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Tag: विजय वर्धन

ह्रदय परिवर्तन
लघुकथा

ह्रदय परिवर्तन

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** एक सिद्धिप्राप्त साधु अपनी कुटिया में सोये हुए थे। रात के बारह बज रहे थे।दरवाजे पर खट- खट की आवाज हुई। साधु जी ने कहा कौन हैं? व्यक्ति ने कहा- मैं चोर हूँ। साधु जी ने दरवाजा खोल दिया और कहा- तुम्हें जो लेना है ले लो। चोर जब कुटिया के अंदर आया तब उसे कुछ भी दिखाई नहीं देने लगा जबकि कुटिया में एक दीपक जल रहा था। चोर बाहर निकला और चला गया। उसका ह्रदय ऐसा परिवर्तित हुआ कि उसने चोरी करना ही छोड़ दिया। इसके बाद वह खेती करके जीविका चलाने लगा एवं प्रवचन देने लगा। परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार) शिक्षा : एम.एससी.बी.एड. सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। घोषणा पत्र : ...
राम
भजन

राम

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** जिनके होठों पर हों राम उनका जीवन सुधा समान उनका दिल कलुषित नहीं होता करते वे सबका कल्याण जिनके हिय में वसते राम उनका सब होता है काम जो भजते हैं राम का नाम उनका जीवन स्वर्ग समान वे करुणा के होते गागर जैसे राम दया के सागर जो अनुचार हैं रामचंद्र के वे होते हनुमान समान परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार) शिक्षा : एम.एससी.बी.एड. सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।...
मातृ प्रेम
लघुकथा

मातृ प्रेम

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** अमृत अपनी माँ से बेहद प्यार करता था। माँ को जरा भी कोई तकलीफ हो, वह चिंतित हो जाता था। उसकी माँ भी उसके व्यवहार से सदा खुश रहती थी। अमृत ज़ब पढ़ लिख कर अपने पैर पर खड़ा हो गया तब उसके घर वाले उसकी शादी के लिए लड़की देखने लगे पर अमृत उन्हें सदा मना ही करता रहा क्योंकि उसे डर था कहीं लड़की माँ के साथ दुर्व्यवहार न करने लगे। किन्तु बहुत समझाने बुझाने पर वह मान गया। कुछ दिन तक तो सब कुछ ठीक-ठाक रहा पर धीरे-धीरे लड़की ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। अमृत उसे बार-बार समझाता पर वह मानने के लिए तैयार ही न होती। एक दिन अमृत ने डाँट कर उसे कह ही दिया-देखो मैं तुम्हें छोड़ सकता हूं पर माँ को नहीं। इतना सुनना था कि वह सहम गयी और उस दिन से ठीक से रहने लगी। परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोल...
ऐसी हवा चली कि …
कविता

ऐसी हवा चली कि …

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** ऐसी हवा चली कि रिश्ते बिगड़ गाये जो कुछ बचा था दुनिया की आँखों में गाड़ गाये हमने तो उनको अपना बनाया था जिगर से वो देखते ही देखते पत्ते से झड़ गाये माँ बाप किसके साथ रहेंगे सवाल पर दो भाई इस विरोध में आपस में लड़ गाये क्या दोष अहिल्या का था जो शपित हुई भला गौतम ने उसको नारी से पत्थर में जड़ गए द्रोपदी की एक गलती से क्या क्या न झेली वो सारे ही कौरव पाण्डेवों के पीछे ही पड़ गए परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार) शिक्षा : एम.एससी.बी.एड. सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित ए...
राम जब वन को जाते हैं
भजन, स्तुति

राम जब वन को जाते हैं

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** प्रेमी प्रजा की आँखों से आंसू बह जाते हैं ह्रदय ह्रदय में बसे राम जब वन को जाते हैं मात कौशल्या देख दृश्य यह करुण पुकार करें ह्रदय फटा जाता है उनका कौन् उपाय करें कोई नहीं जो उनके दुःख को दूर भागते हैं यह क्या सीता माई भी प्रभु राम के संग चली लक्ष्मण भी संग साथ चले यह कैसी विकट घड़ी देने को सांत्वाना नहीं कोई भी आते हैं कैकेइ, मंथरा हो रहीं पुलकित तन मन से भरत राज कर लेंगे दूर हुई बाधा हमसे मुर्छित दशरथ से भी उनके दिल न् लजाते हैं परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार) शिक्षा : एम.एससी.बी.एड. सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। घोषणा पत्र : मैं य...
आया वसंत
कविता

