …
जन्मदिवस

जन्मदिवस पर अनंत शुभकामनाएं …

राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच www.hindirakshak.com के साहित्यकार वरिष्ठ साहित्यकार श्री धीरेन्द्र कुमार जोशी इंदौर (मध्य प्रदेश) का आज १५ जुलाई को जन्मदिवस है ... इस पटल के माध्यम से नीचे दिए गए प्रतिक्रिया के खाने (कमेंट्स बॉक्स) में संदेश भेजकर आप शुभकामनाएं दे सकते हैं…. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से...
जिंदगी कटती रहे।
ग़ज़ल

जिंदगी कटती रहे।

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** इस तरह यह जिंदगी कटती रहे। सुख बढ़ें, दुश्वारियां घटती रहें। हम बढ़ें, तुम भी बढ़ो तो बात हो। दूरियां दिल की यूं ही पटती रहें। खुशबुओं से प्यार की महके जहां, बेल उल्फत की सदा फलती रहे। होंठ चुप हों, नयन से बातें करो, जब चली है बात तो चलती रहे। दुश्मनी के दायरों को कम करो, ये बुराई क्यों यूं ही बढ़ती रहे। जो पेड़ गिरते हैं, नए फिर रोपिए, जोत जीवन की सदा जलती रहे। जी तेरे अंदाज में अपनी खुशी से, बात दुनिया को खले, खलती रहे। परिचय :- धीरेन्द्र कुमार जोशी जन्मतिथि ~ १५/०७/१९६२ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म.प्र.) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम. एससी.एम. एड. कार्यक्षेत्र ~ व्याख्याता सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और ...
जिंदगी का फलसफा
ग़ज़ल

जिंदगी का फलसफा

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** जी ले इन लम्हों को, शाम ना हो जाए। ख्वाहिशों की सांसें तमाम ना हो जाएं। क्या हुआ वो जो, चिलमन में छुपे बैठे हैं? नजर मत हटा ,जब तक सलाम न हो जाए। खुद की कमजोरी की बेड़ियों को तोड़ दे, आदतों का तू कहीं गुलाम न हो जाए। सपनों को देखने का जुनू छोड़ना नहीं, हसरतों के पैर , कहीं जाम ना हो जाएं । भीड़ से अलग चल, बना अपनी पगडंडी, हर एक अदा जुदा रहे, आम ना हो जाए। कोशिशों में दम भर ,हार को भी जीत ले, जब तलक दुनिया में तेरा नाम न हो जाए। रुक मत, तू रुक मत, तू रुक मत "धीरज, जब तलक तेरा कोई मक़ाम ना हो जाए। परिचय :- धीरेन्द्र कुमार जोशी जन्मतिथि ~ १५/०७/१९६२ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म.प्र.) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम. एससी.एम. एड. कार्यक्षेत्र ~ व्याख्याता सामाजिक ...
यहां दुश्मनी शिद्दत से निभाई जाती है
ग़ज़ल

यहां दुश्मनी शिद्दत से निभाई जाती है

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** यहां दुश्मनी शिद्दत से निभाई जाती है। पर हमें ये ढाई घर चाल कहां आती है? उफ वो लहराते बाल, वो बल खाती चाल, वल्लाह ये कातिल अदाएं कहां से लाती है? वो बनके चांद निकलती हैं मेरे सपनों में, उनके खयालों में हमें नींद कहां आती है? ये उल्फत भी कम नहीं किसी बीमारी से, कभी ये हंसाती है तो कभी रुलाती है। पराई आग में हाथ जलाने का बड़ा शौक है, मत भूल ये दुनिया जले पे नमक लगाती है। बड़े भंवर जाल हैं इस जीवन धार में धीरज, ये सफीने को किनारे पे लाकर डुबाती है। परिचय :- धीरेन्द्र कुमार जोशी जन्मतिथि ~ १५/०७/१९६२ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म.प्र.) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम. एससी.एम. एड. कार्यक्षेत्र ~ व्याख्याता सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा, सामाजिक कुरीतियों औ...
आओ मनाएं दीवाली।
कविता

