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Tag: ललित शर्मा

मानवता जगाएं
कविता

मानवता जगाएं

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आओ हम मानवता लाएं आगे स्वतः बढ़ आएँ मानवता आगे बढ़ाएं, द्वंद, घृणा, बैर, क्लेश, जड़ से हटाएं मिटाए स्नेह प्यार सौहार्द आपस में बढ़ाएं खुलेमन से सबको गले लगाएं बढ़ाएं जन जन से प्रेम प्रीति और व्यवहार सेवा, सहयोग, सहायता हम खूब आपस में बढ़ाए प्रेमरिश्तों को निभाये रचाये मधुरता का मानवता का यह संसार संबंध व्यवहार का नाजुक न कहीं पड़ जाए रचती बढ़ती रहे देशसमाज में मानवता जगे मानव के ह्रदय से मानवीयता की मधुर आवाज बढ़ता जाए आपस में सबजन का मेलमिलाप वृहत रचे और रचती रहे मानवता का मधुरतम बढ़े ह्रदय में भरें हरदम मन में उच्चतम विचार मानवता का रचता रहे मानव का मधुर सम्बन्ध मानव का मधुर व्यवहार परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक घोषणा पत्र ...
घड़ी
कविता

घड़ी

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** कांटे की घूमती, सिखाती कहती बिन थमे चलती हूं, हर दिन हर पल नाम है घड़ी, बिन गति बदल मेरी टिक टिक, आती है आवाज समय है कीमती टिक टिक में कहती समय, घड़ी, पल की दिलाती याद न रुका न रुकेगा, कीमती पल साथ घड़ी कहती समय पल घड़ी मत बदल मत रुक एक पल, मूल्यवान हर पल समय व्यर्थ कर न आज, न कर कल न समय न घड़ी न एक पल आएगा कल नाम है घड़ी मेरा, चलती बिन गति बदल हर पल हर दिन रहती अविराम बदलती नहीं बिल्कुल भी गति समझो सीखो कर लो पल कीमती नाम है एक घड़ी, कभी नहीं रुकती समय घड़ी पल की जिमेवारी रखती मैं रुकती नहीं, तू भी मत रुक, कर्म करते बढ़ते कभी न थक न थम न थक बस चल हर पल बिन सांस, चलती हूं हर पल हूं घड़ी, चलती हूं कांटे के बल धूप बरसात न मौसम की बात जब समय घड़ी में आये विध्न बाधा न चिंता तू आज कर, न कर कल चलती हूं ...
सम्पर्क सुख
कविता

सम्पर्क सुख

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** रिमोट बटन कमान में, काम का बदलता रूप हर काम में डिजीटल ले रहा है नया रूप बदलता युग बदला काम डिजीटल से काम की कमान का मानव ले रहा मनचाहा सुख नितप्रतिदिन डिजीटल का बढ़ता बदलता सुख कामकाज का प्रचलन, बनाया सरल बना लिया है बखूब, डिजीटल के काम की आधुनिक पद्धति बना ली है हर क्षेत्र के काम में अपनी बना ली एक स्मार्ट गति दिखता है डिजीटल का काम अनोखा और अद्भुत हाथ से काम की आदतें वे आदते देखने को मिल नहीं रही जिधर देखो वे हाथ की विद्याये डिजीटल के भरोसे अब गई सबकी छूट और अब डिजीटल से ही नजर आता है कैसे कितना बदल डाला है डिजीटल का युग डिजीटल से देख रहा स्थानों को डिजीटल से देखता है सब रुट कर रहा है हर मानव काम, काम कर लिया है आसान जीवनशैली में हर व्यक्ति की भागदौड़ डिजीटल के भरोसे ही ले आय...
छठ व्रत की महिमा
कविता