आया वसंत

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** आया वसंत, आया वसंत हो गया शीत का पुनः अंत सरसों हैं फूल रहे सर्वत्र धरा ने पहना पिला वस्त्र घर से सब निकले धीर संत आया वसंत, आया वसंत हँस रहे बाग में कई फूल अठखेली करते झूल-झूल हो गए सुवासित दिक्दिगन्त् आया वसन्त, आया वसंत भर रही कोकिला मधुर तान भंवरे का भी है मधुर गान भर रहा दिलों में ख़ुशी अनंत परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार) शिक्षा : एम.एससी.बी.एड. सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन...
किसने वसंत लाया
कविता

किसने वसंत लाया

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** किसने वसंत लाया किसने वसंत लाया मीठी-मीठी कुक सुनाकर, किसने मन भरमाया किसने वसंत लाया मंद-मंद चल रहा पवन है, शीतल-शीतल निर्मल जल है रंग विरंगे फूल खिल रहे, भ्रमर गीत गुंजाया किसने वसंत लाया किसलय झांक रहे पेड़ों से, नई नवेली निकली घर से आमो के पेड़ों पर देखो, मंजर फिर गदराया किसने वसंत लाया वीनापानि की पूजा कर, दिल से मन से उन्हें नमन कर एक दूजे के गालों पर, मलकर गुलाल छिडकाया किसने वसंत लाया परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार) शिक्षा : एम.एससी.बी.एड. सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार ...
कदम बढ़ा कर देखो
कविता

कदम बढ़ा कर देखो

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** होगा काम नहीं क्यों तुमसे कदम बढ़ा कर देखो साहस को अपनाओ प्यारे सोच बदल कर देखो प्रभु राम गर वन ना जाते कैसे रावण मरता कृष्ण अगर ना बल दिखलाते कंस कहो क्या डरता गांधी जी गर घर में रहते देश स्वतंत्र न होता पराधीनता की जंजीरें अब तक जकड़ा रहता दशरथ मांझी चेनी लेकर अगर न पथ को बनाते गाँव के लोग कहो कैसे सुविधा का लुत्फ़ उठाते इसीलिए कहता हूँ सबसे भाव बदल कर देखो होगा कोई काम नहीं क्यों सोच बदल कर देखो परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार) शिक्षा : एम.एससी.बी.एड. सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार ...
नव वर्ष की बधाई
कविता

नव वर्ष की बधाई

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** नव वर्ष की बधाई, नव वर्ष की बधाई जीवन सुखद सरस हो, संदेश ले के आई नव वर्ष की खुशी में, सब लोग खो रहे हैं नव वर्ष की खुशी में, सब मुग्ध हो रहे हैं बच्चे बड़े सबों की, खुशियाँ हजार लाई हम बैर भाव भूलें, अपनो के संग झूले नव कल्पना से नूतन, भवितव्य द्वार खोलें इस जग को स्वर्ग कर दें, संकल्प ले लें भाई प्रक्रति को हम न टोकें जंगल को ना ही रोकें जो कर रहा प्रदूषण उस हाथ को मरोड़े तब ही धरा पे होगी, हर शक्श की भलाई बूढ़े बड़ों का आदर, हम सब करें बिरादर सेवा करें सदा ही, उनका न हो निरा दर इससे समाज होगा, उन्नत सदा ही भाई जल संचयन का बीडा, हम सब चलो उठाएं तालाब और नहरें, हम खोद कर बनाएं एक बुंद भी न जल, का बर्बाद होवे भाई नव वर्ष की बधाई, नव वर्ष की बधाई परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता...
धूमिल होंगी सृष्टियां
कविता

धूमिल होंगी सृष्टियां

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** चढ़ी जा रहीं सभी चोटियाँ घर-घर की मासूम बेटियां बेटों से कमतर नहीं हैं वे अब न सेंकती घर में रोटियां इनमें ऊर्जा झासी की है और कल्पना सी है शक्तियां ये सीता हैं ये राधा हैं ये घर भर की हैं विभूतियाँ माँ के आंखों की सपना हैं वृध् पिता की दृढ़ लाठियां समझो ना कमजोर इन्हे अब अब समाज की बन्द मुठ्ठियाँ जितना इन्हे जलाया हमने उतनी प्रखर हुईं दृष्टियां इनके बढ़ते कदम न रोको वर्ना धूमिल होंगी सृष्टियां परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार) शिक्षा : एम.एससी.बी.एड. सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वा...
धन्य हमारा देश
कविता