आओ मनाएं दीवाली।

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** पूनम सी दमकेंगीं राते ये काली। आओ सब मिलके मनाएं दीवाली। दीपों की कड़ियाँ हैं, फूलों की लड़ियाँ हैं, रंगोली द्वारे पर, झिलमिल फुलझड़ियाँ हैं। आशा की जोत हो,मन में उजियाली। आओ सब मिलके मनाएं दीवाली। लक्ष्मीजी पूजित हैं, नारायण वन्दित हैं, है अर्चन हृदयों से, आराधन गूंजित है। झोली में सबकी बरसे खुशहाली। आओ सब मिलके मनाएं दीवाली। अब कोई रोये ना, खुशियों को खोये ना, राहों मे कोई भी, शूलों को बोये ना। भण्डार भर जाएँ, बौराये थाली। आओ सब मिलके मनाएं दीवाली। शांति का प्रकाश हो, शक्ति का विकास हो, हो धरती हरियाली, रिमझिम आकाश हो। हो भारत सिरमौर , परम शक्तिशाली। आओ सब मिलके मनाएं दीवाली। परिचय :- धीरेन्द्र कुमार जोशी जन्मतिथि ~ १५/०७/१९६२ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म.प्र.) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग...
लोक देवता : टंट्या भील
संस्मरण

लोक देवता : टंट्या भील

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** किसी दबे, कुचले, शोषित, वंचित समाज से जब कोई निहित स्वार्थ को त्याग सर्व हितों के लिए उठ खड़ा होता है तो वह जननायक और कभी-कभी लोक देवता का रूप ले लेता है। टंट्या भील भी मालवा निमाड़ के ऐसे ही नायक थे जो गरीबों के मसीहा बन कर आज भी लोक देवता बन पूजे जाते हैं। टंट्या भील का जन्म सन १८४२ में खंडवा के आदिवासी अंचल में भाऊ सिंह भील के घर हुआ था बचपन से ही उनका शरीर दुबला पतला एवं कद लंबा होने से उन्हें टंट्या कहा जाने लगा। टंट्या भील का बचपन बहुत ही संघर्षपूर्ण गुजरा। उनकी मां उनके बचपन में ही गुजर गई थी। उनके पिता ने शादी नहीं की। उन्हें शस्त्र कला में निपुण बनाया। वे लाठी गोफन और तीर कमान का संचालन कुशलता से करते थे। वे अपने क्षेत्र में सब के दुलारे एवं युवाओं के नायक बनकर उभरे। पिता की खेती संभाली चार साल ...
अटल बिहारी
कविता

अटल बिहारी

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** वाराणसी के प्रसिद्ध सितारवादक पण्डित शिवनाथ मिश्र नए राग "राग अटल" पर एलबम बनाने जा रहे हैं। उक्त एलबम में मेरी इस कविता को भी स्थान मिला है ... जिसका विमोचन २५ दिसंबर को बनारस में होगा। अटल बिहारी। सप्त सुरों में हम गाएं यशगान सदा। अटल-अमर-अक्षय होवे सम्मान सदा । बचपन से ही होनहार थे अटल बिहारी। रखते थे अद्भुत अनुपम प्रतिभाएं सारी। छुटपन से ही नित नूतन प्रतिमान गढ़े। निज गौरव के नवल प्रखर सोपान चढ़े। निस्पृह, निर्मल नहीं रखा अभिमान सदा। सरल, सहज, साहसी, सदा ही सुफल सफल थे। राजनीति के दलदल के वे नीलकमल थे। थे सरस्वती के वरद पुत्र, ओजस्वी वाणी। दृढ़ प्रतिज्ञ, साहसी, कर्म उज्ज्वल परिमाणी। था व्यक्तित्व निराला देव समान सदा। जब पंतप्रधान हुए भारत का मान बढ़ाया। भारत भू की कीर्ति ध्वजा को गगन दिखाया। उनक...
मां बस मां ही होती है
गीत