छठ व्रत की महिमा

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सूर्यदेवता के चरणों में सूर्यास्त की किरणों से सूर्योदय की किरणों तक सूर्यदेव की उपासना में व्यस्त सूर्यदेव का करते है व्रत, दीपोत्सव के छह दिन के बाद आता यह, कहलाता छठपर्व व्रतधारी हर नियम धर्म है रखते जलकुंड नदी तालाब पोखरे छठपर्व पर शुद्ध और पूजित होते सूर्यदेवता के आगे नतमस्तक होते नवाते ब्रतधारी जल में खड़े हो अपने शीश दण्डवत करके दऊरा लेके गाते छठ के गीत सूर्यदेव की करते सेवाभक्ति जल में उतरते अर्ध्य देने को तनमन में ब्रतधारी की शक्ति भक्तिमय रूपरंग में व्रतधारी सूर्यदेवता की करते सेवाभक्ति फल फूल ठेकुआ करते अर्पित स्नान ध्यान कर सूर्यदेवता का जल में खड़े करते है प्रणाम व्रतधारी छठपर्व पर करते ध्यान सूर्यपूजा, व्रतधारी का अन्तर्मन भक्तिभाव में लगता तन-मन लौकी भात खीर आदि पूर्व खाते छ...
मानवता की अलख जगाते सुधाकंठ डॉ. भूपेन हजारिका
आलेख

मानवता की अलख जगाते सुधाकंठ डॉ. भूपेन हजारिका

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** मनुष्य का जीवन दुख विपदाओं, नाना समस्याओं का संगी है। गौर करें तो उलझनें सुलझाने में अक्सर जटिल रूप धारण करती है, यानि जीवन को अंतहीन समस्याओं से मुक्ति नहीं मिलती है। विवेकपूर्ण निर्णय से सरल जीवन जीने की कला में सुख की कलाएं प्रत्यक्ष होती है। बस आपाधापी जीवन संग्राम में लक्ष्य प्राप्ति हेतु लगन, इसमें बतौर संकल्प व एकाग्रता नितांत जरूरी है। मनुष्य जीवन कठिन सँघर्षरत तो है ही, सरलता, कुशलता से खुशहाली में ढालना एक विशेष कला है इसमें ढालकर व्यक्ति सुख की अनुभूति का अहसास करता है असम के सुविख्यात गायक, गीतकार, संगीतकार, कवि, साहित्यकार, सुधाकंठ डॉ भूपेन हजारिका में यह विशेषता अक्सर झलकती थी। कठिन डगर में बिन लड़खड़ाये खुशहाली से जीवन बिताये, अपने अंदर छुपी तमाम् कलाओं, प्रतिभाओं को जनमानस के बीच सरलता सादगी जीवन में पारदर्शी ...
दीयों की दीपावली पर महत्ता
आलेख

दीयों की दीपावली पर महत्ता

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** कुम्हारों के वंशागत पेशे से जगमगाती आ रही है दीपावली। आधुनिक युग में आधुनिक साज सज्जा की रोशनी में ध्यान केंद्रित है। दीपावली की रौशनी में भी आधुनिकता परोसने की घुड़दौड़ मची है। देशी विदेशी कम्पनी अपनी नई छाप छोड़कर नई रौशनी को परोसकर दीपावली की रौशनी के रंग बिखेरना चाहती है। यह उत्सव संस्कृति, परम्परा के निर्वाह से गहरा जुड़ा है। इसमें दीयों का होना आवश्यक है। कहा जाता है बिन दूल्हे के बारात का कोई महत्व नहीं ठीक दीयों के बिन दीपावली सुनी समझी जाती है। घर की मांगलिक महालक्ष्मी की पूजा पद्धति, सजावट, घर की रौशनी में दीयों की खरीददारी अनिवार्य होती है। आधुनिक सामग्रियों को कितना ही क्यों न व्यवहृत किया जाए, दीये के स्थान को छीन पाना असम्भव है। पूजन पद्धति संस्कृति परम्परा के निर्वाह में दूसरी सामग्री मूल्यहीन होती है सिर्फ मिट्ट...
मंगल खुशियां लाते मिट्टी के दीपक
कविता