धन्य हमारा देश

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** धन्य हमारा देश जहां बहती है गंगा, धन्य हमारे लोग रहे मन जिनका चंगा, धन्य यहाँ की नारी जिनमें बसतिं सीता, धन्य यहाँ के पुरुष राम जिनके प्रणेता, धन्य यहाँ की हवा सुरभि से भरी हुई है, धन्य यहाँ की खेत हमेशा हरी भरी है, धन्य हमारे गीत संगीत हमारे वादन, धन्य हमारे राग हमारे पग के नर्तन, धन्य हमारी मीठी भाषा और बोलियाँ, धन्य हमारे बाग हैं जिनमें कुसुम औ कलियाँ, धन्य हमारे परवत सागर नदियाँ झीले, धन्य हमारे पशु पक्षी जन जाति भीलें, धन्य हमारे ग्रंथ ज्ञान के अतुल कलश हैं, धन्य हमारे अतीत स्वर्णाक्षर सदृश हैं, धन्य हमारे देव देवियाँ रक्षा करते, हम नतमस्तक हो कर उनको नमन हैं करते, अतुलनीय भारत है जग में सबसे न्यारा, जान लुटा देते हैँ जिसने भी ललकरा। परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी ...
कितनी पावस… कितनी मनोहर…
कविता

कितनी पावस… कितनी मनोहर…

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** है पावस यह कितनी है कितनी मनोहर हमारी यह धरोहर, हमारी यह धरोहर बहती युगों से आ रही है गंग की धारा यमुना, कावेरी औ गोदावरी की धारा ये सब बुझा रहीं हमारी प्यास निरंतर गुंजायमान है यहाँ वेदों की रिचायें गीता की श्लोकें रामायण की दोहायें जन्मे हैं यहाँ राम औ अर्जुन से धनुर्धर तप करके इसे ऋषि औ मुनियों ने सं वारा है गूंज रहा नाम जगत भर में हमारा आये यहाँ तैमूर या आए हैं सिकंदर संसार भर को ज्ञान तो हमने ही बिखे रा संसार ने पाया है सदा हमसे सवेरा झुकता रहा है जगत भारत के चरण पर सुनते हैं हम वसंत में कोयल की पुकारें सावन है लाती यहाँ मंद फुहारें जीवन में भर जाते हैँ मीठे औ मधुर स्वर हमारी यह धरोहर, हमारी यह धरोहर परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार...
माँ
कविता

माँ

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** माँ तुम केवल शब्द नहीं हो तुम ममता की छाया हो ऐसा कोई शक्श नहीं जो तेरे सम्मुख आया हो माँ तुम केवल शब्द नहीं हो तुम करुणा की सागर हो तेरा रोम_ रोम यूँ लगता जैसे दया का गागर हो माँ तुम केवल शब्द नहीं हो तेरी कृपा है अपरंपार कोई कैसे पा सकता है तेरी महिमा का विस्तार माँ तुम केवल शब्द नहीँ हो तेरा साहस इतना दृढ चाहे कस्ट का तूफा आये तुम रहती हो सदा सुदृढ़ माँ तुम केवल शब्द नहीं हो यह जग है तेरा परिणाम तेरे चरणों में झुक कर हम बालक करते सदा प्रणाम परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार) शिक्षा : एम.एससी.बी.एड. सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। घोषणा ...
वृक्ष लगाओ
कविता

वृक्ष लगाओ

विजय वर्धन भागलपुर (बिहार) ******************** वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ वृक्ष लगाओ रे हरियली को इस धरती पर फिर से लाओ रे हरी भरी धरती से जीना हो जाता आसान भोजन, पानी और हवा सब मिलते सगरे ठाम मिटी में तुम बीज को बो कर अंकुर लाओ रे वृक्ष लगाओ.... धीरे-धीरे नन्हे पौधे पादप में बदलेंगे हरे हरे पत्तों से अपने निज तन को ढक लेंगे फूल फलों से वृक्षों को फिर से सजवाओ रे वृक्ष लगाओ.... मीठे-मीठे फल खा करके उदर जीव भर लेंगे चिड़िया भी घोषाला बनाकर बच्चों को जन्मेंगे विश्व बनेगा स्वर्ग सरीखा हाथ बटा ओ रे वृक्ष लगाओ.... परिचय :-  विजय वर्धन पिता जी : स्व. हरिनंदन प्रसाद माता जी : स्व. सरोजिनी देवी निवासी : लहेरी टोला भागलपुर (बिहार) शिक्षा : एम.एससी.बी.एड. सम्प्रति : एस. बी. आई. से अवकाश प्राप्त प्रकाशन : मेरा भारत कहाँ खो गया (कविता संग्रह), विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशि...