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Tag: धैर्यशील येवले

अखंड भारत
कविता

अखंड भारत

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** नही चलेगा यहा पाखंड भारत था, है, रहे अखंड पावन भूमि है ये राम की नंदलाल के कर्मधाम की करते ऋषि मुनि यहाँ तपस्या हो क्षण में दूर हर समस्या अधम को नही है स्थान यहाँ चूर-चूर हो उसका घमंड नही चलेगा यहाँ पाखंड भारत था, है, रहे अखंड।। भूमि है ये कर्मवीरों की शिवा प्रताप जैसे विरो की अधर्म पर उठाए जो शस्त्र दूजे हाथ रखते वो शास्त्र समर्थ है ज्ञान विज्ञान में कला संस्कृति का है ये खंड नही चलेगा यहाँ पाखंड भारत था, है, रहे अखंड।। गुरु महावीर बुद्ध वाणी है त्याग अहिंसा निर्वाणी कर्मयोग में रमने वाले जिओ और जीने दो वाले चले साथ है धर्म पताका जो रखे हाथ मे न्याय दंड नही चलेगा यहाँ पाखंड भारत था, है, रहे अखंड।। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल ब...
ये कैसी दूरी सावन में
गीत

ये कैसी दूरी सावन में

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ये कैसी दूरी सावन में रात उतर आई आंगन में पवन के झोंके ले हिलोरे चांद कहे हमें आ मिलो रे रुत मिलन की है आई रे बदली गगन में है छाई रे जिले जो पल मिले जीवन मे ये कैसी दूरी सावन में रात उतर आई आंगन में ।। महकता जो हर सिंगार है रजनीगंधा का खुमार है टिप-टिप बरसे है रसरंग तन मन मे उठी है तरंग है ताप अनल का यौवन में ये कैसी दूरी सावन में रात उतर आई आंगन में ।। भोर में खनकते है कंगन कसमसाती देह के बंधन कजरा गजरा रूठा-रूठा प्रीतम मेरा झूठा-झूठा मयूर नांचे ना चितवन में ये कैसी दूरी सावन में रात उतर आई आंगन में ।। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : उप पुलिस अधीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय ...
बुलेटप्रूफ कांच
कविता

बुलेटप्रूफ कांच

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** पहले शीशे पत्थर से चकनाचूर हो जाते थे अब नही होते बुलेट प्रूफ जो आ गए है शीशे के घरों में बैठे लोग मजे से खेलते है अब पत्थरो से जब उनका दिल करता है उछाल भी देते है वे नही घबराते अब पथराव से जनआक्रोश देख वे भी आक्रोशित होते है और लेते है संकल्प जन को निपटाने का विजयी होने पर बुलेटप्रूफ कांच बचाव कर लेता है शरीर का परंतु आत्मा को मरने से नही बचा पाता मृत आत्मवाले शरीर उसके सुरक्षा घेरे में सुरक्षित होते है बुलेटप्रूफ कांच होते तो पारदर्शी है परंतु उस पर चढ़ा दी जाती है काली फ़िल्म ताकि मृत आत्मा धारक लोगो को न दिखे परंतु उसे दिखते रहे लोग और शरीर इस निर्णय पर पहुँच सके किसे पालना है किसे निपटाना है। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल ...
मैं शायर हु तेरे शहर का
गीत