मां बस मां ही होती है

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** मेरे संग संग हमेशा ही दुआएं मां की होती हैं। वो मेरी राह से कांटे हटाकर फ़ूल बोती है। वो देती है हमें जीवन स्वयं के अंश को देकर। वो दुनिया में हमें लाती है कितने कष्ट सह सह कर। समेटे प्यार आंचल में वो ममता ही लुटाती है। जहां रोशन बनाती है वह तिल तिल दीप सा जलकर। हमारी जिंदगी में वह सपन के बीज बोती है। स्वयं शोलों पर चलकर प्यार की फसलें उगाती है। वो एक एक जोड़कर तिनका सुहाना घर सजाती है। बलायें दूर हो जाती फकत उसकी दुआओं से, अभावों से भरी दुनिया को जन्नत सा बनाती है। कोई वैसा नहीं होता, मां बस मां ही होती है। सदा मां की नज़र में प्रेम की रसधार बहती है। लुटा कर चैन हमको वो दुखों का भार सहती है। सदा उसका ह्रदय बच्चों के खातिर ही धड़कता है, वह बच्चों के लिए जीवन भी अपना वार सकती है। मैं हंसता हूं वो हंसती ह...
चिंतन
ग़ज़ल

चिंतन

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** अतीत के चिंतन को टाल। प्याज है छिलके मत निकाल। जवाब मिले ये जरूरी नहीं, छोड़ ना, रहने दे सवाल। पत्ता पत्ता बिखरी ये ज़िन्दगी, जितना हो सके इसे सम्हाल। कोशिश कर पूरी जान लड़ा, फिर देख कुदरत का कमाल। धरा - धूल मस्तक चढ़ बैठेगी, किसी की इज्ज़त यूं न उछाल। जब मंजिल निकट हो तेरी, बहक न जाएं, कदम सम्हाल। खुशबू फैले जो प्यार की, जिन्दगी कुमकुम अबीर गुलाल। . परिचय :- धीरेन्द्र कुमार जोशी जन्मतिथि ~ १५/०७/१९६२ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म.प्र.) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम. एससी.एम. एड. कार्यक्षेत्र ~ व्याख्याता सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा, सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास के प्रति जन जागरण। वैज्ञानिक चेतना बढ़ाना। लेखन विधा ~ कविता, गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे...
कुछ देर ठहर जा
कविता

कुछ देर ठहर जा

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** आई है यह बहार, कुछ देर ठहर जा। बढ़ने लगा है प्यार, कुछ देर ठहर जा। हर रात तेरी राह में, दीए जलाए थे, कितना था इंतजार, कुछ देर ठहर जा। एक दिन तुम्हारे साथ मुझे एक पल लगे, उठता है बार बार, कुछ देर ठहर जा। तेरी खबर सुनी तो यह रंगत निखर गई, ये रूप ये सिंगार, कुछ देर ठहर जा। हर डाल ने पहने हैं फूलों के पैरहन, क्यों बो रहा है खार, कुछ देर ठहर जा। परदेसिया तू जाएगा, कब आए क्या पता, जीवन का है उतार, कुछ देर ठहर जा। . परिचय :- धीरेन्द्र कुमार जोशी जन्मतिथि ~ १५/०७/१९६२ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म.प्र.) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम. एससी.एम. एड. कार्यक्षेत्र ~ व्याख्याता सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा, सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास के प्रति जन जागरण। वैज्ञान...
एक डायन
कविता

एक डायन

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** एक डायन घूम रही है घर में रहा करो। कोरोना है नाम उसका, उससे डरा करो। बात करो कोई से, छेटी रहा करो। जब भी बाहर जाना हो, मुंह को ढका करो। हाथ धोने का नियम पक्का रखा करो। घर में बने जो खाना, जीकर छका करो। नीम हकीम सरीके तुम ना बका करो। समझदार जो बोले उनकी सुना करो। . परिचय :- धीरेन्द्र कुमार जोशी जन्मतिथि ~ १५/०७/१९६२ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म.प्र.) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम. एससी.एम. एड. कार्यक्षेत्र ~ व्याख्याता सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा, सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास के प्रति जन जागरण। वैज्ञानिक चेतना बढ़ाना। लेखन विधा ~ कविता, गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, नाटक, आलेख आदि। छात्रों में सामान्य ज्ञान और पर्यावरण चेतना का प्रसार। ...
अपने घर में रहो
कविता

