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Tag: संजय जैन

खिलौने का सत्य
कविता

खिलौने का सत्य

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** तू माटी का एक पुतला है तुझे माटी में ही मिलना है। बस कट पुतली बनकर ही मानव जीवन को जीना है। और मानव के पुतले को मानव से ही खेलना है। और फिर बर्षो के उपरांत तुझे माटी में मिलना है।। लिया है जन्म जिस घर में तूने। उसका महौल बहुत अच्छा है। न घर में कोई कलह आशांति है। पर दिलों में प्रेम आपार है।। आज मन बहुत विचलित है। न कोई गम है और न दुख है। न ही सोच में कोई अंतर है। फिर भी न जाने क्यों उदास है।। देख उदासी को मेरी सब ने तब आकर कारण पूछा मुझसे। नहीं है मन में जब कोई बात तो क्या उत्तर दू मैं उनको। पर देखो इस पुतले को जिसने कितना कुछ पाया है। तभी तो जग में भी इस ने बहुत ही नाम कमाया है।। परंतु आज इस को भी हुआ एहसास सत्य का। नहीं है अब भरोसा इसको जिसे एक दिन जाना है। और माटी के खिलौने को माटी म...
मना लेते है…
कविता

मना लेते है…

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** नजारा देखकर यहाँ का दिल रुकने को कहता है। फूलो के बाग में देखो भंवरा कुछ कहता है। तभी तो झूलते फूलों से महक बहुत आती है। जो मोहब्बत करने वालों को बहुत ही लूभाती है।। फूलों की किस्मत को देखो मोहब्बत हम करते है। पर देखो होठों का स्पर्श मिलता है इन फूलों को। तभी तो दिल में हमारे एक हलचल सी होती है। जो मोहब्बत का प्रतीक इन फूलों में दिखता है।। खिलते फूल डोलते भंवरे मोहब्बत को खोजते है। और मोहब्बत करने को फूलों के बाग चुनते है। बड़े ही किस्मत वाले है ये बगीचे के फूल देखो। मोहब्बत हम करते है पर श्रेय फूल ले जाते है।। फूलों की किस्मत का हम अंदाज लगा नहीं सकते। बहुत कोमल होकर भी कभी ये खिलने से नहीं रोकते। और अपना फर्ज निभाने से कभी भी पीछे नहीं हटते। इसलिए देकर फूलों को मना लेते है रूठों को।। ...
बुलाते भी हो…
कविता

बुलाते भी हो…

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** कसम देकर बुलाती हो फिर मिलने से कतराती हो। दिल की धड़कनों को तुम क्यों छुपा रही हो। और अपने मन की बात क्यों कह नहीं पा रही हो। पर मोहब्बत तुम दिल से और आँखों से निभा रही हो।। मोहब्बत दूर रहकर भी क्या निभाई जा सकती है। तमन्ना उनके दिल की दूर से सुन सकती हो। और उन्हें अपने नजदीक तुम बुला सकती हो। या बस देखकर ही तुम मोहब्बत निभाती हो।। मोहब्बत करने वाले कभी अंजाम से नहीं डरते। क्योंकि मोहब्बत में दर्द और भावनाओं का समावेश होता है। चोंट किसी को भी लगे पर दर्द दोनों को होता है। और मोहब्बत की परिभाषा इससे अच्छी हो नहीं सकती।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन ...
इंसान का इंसान
कविता

इंसान का इंसान

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** इंसान ही इंसान को लाता है। इंसान ही इंसान को पालता है। इंसान ही इंसानियत सिखाता है। इंसान ही इंसान को मिटाता है।। देखो कही धूप कही छाव है कही ख़ुशी कही गम है। फिर भी इंसान ही क्यों इस दुनियाँ में दुखी है। जबकि उसे सब कुछ विधाता से मिला है। फिर भी अपने लिए क्यों और की चाहत रखता है।। देखो बिकता है आज कल हर चीज बाजार में। सबसे सस्ता बिकता है इंसान का ईमान जो। जिसे खरीदने वाला होना चाहिए बाजार में। और उसे कमजोर का भी आभास होना चाहिए।। देखो इंसान जिंदगी भर पैसे के लिए भागता है। जितने की उसे जरूरत हो उसे ज्यादा की चाहत रखता है। इसलिए तो अपनी जिंदगी में कभी संतुष्ट नहीं हो पाता। और पैसे की खातिर वो खुदको भी बेच देता।। देखो लोगों पैसे से जिंदगी और दुनियाँ चलती है। पर सब की किस्मत में पैसा नही...
दौलत कमाने का नशा
कविता