मैं शायर हु तेरे शहर का

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मैं शायर हु तेरे शहर का मैं आशिक हु तेरे शहर का कहे सभी दीवाना मुझ को मैं पक्का हु अपनी धुन का मैं शायर हु तेरे शहर का ।। गीत गाना मेरी आदत में जीत जाना मेरी आदत में सब दिलो पर राज करता हूँ सभी का मैं काज करता हूँ मैं यार हूँ सभी दिलबर का मैं शायर हु तेरे शहर का ।। हर तरफ मेरी आशिकी है हर तरफ मेरी मौसिकी है जो भी देखे मुझे एक बार देखता ही रहे बार बार मैं यार नही एक बार का मैं शायर हु तेरे शहर का ।। मुझ में तेरी रवानी देख भूली हुई वो कहानी देख याद तेरी पल पल आऊंगा याद में तेरी बस जाऊंगा तू सुरीला मेरी बहर का मैं शायर हु तेरे शहर का ।। मेरा अरमान तेरा सपना कोई तो हो मेरा अपना जान मुझे एक बार कहना तू ही तो है मेरा गहना है पैगाम तेरे सफर का मैं शायर हु तेरे शहर का मैं आशिक हु तेरे शहर ...
उड़ान
कविता

उड़ान

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** रुकूँगा नही आगे तो बढूंगा आती है परेशानियां आने दो। कभी गिरा कभी चढ़ा हूँ मुफलिसी में पला बढ़ा हूँ लक्ष्य जमीन पर नही है आसमान पर कहि तैयार भरने को उड़ान अपनी और खिंचे आसमान कोई छोड़े उसे छोड़ जाने दो रुकूँगा नही आगे तो बढूंगा आती है परेशानियां आने दो। वक़्त बड़ा संगीन है मुझे खुद पर यकीन है कदम रुक नही सकते इरादे झुक नही सकते जो माना वो ठाना है दुनिया को दिखाना है मिटते है निशान मिट जाने दो रुकूँगा नही आगे तो बढूंगा आती है परेशानियां आने दो। कुछ जाना कुछ पहचाना अपना वजूद है दिखाना इरादों ने घमासान की नेकी ने राह आसान की उम्मीद छोडूंगा नही अब मुड के देखूंगा नही निराशा जा रही उसे जाने दो रुकूँगा नही आगे तो बढूंगा आती है परेशानियां आने दो। तिमिर कुछ ही पल है रौशनी हर पल है उजाला ऐसे ज...
स्वामी है चाकर नही
आलेख

स्वामी है चाकर नही

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** भारत की हजारो वर्षो से यह मान्यता रही है कि प्रकृति के संतुलन को कायम रखा जाय । यह मनुष्य व प्रकृति दोनों के लिए बहुत अच्छा है। परंतु वर्तमान में तरक्की के नाम पर जिस ढंग से प्रकृति का शोषण हो रहा है, इस सन्तुलन को अस्वाभाविक रूप से तोड़ा जा रहा है उससे ये लगता है कि लोभग्रस्त सभ्यता उसे रहने नही देगी। पूर्व में हम प्रकृति को माँ का दर्जा देते थे परंतु अब वैसा नही है अब प्रकृति केवल उपभोग का साधन बना दी गई है। ये भी सही है कि जब प्रकृति अपने पर आती है तो वो किसी का लिहाज नही करती। प्रकृति को मात्र विज्ञान के जरिये समझना मानव की भूल है उसे धर्म के साथ जोड़ कर भी समझना होगा और ये सनातन धर्म ने किया भी है। परंतु पश्चिम के दृष्टिकोण ने प्रकृति को केवल साधन समझने की भूल की है, प्रकृति को उन्होंने कभी माँ या मित्र नही माना। सन...
गुनगुना
कविता

गुनगुना

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जीवन ये गीत है जीवन संगीत है बिसार सारे गम ,कर कड़वी बाते अनसुना गुनगुना गुनगुना जीवनगीत गुनगुना ।। देख बहारे फूलों की सावन के झूलो की खुशियों से भरे चेहरे जीवन के रंग गहरे पलके उठा के देख जरा जीवन मे है रस भरा मीठा मीठा कुनकुना गुनगुना गुनगुना जीवनगीत गुनगुना ।। बादलों की छांव में मेरे अपने गांव में है चहरे पे भोलापन लोगो मे है अपनापन ये घट नही है रीते प्रेम स्नेह है सब पीते रह नही सकता यहां कोई भी अनमना गुनगुना गुनगुना जीवनगीत गुनगुना ।। प्राची के सूरज को वंदन है इस रज को मेरे अपने देश मे देवता मिले दरवेश में बात नही चिंतावाली है सभी और खुशहाली छुपा मत सुना सुना गुनगुना गुनगुना जीवनगीत गुनगुना ।। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बु...
देख सुन कभी
कविता

देख सुन कभी

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बहती हवा को कभी सुना है नही सुना न अब सुनो वो गीत जीवन के गाती है। खिले हुए फूलों को कभी गौर से देखा है नही देखा न अब देखो होते उसमे जीवन के रंग है। उगते सूर्य की सुगंध को कभी महसूस किया नही न अब करो उसकी सुगंध रश्मियों के साथ आंखों से अन्तस् में उतर जाती है। बारिश की किरणों से आलोकित हुए कभी नही न अब भीगना बारिश में सारे शरीर से प्रकाश की किरणें फूटने लगती है देखा कभी प्रसव वसुधा का नही न देखना उसकी कोख से नवांकुर कैसे निकलते है। आत्मा का नृत्य देखा कभी नही न कर कुछ परोपकार होंठो पर वो नृत्य कर रही होती है। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्त...
मशाल
कविता

मशाल

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कलम को चिराग बना कर अज्ञान का तमस फ़ना कर सोया है सदियों से वो जगा उसे शोला बना कर अहिंसक है या नपुंसक पूछ उससे मर्द बना कर कुछ मूषक है कुछ विदुषक ला सामने शेर बना कर जिसने इसे सुलाये रखा पेश कर गुनहगार बना कर रोक ले जाने वालों को वो जा रहे बात बना कर मुझे ज़मीर जिंदा चाहिए लाना मत मुर्दा बना कर नूर पर डाल रखा पर्दा जला उसे आग बना कर दिया है धोका लोगो को भेड़िये को भेड़ बना कर हर तरफ उजाला कर दिया कलम को मशाल बना कर परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak...
हिन्दू है अखंड
कविता

हिन्दू है अखंड

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कर शत्रु पर वार, कर खंड-खंड हिन्दू है अखंड, जोश है प्रचंड ।। पावन मातृभूमि, पावन देश है देता विश्वबंधुत्व, का संदेश है हर नर नारी में, यहाँ राम बसे है वेदऋचाओ से, पर्जन्य बरसे है माँ भारती का, गौरव है अखंड कर शत्रु पर वार, कर खंड-खंड हिन्दू है अखंड, जोश है प्रचंड।। स्वर्ग से महान, जन्मभूमि प्रणाम मंदिर के समान, देवभूमि प्रणाम रक्त तिलक से, जयघोष करते है इस धरा पर पसरा, दोष हरते है आज हाथ मे मेरी, है न्याय दंड कर शत्रु पर वार, कर खंड-खंड हिन्दू है अखंड, जोश है प्रचंड।। नई धारणा है, नवनिर्माण है राष्ट्र के लिए, उत्सर्ग ये प्राण है मर्यादा में रहते, कर्मयोगी है यहाँ घर घर मे, समर्थ जोगी है होगा दलन उसका, जो है उद्दंड कर शत्रु पर वार, कर खंड-खंड हिन्दू है अखंड, जोश है प्रचंड।। देश के हर ...
प्रवाह
कविता