अपने घर में रहो

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** तूफान के हालात हैं, न किसी सफ़र में रहो। पंछियों से है गुजारिश, अपने शजर में रहो। ईद के चांद हो अपने ही घर वालों के लिए, ये उनकी खुशकिस्मती है उनकी नज़र में रहो। माना बंजारों की तरह, घूमे हो हर डगर, वक़्त का तकाज़ा है, अपने ही शहर में रहो। तुमने ख़ाक छानी है हर गली चौबारे की, एक दिन की तो बात है, अपने घर में रहो। . परिचय :- धीरेन्द्र कुमार जोशी जन्मतिथि ~ १५/०७/१९६२ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म.प्र.) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम. एससी.एम. एड. कार्यक्षेत्र ~ व्याख्याता सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा, सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास के प्रति जन जागरण। वैज्ञानिक चेतना बढ़ाना। लेखन विधा ~ कविता, गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे तथा लघुकथा, कहानी, नाटक, आलेख आदि। छात्रो...
ऐसी होली हो
कविता

ऐसी होली हो

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** भारतवासी एक बनें। राहें सबकी नेक बनें। खेतों में हरियाली हो। सबके घर खुशहाली हो। होली में सब द्वेष जलें। दिल में केवल प्यार पले। साथ में पूरी बस्ती हो। दीवानों की मस्ती हो। भेदभाव का अंत हो। बारहों मास बसंत हों। रंगों की बौछार हो। सतरंगा त्यौहार हो। सबकी ऐसी होली हो। रंग संग हमजोली हो। तन रंगे मन रंग जाए। रंग न जीवन भर जाए। ऐसे सब त्यौहार मने। मकसद केवल प्यार बने। . परिचय :- धीरेन्द्र कुमार जोशी जन्मतिथि ~ १५/०७/१९६२ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म.प्र.) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम. एससी.एम. एड. कार्यक्षेत्र ~ व्याख्याता सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा, सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास के प्रति जन जागरण। वैज्ञानिक चेतना बढ़ाना। लेखन विधा ~ कविता, गीत, ग...
जितना ऊंचा चढ़ रहा
दोहा

जितना ऊंचा चढ़ रहा

धीरेन्द्र कुमार जोशी कोदरिया, महू जिला इंदौर म.प्र. ******************** जितना ऊंचा चढ़ रहा, तकनीकी का ज्ञान। उतना ही नीचे गिरा, कलयुग का इंसान। दोहरे चाल चरित्र हैं, मानव हुआ विचित्र। आस्तीन के साँप हैं, कहलाते हैं मित्र। जाति धर्म का भेद क्यों, करता है इंसान। एक मिट्टी से हैं घड़े, हरिया औऱ रहमान। मर्यादा भंगुर हुई, विकृत हुआ समाज। कैसे हो उपचार अब, पड़ी कोढ़ में खाज। भाई इतना न रखो, सीधा सरल सुभाय, सीधा रहे दरख़्त जो, पहले काटा जाय। गांवों की तस्वीर अब, बदल चुकी है खूब। शहरों के अनुसरण में, गांव रहे हैं डूब। युवा ढूंढते नौकरी, खेती लगती बोझ। शहर बढ़ रहे बाढ़ से, गांव घट रहे रोज। बेटा बूढ़े बाप को, दो रोटी न खिलाय। हुई बाप की तेरवी, सारा गांव जिमाय। बेटी हीरा देश का, मोहक सुमन सुवास। है बेटी के रूप में, श्री लक्ष्मी का वास। बेटे नालायक बने, भुगत रहे माँ-बाप। माँ ने जन्मा पूत...