दौलत कमाने का नशा

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** नशा जब दौलत का लग जाये तो जिंदगी दौड़ने लगती। सफर फिर जीवन का भी बिखरने सच में लगता। समय अभाव का कहकर निभा नहीं पाते अपना कर्तव्य। जिसके चलते भूलने लगते परिवार के सभी अपने भी।। बड़े धनवान होकर भी नहीं सम्मान पा पाते। कभी भी दान धर्म तो इन्होंने किया ही नहीं। तो फिर क्यों ये रोते है मान सम्मान के लिए। और स्वयं को पता होना चाहिए की हम नहीं है इसके हकदार।। न परिवार में मिलते-जुलते इस तरह के ये लोग। जिन्हें खुद ही नहीं पता की घर में क्या कुछ चल रहा। सुबह से रात तक बस इन्हें सिर्फ चिंता रहती व्यवसाय की। और हिसाब-किताब लगाते रहते है सदा ही फायदा और नुकसान का।। बड़ा बुरा है ये नशा जो न सोने देता है। और न ही अपनों से ये मिलने देता है। सभी से एक ही उम्मीद लगाकर ये बैठे है। कि किसी भी तरह से महीन...
जान पाओगे
कविता

जान पाओगे

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** नदी किनारे बैठकर देख रहा पानी को। उछल कूद करते हुए बहता जा रहा वो। देख दृश्य यह मानव समझ नहीं पा रहा। फिर भी अपने मन को क्यों विचला रहा।। आया जो भी यहाँ जाना उसे पड़ेगा। विधाता के चक्रव्यहू से उसे गुजरना पड़ेगा। भेद सके इसे तो खुशियाँ बहुत पाओगें। और उलझ गये इसमें तो बहुत दुख पाओगें।। खुद को जिंदा रखने कुछ तो तुम करोगें। फिर अपनी करनी का खुद फल पाओगें। और मानव मूल्यों को तुम समझ पाओगें। और अपने जन्म को स्वयं जान पाओगें।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे...
स्वयं की व्याकुलता
कविता

स्वयं की व्याकुलता

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सोच सोच कर मन व्याकुल कितना हो गया। भेजा जिसने मुझको क्या वो ही पालेगा? प्रश्न बहुत जटिल है पर हल करना होगा। इसलिए विश्वास हमें उस पर रखना होगा।। बैठ दुनियाँ के मंच पर देख रहा दुनियाँ को। क्या क्या तेरे सामने आज कल हो रहा है? फिर भी मन तेरा नहीं पिघल रहा है। और खुद को तू मानव कैसे कह रहा?? बदलो खुद को तुम, तो दुनियाँ भी बदलेगी। जो कुछ तुम कहते हो खुदको करना होगा। देखेगा जो तुम को वो भी निश्चित बदलेगा। देखते ही देखते हमारा ये समाज बदलेगा।। परिभाषा मानव की क्या कोई समझायेगा? मानव का मानव से रिश्ता जोड़ पायेगा। या खुद ही इस प्रश्न का उत्तर बन जायेगा। तब जाकर शायद तू मानव परिभाषा बता पायेगा।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब...
सूरज देता है
कविता

सूरज देता है

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सूरज की किरणें प्रकाश देती है। जीवो को जीने की ऊर्जा देती है। भूमि की नमी को दूर करती है। और फसलों को पकाती है।। दिन रात का अंतर हम लोग। सूर्य के प्रकाश से लगाते है। अंधरो में रोशनी फेलते दिखते है। और भू मंडल का खिला रूप देखते है।। सभी को सूरज की जरूरत होती है। ऋतुओं की गणना सूरज से होती है। मौसम का मिजाज सूरज बताता है। इसलिए सूर्य के बिना दिन नहीं होगा।। भारत में सूरज को सभी भगवान का दर्जा देते है। तभी तो हर चीज की गणना सूर्य उदय से करते है। इसलिए सुबह सबसे पहले सूर्य को जल अर्पण करते है। और अपने दिन की शुरुआत करते है फिर सुख शांति और नई ऊर्जा पाते है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में ...
अपनी उलझने
कविता

अपनी उलझने

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** न मन पढ़ने में लगता है न दिल लिखने को कहता है। मगर विचारो में सदा ये उलझा सा रहता है। करू तो क्या करू अब मैं समझ में कुछ नहीं आ रहा। इसलिए तो हमारा दिल अब एकाकी सा हो रहा।। ख्यालों में डूबकर भी कुछ देख नहीं पा रहा। जुबा से कुछ भी अब ये कह नहीं पा रहा। करू तो क्या करू अब मैं समझ में कुछ नहीं आ रहा। इसलिए तो अब ये मन यहां वहां भटक रहा।। माना की मन और दिल पर किसका जोर नहीं चलता। समस्या कितनी भी बड़ी हो सुलझाना तो उसे पड़ता। जरूरी है नहीं ये की सभी प्रश्न हल हो जाये। हमें कोशिश हमेशा ही करते रहना चाहिए।। बनाई है हर मर्ज की दवा विधाता ने दुनियां में। तुम्हें ही खोज कर उसे सामने लाना पड़ेगा। और अपनी बुध्दि विवेक का परिचय देना पड़ेगा। जिससे मानव होने का तुझे एहसास हो जायेगा।। परिच...
मोहब्बत में
गीत

मोहब्बत में

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मोहब्बत में अक्सर लोग, सब कुछ भूल जाते है। दिल दिमाग में उसके, मोहब्बत छाई रहती है। न कुछ कहता न सुनता, बस अपने में मस्त रहता। और प्यार के सागर में, वो डूब जाता है।। नैन से नैन लड़ा के, दिलमें उतर जाती है। फिर दिल के अंदर जो, मोहब्बत को बढ़ाती है। जिसके कारण ही वो, आंखों में छाई रहती है। और दीप मोहब्बत का, दिलों में जला देती है।। किसी से दिल लगाना, आसान नहीं होता है। प्यार में जीना मरना, आसान नहीं होता है। ये वो आग होती है जिसे, कोई बूझा सकता नहीं। इसलिए सच्ची प्रेमी, आजकल कम होते हैं।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी र...
मोक्ष पथ को जाने
गीत, भजन

मोक्ष पथ को जाने

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** गीत/भजन छोड़ दो मिथ्या दुनियां, सार्थक जीवन के लिए। इससे बड़ा सत्य कुछ, और हो सकता नहीं। चाहत अगर प्रभु को पाने की हो । तो ये मार्ग से अच्छा कुछ, और हो सकता नहीं।। छोड़ दो.......।। मन में हो उमंग प्रभु को पाने की। करना पड़ेगा कठिन तपस्या तुम्हें। मिल जाएंगे तुमको प्रभु एक दिन। बस सच्ची श्रध्दा से उन्हें याद करो।। छोड़ दो........।। आत्म कल्याण का पथ ये ही हैं। बस इस पर चलने की तुम कोशिश करो। मोक्ष का द्वार तुम को मिल जाएगा। और जीवन सफल तेरा हो जाएगा।। छोड़ दो.......।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक...
सब मिलेगा
कविता

सब मिलेगा

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** बहुत पावन और पवित्र दिन आज कल चल रहे है। कही श्रीगणेशजी का जयकारा तो कही पर्यूषण महापर्व राज। चारों तरफ का वातावरण है बहुत ही भक्तिमय। जो देखते ही ह्रदय में धर्म ज्योत को जला रहा है।। तेरे द्वार से गया न खाली कोई भी मांगने वाला। रखते हो सब पर अपना हाथ उनकी खुशाली के लिए। बस मन में श्रध्दा और सुबरी आप में होना चाहिए। तभी परिणाम अनुकूल ही आपको निश्चित मिलेंगे।। बहुत कुछ खोकर भी आप विचलित न हो। न चिंता करे और न ही खुदको गमों डूबोये। बस लक्ष्य को देखे और आगे बढ़ते रहे। सफलता तुम्हें निश्चित ही एक दिन मिल जायेगी।। मन को निर्मल और शांत रखे। अपने भावों को शुध्द करे। और भावनाओं को आप समझे। फिर उसी अनुसार कार्य करें।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में ...
अपना भारत
कविता

अपना भारत

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** मैं हिल मिलकर रहने में विश्वास बहुत करता हूँ। अपने अरमानो को भी साकार मैं करता हूँ। देश प्रेम के भावों को जग वालों को समझता हूँ। और देश प्रेम की ज्योति को हर घर में जलता हूँ।। कितना प्यार कितना न्यारा ये देश हमारा भारत है। लोकतंत्र को मानने वाला देश हमारा भारत है। दुनियां को दर्पण दिखता वो देश हमारा भारत है। लाखों महापुरुषो और भगवानों ने जन्म लिया है भारत में।। राम कृष्ण तुलसी सूर आदि भी जन्मे है इस भारत में। भक्ति संगीत का भी बड़ा उदहारण हमारा भारत है। दुनियां की नजरो में धार्मिक देश हमारा भारत है। इसलिए तो मंदिर मस्ज़िद गुरुद्वारे फैले हुये है इस भारत में।। भारत के कण कण में बसते लाखों देवी देवता। चारों दिशाओं में फैले है लाखों वीर योध्दा। भगत चंद्रशेखर मांग पांडे दुर्गा लक्ष्मी अहिला ज...
जीवन एक संघर्ष है
कविता

जीवन एक संघर्ष है

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सुनता हूँ आज मैं मानव जीवन की सच्चाई। न जीवन में हुआ कभी गमो का अंत। न खुशियों में आई कभी भी कोई कमी। गुजरा है मेरा जीवन खुशियों और गमों से।। इसी तरह से जीवन बना रहा संघर्षमय। हकीकत जीवन की में सदा समझता रहा। कदम कदम पर मिली मुझे प्रभुजी की कृपा। इसलिए सफलता की मैं सीढ़ी चढ़ता गया।। जब भी याद आते है मुझे वो पुराने दिन। तो आँसू गिरने लगते है मेरे इन आँखो से। और खो जाता हूँ माँफ पुराने मित्रों के ख्यालों में। जो मेरे सुख दुख में सदा ही साथ देते थे।। लगन और मेहनत के द्वारा इंसान बनता है महान। तभी तो छु पाता है जीवन की ऊँचाइयों को। अकेला चलकर भी वो नया निर्माण करता है। और अपने हौसलों को भी सदा ही जिंदा रखता है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई म...
अंतिम सत्य
कविता

अंतिम सत्य

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** बहुत दिनों से मेरी फड़क रही थी आँख। कोई शुभ संदेश अब हमें मिलने वाला है। फिर एकाएक तुम्हें आज यहाँ पर देखकर। रह गया अचंभित मैं तुम्हें सामने पाकर।। बहुतो को रुलाया है तुमने जवानी के दिनों में। कुछ तो अभी भी जिंदा है तेरे नाम को जपकर। लटक गये है पैर अब उनके कब्र में जाने को। पर फिर भी उम्मीदें रखे है आज भी दिल में बसाने की।। यहाँ पर सबको आना है एक दिन जलने गढ़ने को। कितने तो पहले ही यहाँ आकर जल गढ़ चुके है। तो तुम कैसे बच पाओगी जीवन के अंतिम सत्य से। और यहाँ आकर मिलता है समानता का अधिकार सबको।। यहाँ पर जलते गड़ते रहते है सुंदर मानव शरीर के ढाचे। जिस पर घमंड करते थे और लोगों को तड़पाते थे। पर अब जीवन का सत्य उन्हें समझ आ गया। इसलिए तो अंत में तुम आ गई हो अपनों के बीच में।। परि...
रात अभी आयी नहीं है
कविता