मंगल खुशियां लाते मिट्टी के दीपक

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** मिट्टी के प्यारे न्यारे दीपक, रौशनी में खिलखिलाते जलते-जलते तेलबाती के दीपक, घर को चमकाते दीपोत्सव से प्रकाशोत्सव पर्व तक छा जाते मिट्टी के शुभ मंगल दीपक, खुशियां भर-भर लाते कुम्हार के हाथों से, मथकर चिकनी मिट्टी के चाक के चक्कर कच्ची मिट्टी के लगाते सुहावने सुंदर आकृति में मिट्टी के दीपक बन जाते देख कच्ची मिट्टी के दीपक, हम मोहित होते जाते जगमगाते लुभाते, सुहावनी रौशनी, दीपक फैलाते मन को हर्षाते, जगमगाते, रोशनी खुशियां बिखराते प्रदूषण से सबको, तेलबाती के मिट्टी के दीपक बचाते घर-घर का मंगल उजियारा दीपोत्सव के दीपक बढ़ाते मिट्टी में रमते मिलते उत्सव की बेला पर मंगल गीत से आंगन को मधुरिम बनाते घर भर के आंगन में दीपक सगुन भरते जाते विराजमान होकर घर के कोने कोने तक सुख समृद्ध कुशल मंगल क...
स्वयं आत्मबल
कविता

स्वयं आत्मबल

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** चलता जा बढ़ता जा बढ़ाता जा मन का बल मत तोड़ हिम्मत हो जा निडर बढ़ता जाएगा स्वयं आत्मबल कदमों को बढ़ाता मनशक्ति बढ़ाता बढ़ता आगे निकल मत थाम कदम हिम्मत से ले काम बढ़ाकर मन का बल खुशियां का मिलेगा स्वयं आत्मबल बढ़ाकर विवेकपूर्ण मन के नेक विचार अनुभव खुशियों में बढ़ा आत्मिक बल खिलता चला आएगा स्वयं आत्मबल खुशियों सी लता सा फैल जाएगा संसार उच्च ख्यालों का बढ़ता जाएगा प्यार मन ही मन में भरेगा बंधायेगा अन्तर्मन करूणा प्रेम सम्बल झूठ कपट छलकपट त्यागकर पायेगा वही स्वयं आत्मबल फैलते रहे अन्तर्मन में सच्चाई ईमानदारी बढ़ते जाए उत्तम भाव रहे न मन कभी चंचल भूलकर जीवन के दुख मिलेगा चैन और बल मन ही मन भरता पायेगा दरदिन हरपल स्वयं आत्मबल परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) संप्रति ...
भक्तिमयी नवरात्रि
भजन

भक्तिमयी नवरात्रि

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सिंह पर सवार होकर जब नवदुर्गा, शरदऋतु में भक्तों के घर है आती भक्तों के हर घर आंगन में खुशियां खूब महक आती शारदीय दुर्गोत्सव की बेला सुहावनी भक्तिमय मधुरिम आनंदित अंतरिम सुखमय मङ्गलमयदायक प्रेरणादायक जीवनगीत संगीत है सुनाती भक्तों में चाव, भक्ति का मां चढ़ाती सजधज कर मां, नवरात्रि पर आती आसन पर बैठ देवी मां, भक्तों में उत्साह उमंग फुर्ती भक्ति शक्ति की कृपादृष्टि मां दुर्गा बरसाती भक्ति की धूम मां के भक्तों में मां दुर्गा मचाती भक्ति भाव की शक्ति से भक्तिधरा की खिलखिलाहट भक्तों में नजर आती अलबेली भक्ति अन्तर्मन में भक्तवृन्द के मुखारविंद से मां की भक्ति खूब नवरात्रि पर है बिखरती नजर चारो और आती नवरात्रि पर देवी माँ दुर्गा का भक्तिभाव से होता जगराता भक्तों के ह्रदय में। मां दुर्गा की भ...
डिजीटल पर मानव अटल
कविता

डिजीटल पर मानव अटल

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आज का आधुनिक युग मानव कदापि रहा न रुक बेहिसाब काम के बोझ में डिजीटल में गया खुद झुक ।। डिजीटल क्या आ गया युग का दैनिक बदला काम कर लिया सब खूब आसान खूब बदल लिया काम ।। डिजीटल पर भरोसा फर्स्ट डिजीटल पर खूब है व्यस्त डिजीटल प्यारा घर परिवार सगे सम्बन्धी पड़ोसी का कोरा दिखावटी है स्नेह प्यार ।। है डिजीटल कहता है मानव खुद खुश व्यस्त और मस्त कौन है अपना कौन पराया डिजीटल का है स्वाद पाया मानव का मन डिजीटल ने चुंबक से ज्यादा चिपकाया ।। दुख सुख की सारी चिंता का डिजीटल को दुख दर्द बताया दुनिया में मानव खुद मानव से जिंदगी को डिजीटल है बनाया ।। शिक्षित क्या अशिक्षित कलम कागज छोड़ा हाथ के बजाय सबकुछ डिजीटल के भरोसे नोकरी व्यापार कारोबार डिजीटल से उपार्जन रोजगार दो जून रोटी जुगाड़ करने समूचा रिश्ता न...
गांधी व स्वच्छता
कविता

गांधी व स्वच्छता

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** देश के हर कोने में, जागरूकता में जारी स्वच्छता का वृहत अभियान गाँधीजी के जन्मदिन पर, तूल पकड़ रहा जोरो पर देशभर के हर कोने कोने में स्वच्छता का वृहत अभियान देशवासियों ने हर जगह बढ़ा दिया स्वच्छता का मान सन्मान, स्वच्छता की कमी न रखने का किया जा रहा है, गांव से शहर तक देशभर की जनता में ऐलान जारी है जारी रखो स्वच्छता का यह वृहत अभियान गाँधी जी स्वयं स्वच्छता में बढ़चढ़कर खुद समर्पित रहकर किये योगदान देशवासियो ने अब समझ लिया गाँधी जी ने बताया चलाया स्वच्छता का कितना आवश्यक है काम स्वच्छता का यह वृहत अभियान चपरासी से अधिकारी जुड़कर सफल बना रहा है झाड़ू पकड़कर देशव्यापी स्वच्छता का सफल स्वच्छता का यह वृहत अभियान गाँधी जी के जन्मदिनपर हर गली मोहल्ले में चलता है यह अभियान जोरो पर जुटते है हर तबके के ल...
आत्मशुद्धि कराता दसलक्षण ब्रत
भजन

आत्मशुद्धि कराता दसलक्षण ब्रत

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आत्मशुद्धि की पवित्रता का आता हर वर्ष दशलक्षण पर्व दस सोलह बत्तीस दिन भक्तिभजन सत्संग ध्यान में एकाग्रता में लीन कराता दशलक्षण व्रत पर्व तनमन से व्रत का पालन अन्नत्याग कर आंतरिकता से आध्यत्मिक भक्ति में आत्मशुद्धि की शक्ति खूब लाता अन्तर्मन के रग रग में दसलक्षण पर्व भाद्र पद का पवित्र महीना आराधना, उपासना और बन जाता साधना का आत्मशुद्धि की शरण में सिखलाता जीवन जीना सबजन को सिखलाता कितना है नियम कठिन बतलाता दसलक्षण पर्व अनर्गल आपाधापी त्यागकर अपनेआप को करता एकांत रहना है भक्तिभजन नियम में नियम धर्म की संगत में खुद हो जाता शांत ब्रत उपवास पालन करता मनाता दसलक्षण पर्व छोड़कर मोहमाया काया को देता आराम त्यागकर अंधाधुंध भागदौड़ ब्रत करता अन्तर्मन से ईश्वर से आत्मशक्ति की विनती करता कहता सफल...
हिंदी पखवाड़ा
कविता

हिंदी पखवाड़ा

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सितंबर का यह महीना लो फिर आ गया भाई हिंदी दिवस, खूब मनेगा फिर नई खुशी फिर छाई सबका होगा फिर जमकर जमावड़ा जमकर हिंदी का मनुहार होगा जमकर चलेगा पखवाडा विकसित करने को हिंदी कामयाब करेंगे पखवाडा दिवस हिंदी पर लगाया जाएगा समृद्ध करने का गहरा झाड़ा हिंदी के समृद्ध की गहराई तनमन से ढूंढी जायेगी खुशियां अन्तर्मन में खूब जोरों पर हिंदी को प्रचारित प्रसारित की लहरायेगी हिंदी की तरक्की में दिमागी कसरतें नई नई तरकीबें कागज कलम में पखवाड़े में लिपिबद्ध होती आएगी हिंदी दिवस मनाने की याद दिल में सबजन को सितंबर में अक्सर सताती है कार्यशाला गोष्ठी प्रतियोगिता खूब दिलचस्प कर दी जाती है जमकर होता है आयोजन हिंदी को मजबूत करो हिंदी विकसित करो बोलो हिंदी करो समृद्ध जमकर भाषण में सारी बातें सबजन उठाते है जन ...
शिक्षक ज्ञान का संसार …
कविता

शिक्षक ज्ञान का संसार …

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** जब था हमारा विद्यार्थी जीवन विद्यालय जाने की चढ़ती धुन समय शिक्षक संग बिताते थे हम मित्रों और शिक्षको के संग कैसे हंसी खुशी बीत जाता बचपन कक्षा में बैठकर पढ़ने में लीन होने की धुन कभी नहीं होती थी हममें कम पढ़ने की चढ़ती थी उमंग तरंग कतार में खड़े होकर नियमित प्रार्थना गाते थे हम तनमन से शिक्षक के समक्ष कुर्सी पर बैठ जाते थे हम घण्टी बजते ही शिक्षक खाता लेकर कक्षा में आते आते ही सम्मान करते, खड़े हो जाते हम हाजरी वे सबसे पहले लगाते, अपनी उपस्थिति हम बताते बचपन में वो हमें अक्षर ज्ञान के पाठ सिखने को संग बिठाते, पढ़ाने में लीन कराते अन्तर्मन से अक्षर बचपन में खूब समझाते पढ़ने की हर जिज्ञासा को पल में अन्तर्मन में रमाते रटा रटा कर लिखना पढ़ना हम बच्चो को खूब सिखाते नए नए ज्ञान की नितप्रतिदिन जीवन घुं...
आजादी पाने को
कविता

आजादी पाने को

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आजादी पाने को देशवासियों की ताकत कभी नहीं थी डगमगाई देश की खातिर लड़ने को देशवासियो ने क्रांति बढ़ाई आजादी की एकता आई देशवासी लड़े आजादी की लम्बी लड़ाई।। देश की खातिर मर मिटने की देशवासियो ने हिम्मत बनाई हौसले बढ़ाकर लड़ने की देशवासियों ने सचमुच कसम खाई और लडने की ताकत दिखलाई।। देश के हर कोने में जागरूकता देशवासी ने खूब फैलाई गुलामी की लड़ाई में बुनियाद मजबूत बनाई कंधा से कंधा मिलाया देशवासियों में नया जोश आया आश्चर्यजनक हिम्मत आई मन मस्तिष्क बाजुओं में गुलामी से मुक्त होने की अटल जिद्द चली आई अंग्रेजो के खिलाफ कमजोर नहीं कामयाबी की राह मजबूत बनाई।। गुलामी से आजादी पाने की कूट -कूट भरी थी अद्भुत शक्ति कठिन डगर कठिन सफर थी वो घड़ियां चारो पहर समस्या थी तमाम विचारधारा थी देशवासियों में समान ...
बढ़ती दुनिया
कविता

बढ़ती दुनिया

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आज का आधुनिक युग डिजीटल युग में बेहिसाब सा बदल गया बेहिसाब लोगों का बेहिसाब दैनिक कामकाज डिजीटल युग की प्रक्रियाओं में सरल कर रहा डिजीटल का भरोसा बढ़कर सम्पर्क अब खूब बढ़ सा रहा कामकाज का रूप बेहिसाब सबका एक नया अध्याय खड़ा कर रहा डिजीटल की दुनिया में कामकाज का नमूना खूब बदल गया शिक्षित क्या अशिक्षित हाथ से लिखने की आदत से हट रहा कामकाजी रूप को डिजीटल खूब कर रहा हाथों के कामकाज को विराम करने में भलाई समझ रहा डिजीटल के भरोसे दैनिक काम मानव खूब लगन से कर रहा कलम पकड़ने का मन प्रायः लोगो का नहीं रहा कागज में लिखने का प्रायःमन हट सा गया डिजीटल में मानव कामकाज का रूप खूब सरल करता ख़ुद स्मार्ट और डिजीटल कर रहा समय की बचत करता डिजीटल में मानव का सबसे सम्पर्क चंद मिनट में हो रहा रोजगार पर्यटन व्या...
शिक्षा की गहराई
कविता

शिक्षा की गहराई

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** शिक्षा में ही है अनन्त ज्ञान की  गहराई यह बुनियाद जिसने है मजबूत   बनाई समझ, बुद्धि, बढ़ी, चिंताएं नहीं   सताई  शिक्षित से प्रगति खुशियाँ महक  आई जीवन में अति उत्कृष्ट है    शिक्षाज्ञान पढ़लिख कर अर्जित करे   शिक्षाज्ञान दिलाती बढ़ाती सन्मान      शिक्षाज्ञान उजियारा का दीप जलाती  शिक्षाज्ञान शिक्षित जीवन से ही सर्वोत्तम   आराम जाति समाज देश का खूब कराता ज्ञान अनन्त सुख समृद्धि में कराता पाठदान दीपक बुझे नहीँ शिक्षा का पाएँ सन्मान कोई ना राखे कभी कहीं   त्रुटि उत्तम ज्ञान है शिक्षा की    घुंटी बाल्यकाल जीवन से ही    बूंटी राहत की यही है संजीवनी बूंटी पिलाने का सर्वजन रचाओ   संसार खुलेमन से सब मिलकर करें  प्रसार शिक्षितजनों का बढ़े विस्तृत   संसार खोले अनपढ़ अवरुद्ध शिक्षा का द्वार शिक्षा की रोशनी से करे ...
आईना दिखाती कविताएँ
कविता

आईना दिखाती कविताएँ

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आईना दिखलाती कविताएँ अलंकृत शब्दों के भावों में रचती जाती कविताएं कवियोँ के कोमल हृदय से भावों में भर जाती कविताएं बैठे बैठे सोचते सोचते कवियों की कलम से लिख ली जाती है कविताएं भावों से भरी रहती अन्तर्मन को छू जाती है कविताएं समाज देश जाति में शब्दों की भाषा में आईना दिखलाती कविताएं समस्तजनो को रसास्वदन कराती है कविताएं प्रकृति से प्रेम करने की पथ प्रदर्शक बन जाती कविताएं बुराइयों से मुक्त रहने की विचारधारा बढ़ाती कविताएँ संस्कृति शिक्षा भाषा कला का बेबाक ज्ञान दिलाती कविताएं उदासीनता तोड़कर हंसाती है कविताएँ हंसने हंसाने मुस्कुराने की जड़ी बूंटी बन जाती कविताएँ रसों में रसदार फल से ज्यादा रसपान कराती कविताएँ सुधारने के आयाम बताती है कविताएँ बैचेन को चैन देती है अनमोल कविताएँ संपर्कता की सीढ़ी त्वरित र...
तलाश सच्ची खुशी की
कविता

तलाश सच्ची खुशी की

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** तलाशने चले खुशियां, पर कोसों दूर निकल पड़ी और हुई चूर, जीवन में चकनाचूर सी जीवन की खुशियां मिलने जुलने की रीत प्रीत बिना हुई जीवन में अंधकार सी जीवन की खुशियां आज मानव भटकती जीवनशैली में जीवन की मिलनसारिता के अभावों पर अद्भुत द्रष्टा देता दर्शाता अक्सर पूछता है खुद से हूँ व्यस्त जरूर जीवनशैली में कब कहाँ कैसे किस मोड़ पर मिलेगी सच्ची खुशियां उदासीनता सी झुलसियां में आपा-धापी के चकाचोंध चेहरे में मुस्कुराहटें ले ली करवटें झलकती झुलसियां और उदासीनता गुल बस हुई तो, बस हृदयानंद की खुशियां बांधे अनर्गल बोझ का सेहरा गवांकर मौका सुनहरा पूछता है मानव ओरों से कहाँ छुपी है कहाँ बिछुड़ी जीवन की खुशियां अनमोल खुशियां जुटाने की हिम्मत तलाशते तलाशते अन्तर्मन से सिमटती सिमट रही अनमोल अन्तर्मन की...