प्रवाह

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** वो भी न रहा है ये भी न रहेगा समय के प्रवाह में ये भी तो बहेगा बदलती है रुते बदलती है राते रुकता नही जीवन झुकता नही जीवन सुहाने पलो में ये भी तो जियेगा वो भी न रहा है ये भी न रहेगा समय के प्रवाह में ये भी तो बहेगा सुनहरी धूप में सुरमई छांव में दिन और रात में पीपल के गांव में ऊर्जा से भरा ये भी तो गायेगा वो भी न रहा है ये भी न रहेगा समय के प्रवाह में ये भी तो बहेगा काली राते बदलेगी दमकती सुबहे आएगी कौन रुका जो रुकेगा कालचक्र तो चलेगा धुरी पर नही परिधि पर ये भी तो घूमेगा वो भी न रहा है ये भी न रहेगा समय के प्रवाह में ये भी तो बहेगा न ऊँचाई न गहराई कौन तुझे रोक पाई जब जब तूने ठाना तेरी हर बात को माना चल चला चल पीछे तेरे ये भी तो चलेगा वो भी न रहा है ये भी न रहेगा समय...
माँ को खोजता हूँ
कविता

माँ को खोजता हूँ

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जब मैं निराशा से भर जाता हूँ माँ को खोजता हूँ माँ, माँ तुम कहा हो, माँ मैं माँ को चहु और खोजते, माँ कहि नही पा कर हताश हो घर के एक कोने में चुपचाप बैठ जाता हूँ। अपने ही भीतर से मुझे एक स्नेह भरी आवाज़ सुनाई देती है, क्यो उदास हो रहे हो मैं सदा ही तुम्हारे साथ हूँ तुम्हारे भीतर ही हूँ मैं मैं चौकन्ना हो जाता हूँ। खुशी से बुदबुदाता माँ माँ क्या तुम सचमुच मेरे भीतर हो फिर वही स्नेहसिक्त आवाज आती है हा बेटे हा मैं सचमुच तुम्हारे भीतर हूँ मैं खुशी से झूम जाता हूँ। मुझे फिर सुनाई देता है जब तुम प्रेम व स्नेह से सदव्यवहार करते हो मैं ही तो होती हूँ जब तुम्हारा ह्रदय परपीड़ा से भर जाता है मैं ही तो होती हूँ तुम दुसरो की चिंता कर उन्हें मदद करते हो वो चिंता वो मदद मैं ही तो होती हूँ, प्रेम व दया से भर जब तुम अश्रु बहाते हो तुम्हारे वो ...
ये जिंदगी
कविता

ये जिंदगी

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ये जिंदगी थोड़ा तो मुस्कुराने दे अभी कल ही तो माँ गांव से आई है कुछ मीठी गुजिया लाई है कुछ तो मजे कर लेने दे ये जिंदगी थोड़ा तो मुस्कुराने दे।। तिनका तिनका जोड़ा कोई सपना तोड़ा कोई सपना जोड़ा आँसू भरी आँख से मुस्कुराया थोड़ा थोड़ा आ तू भी हो जा मेरी खुशियों में शामिल तू भी मुस्करा थोड़ा थोड़ा कुछ तो तुझे समझ पाने दे ये जिंदगी थोड़ा तो मुस्कुराने दे।। माना कि मुझसे गलतियां हुई है हजार तूने समझने की कोशिश भी की बार बार बस अब और नही माफ कर दे एक बार अपनो को दिल खोल के गले से लगाने दे ये जिंदगी थोड़ा तो मुस्कुराने दे।। बिटिया की आंखों में है ढेरो सपने बेटा भी गुनगुना रहा ख्वाब अपने बीवी जोड़ रही आड़े वक़्त के लिए पैसा पैसा मैं भी काम किये जा रहा हूँ कैसा कैसा दिप आशाओं के जल जाने दे ये जिंदगी थोड़ा तो मुस्कुराने दे।। दोस्तो की संगत में निवाले ...
हमारा कोई राम नही
कविता

हमारा कोई राम नही

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कोई काम नही कोई धाम नही हम है तजे हुए हमारा कोई राम नही हमारा कोई राम नही क्या जिये हम क्या मरे हम पड़ता किसी को फर्क नही हमारा कोई राम नही हमारा कोई राम नही जैसे धरा का भार ऊपर किस्मत की मार हाथों को काम नही हमारा कोई राम नही हमारा कोई राम नही पीठ से चिपके पेट सभी कर रहे आखेट आंसू में भी खार नही हमारा कोई राम नही हमारा कोई राम नही दया का पाखंड है स्वार्थ उनका अखंड है आता सामदाम नही हमारा कोई राम नही हमारा कोई राम नही तुच्छ है हम बेमोल है हम हमारा कोई दाम नही हमारा कोई राम नही हमारा कोई राम नही बड़ी-बड़ी बातों से आती आवाज़ आँतो से बातें होती रोटी नही हमारा कोई राम नही हमारा कोई राम नही हम घिरे है दर्दो से है जिंदा मुर्दो से पर सांसे जाम नही हमारा कोई राम नही हमारा कोई राम नही हम आम है आम ही हमे रहना है किसी के खास नही हमारा ...
खरी खरी
कविता

खरी खरी

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कमी नही सफिनो की कमी नही कमीनो की लाशो पे कर रहे सौदे ऐसे शफाखानो की उखड़ती साँसे है नफा कमालो खूब इस दफा जिस्मो में पड़ेंगे कीड़े ऊपरवाला होगा खफा नेता तेरा भी उड़ेगा तोता आदमी नही रहेगा सोता ऊंची नीची देना बंद कर सभी को छोड़ा तूने रोता किस पर रखू भरोसा प्रभु तू ही भला भलासा दुर्जन कर रहे है तांडव कर मर्दन दे हमे दिलासा इंसान इंसान के काम आ समय समय पे काम आ आ मेरे रब अब तो आ बन रहीम आ बन राम आ परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाण...
उसे क्या गिला है
ग़ज़ल

उसे क्या गिला है

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कहा है बताओ उसे क्या गिला है जहाँ में अकेला मुझे वो मिला है मुझे देख गाते उसे भी बुलाया खुले में गवाओ उसे जो मिला है जवानी दिवानी बनी है कहानी मुझे जो दिया है वही तो मिला है शमा के उजालो मुझे साथ लेलो उजाला दिखाने यही तो मिला है लगाया जिसे है गले से हमारे वही आज तेरे घरों से मिला है नही है भरोसा जिसे जो मिला है जहाँ में हमारे सभी को मिला है परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, ...
देखते-देखते
कविता

देखते-देखते

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आंखे है दहकी दहकी बातें है बहकी बहकी मैं बस देखता ही रहा वो गया देखते देखते हालात बिगड़े बिगड़े रहनुमा तगड़े तगड़े रोक सकते थे उसे पर वो गया देखते देखते मंजर सहमा सहमा माहौल गरमा गरमा अपने देखते ही रह गए वो गया देखते देखते कोई नही अपना अपना हर रिश्ता सपना सपना करते रहो अब इंतजार वो गया देखते देखते दिया प्यार तौल तौल की नेकी बोल बोल कौन सुने दिल खोल वो गया देखते देखते वो गया देखते देखते। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता...
लड़कियां
कविता

लड़कियां

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** छोटी हमउम्र लड़कियां खेल रही है आंगन में खेल में उनकी मसरूफियत किरदार में उनका डूब जाना आसपास फुदकती गिलहरियों को भाता है लड़कियों के फ्रॉक पर बने फूल महकने लगे है और उन पर बनी तितलियों ने भर ली है उड़ान खुले खुले नीले आसमान में। लडकिया कुछ नही जानती वे तो मसरूफ है अपने किरदार में। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्...
मौन
कविता

मौन

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मैं एकांत में संवादहीन बैठा हूँ सबसे दूर अलग हो परिलक्षित भर हो रहा मौन। विचारों का सुप्त ज्वालामुखी फुट पड़ा है दहकता बहता लावा लगता है मुझे भस्म कर देगा भीतर क्या क्या नही भर रखा था मैंने काश की बह जाने देता समय समय पर किंतु मैं दबाता रहा विचारों को आज जब धारण किये बैठा हूँ मौन सत्य की प्रथम सीढ़ी पर ही बह निकला है मेरा सच। कितना कठिन हो रहा है स्वयं को खाली करना यम नियम संयम की राह पर चल पड़ा हूँ धारणा मजबूत हो रही है अब दूर नही है समाधि। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्ष...
रूपगर्विता
कविता

रूपगर्विता

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** तुम शताब्दी एक्सप्रैस गर्व से भरी सुख सुविधा संपन्न नित्य गुजर जाती हो मुझ पर से। मैं एक छोटा सा गुमनाम सा रेलवेस्टेशन तनिक भी कभी देखा नही तूने मेरी और मैं नित्य तुझ रूपगर्विता को निहारता हूँ अनगिनत भावो के साथ तुम मुझ में प्रतिदिन लघु होने का भाव तीव्रता से जगा जाती हो आज कुछ आतताई यो ने तेरे पथ पर अवरोध उत्पन्न कर दिया है, तू खड़ी है मुझ पर मजबूरी वश मैं किंकर्तव्यविमूढ़ सा अपलक तुझे निहार रहा हूँ कभी तुझे तो कभी स्वयं को देख रहा हूँ आनंदविभोर हो इस क्षण को अक्षुण्य रखूंगा ह्रदय में जीवन भर मुझे पता है कुछ ही क्षणों में तुम चली जाओगी और नित्य गुजरोगी मेरे ऊपर से मुझे देखे बगैर। तुम रूपगर्विता दर्प से भरी मैं अकिंचन छोटा गुमनाम सा रेलवेस्टेशन। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बु...
रंग-रंग के रंग
कविता

रंग-रंग के रंग

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** रंग-रंग के रंग खिले लाल हरे नीले पीले जीवन उल्लास रे आनंद घट पीले आनंद घट पीले झूम रहा टेसू है झूम रहा अमलतास है गुलमोहर की छांव में बीत रहा मधुमास है क्षण क्षण भंगुर यहाँ क्षण क्षण को जीले आनंद घट पीले आनंद घट पीले। रंग आकाश का रंग प्रकाश का रंग माटी का पवन के रंग में घुला रंग सलिल का जीवन का हर तल छूले आनंद घट पीले आंनद घट पीले आमोद है प्रमोद है रसरंग से भरी भरी प्रकृति की गोद है ऋतुएँ सीखा रही सप्तसुरो के भेद है गा गीत प्रेम के लगा सभी को गले आनंद घट पीले आनंद घट पीले ह्रदय के आलोक में बरसा प्रेम त्रिलोक में जन्म हो सार्थक तेरा जन हो समर्थक तेरा जीवन ऐसा जीले आनंद घट पीले आनंद घट पीले रंग रंग के रंग खिले लाल हरे नीले पीले। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. स...
ख्वाब नही आते अब रातों में
ग़ज़ल

ख्वाब नही आते अब रातों में

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ख्वाब नही आते अब रातों में असर तो है आपकी बातों में लड़ता भिड़ता हूँ हालात से थक के चूर सोता हूँ रातों में जीने का सबक सिखा गया हँसते-हँसते, बातों-बातों में आओ आज जुर्म करते है लोगो के दर्द चुराते है रातों में काश की तू मुझे समझ पाता तुझे यकीन लोगो की बातों में सच हमेशा मीठा नही होता तू घिरा रहा मीठी-मीठी बातों में आओ मिल कर ढूढ़ते है उसे जो खोया हमने कड़वी बातों में नफरतों से भरे पड़े है सब प्यार ही नही किसी खातों में अंधेरा हर सिम्त पसरा है दोस्त दहलीज़ पर दिया जलाए रातों में तेरी याद शिद्दत से आती है देखता हूँ जब सितारें रातों में मुंतज़िर हूँ लौट आ, धैर्यशील, रूठा जो तू मुझसे बातों-बातों में परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्...
वो याद आये इतना
कविता

वो याद आये इतना

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** घटाए छाने लगी शाम होने लगी हवा के संगीत पर फूलों की शाखें झूमने लगी वो याद इतना आये की शबनम बरसने लगी। दीदार हो उनका गुंचो ने आँखे खोली निकल आया आफताब फ़िज़ाये महकने लगी वो याद इतना आये की शबनम बरसने लगी। खिजा आती है इसलिए टूट कर गिराने को पत्ते रूठ जाएगा मेरा महबूब गर उसके पैरों में धूल लगी वो याद इतना आये की शबनम बरसने लगी। उसे डर किस बात का वो खुद ही खुर्शीद है आने के आसार है उसके सितारों की रौशनी कम होने लगी वो याद इतना आये की शबनम बरसने लगी। फलक हो या हो जमीन तू है कहा नही सुर्खी है तू फूलों की रोशनी है सितारों की कायनात तेरे दम पर इठलाने लगी वो याद इतना आये की शबनम बरसने लगी। तू वो शायरा जिसने लिखी ये रूमानी ग़ज़ल तेरे नक्शेकदम पर चल मेरी शायरी जवां होने लगी वो याद इतना आये की शबनम बरसने लगी शबनम बरसने लगी। परिचय :- धैर्य...
छत्रपति  श्री शिवराया
कविता

छत्रपति श्री शिवराया

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** गतिहीन राष्ट्र को जो दे गति वो शिवराया है वो छत्रपति।। जीजा माता के संस्कार से दूर रहा जो सदा विकार से स्वामी समर्थ का रहा आशीर्वाद कोंडोबा की शिक्षा निर्विवाद लिए स्वराज का स्वप्न वो भगवा है जिसकी संस्कृति वो शिवराय है वो छत्रपति।। हिंदवी का जो सागरमाथा है पराक्रम शौर्य की महागाथा है सुरक्षित रखा जिसने हिंदुत्व राष्ट्र निर्माण का किया कर्तुत्व माँ तुलजा के आशीर्वाद से भवानी में रही धार और गति वो शिवराया है वो छत्रपति।। नर केसरी तानाजी की आन बाजी प्रभु के प्राणों की शान विधर्मी को घर मे घुस मारा डूबते सनातन को उसने तारा आगरा के परकोटे रोक न पाये जिसके व्यक्तित्व में वो गति वो शिवराया है वो छत्रपति।। शत-शत नमन हे पितृपुरुष निर्भय हो घूम रहे स्त्रीपुरुष अगर न होता आपका पराक्रम नष्ट हो जाता सनातन धर्म समरसता के महायज्ञ में जिसन...
आज़ादी के मज़े
कविता

आज़ादी के मज़े

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** न सुकून है न चैन है डूबा हूँ शोर शराबे में प्रजातंत्र के हल्ले गुल्ले में अभिव्यक्ति के घोर खराबे में पूरा मुल्क डूबा है शोर शराबे में जिसे जो मन भाया कर रहा है समाजवाद की टोपी पूंजीवाद पहन रहा है असली चेहरे देखने को मन तरस गया है एक उतारो तो दूसरा मुखोटा मिल रहा है मजा ले रहे है लोग खून खराबे में पूरा मुल्क डूबा है शोर शराबे में पिछोत्तर साल होने आये है फिर भी भरमाये हुये है सभी का अपना व्यक्तिवाद उसे ही समझ रहे राष्ट्रवाद कोई गा रहा वंशवाद के बारे में पूरा मुल्क डूबा है शोर शराबे में देश का जो होना है होवे मेरे ऐश्वर्य में कमी न होवे अली बाबा अकेला जूझ रहा है चालीस चोर मचा रहे है शोर जल्दी लूटो होने वाली है भोर सोच रहे सब अपनी अपनी कौन सोचे देश के बारे में पूरा मुल्क डूबा है शोर शराबे में पूरा मुल्क डूबा है शोर शराबे में प...