रात अभी आयी नहीं है

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** रात अभी आयी नहीं है और जन्नत के द्वार खोल दिये। जिसे सजाया है वसुन्धरा ने चाँद और सितारों से । धरा ने भी बिछा दी है सफेद चादर मोतीयों की। और महका के रख दिया है रातरानी ने इस रात को।। बहुत शुक्र गुजार हूँ सौंदर्य की देवी का । जिसने मेरे मेहबूब को इतना सुंदर बनाया है। और उससे मिलने के लिए जन्नत जैसा बाग बनाया है। जिसमें मिलकर हम दोनों मोहब्बत की कहानी लिख सके।। जब भी मोहब्बत का जिक्र इस बाग में किया जायेगा। तब तब तुम दोनों को भी याद किया जायेगा। जैसे युगो के बाद भी आज राधाकृष्ण को याद किया जाता है। वैसे ही लोगों के दिलों में तुम्हारी मोहब्बत जिंदा रहेगी।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में...
माँ चरणों में प्रभु का वास
गीत, भजन

माँ चरणों में प्रभु का वास

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** (तर्ज:- मैं पल दो पल का..... ) तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा पर प्रभु दर्शन नहीं मिल पाये है। किये थे पूर्व जन्म में अच्छे कर्म। इसलिए मनुष्य जन्म तुम पाये हो।। तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा..। तुझसे पहले कितने भक्तगण यहाँ आकर देखो चले गये। पर वो भी शायद प्रभु के दर्शन बिना ही यहाँ से लौट गये। वो भी मनुष्य पर्याय को पाये है तू भी मनुष्य गति को पाये हो। पर लगता तुम्हारी श्रध्दा में कुछ तो कमी जरूर रही होगी।। तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा...। एक दिन एक भविष्य वाणी को सुनकर तू ह्रदय घात को सह गया। तेरी आत्मा उन शब्दो को सुनकर अंदर ही अंदर से हिल गई। तू यहाँ वहाँ क्यों भटक रहा हे अज्ञानी मानव तू सुन। तेरी ही घर में प्रभु है और तू यहाँ वहाँ उन्हें खोज रहा।। तू वर्षो से यहाँ वहाँ भटक रहा...।। कहते...
आराधना की ऋतु
कविता

आराधना की ऋतु

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** बारिश के पानी से देखो। भर गये नदी नाले तलाब। सूखी उखड़ी भूमि भी अब हो गई है गीली-गीली। वृक्षों पर भी देखो अब नये हरे पत्ते आने लगे। चारो तरफ पानी-पानी अब जमा हो गया बारिश का।। रास्ते पहाड़ और टीले आदि शीतल और नम होने लगे। बारिस की गिरती बूंदे से पेड़ फूल पत्ते खिल उठे। रुका हुआ पानी भी देखो वह भी अब बहने लगा। पशु पक्षी जीव जंतु आदि उछल कूद करने लगे।। दूर दराज गये पक्षी भी अब घरों को लौटने लगे। छोड़ छाड़कर अपने कामों को प्रभु आराधाना अब करने लगे। शरीर की शिथिलता भी अब मानव का साथ देने लगी। व्रत नियम संयम आदि लेकर ध्यान प्रभु का करने लगे।। चार माह का ये चौमासा साधु संत आदि को भाता है। स्थिर एक जगह रहकर के खुद का और जन कल्याण करते है। जियो और जीने दो के लिए एक स्थान को ही चुनते है। और ये सब...
शीतल किया
कविता

शीतल किया

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** देखो बदल छा रहे बरसने के लिए। बदल गरजने लगे सतर्क करने ले लिए। मेघ मलारह गाने लगे अब वर्षा के लिए। भूमि जो प्यासी है पानी के लिए।। आस लगाये पानी की बैठे नदी तलाब और जमीन। कब होगी अब वर्षा बतला दो इंद्रदेव तुम। जैसे ही गिरती है बूंदे पानी की। सेन्धी सेन्धी खूशबू आने लगती है।। चारों तरफ छाने लगी हरियाली और ठंडक। पेड़ पौधे फूल पत्तीयां सब खिल उठे। गाँव शहर का भी माहौल बदल गया। अमल कमल से चेहरे सब के खिल उठे।। एक पानी की बूंद से क्या क्या देखो बदला। बिन पानी के जैसे कितने वो शून्य थे। पानी की बूंदों ने कितनो का जीवन बदला। गर्मी से देखो सबको शीतल शीतल कर दिया।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमि...
दर्शन से धन्य हुये
गीत, भजन

दर्शन से धन्य हुये

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** विधा : गीत भजन तर्ज : तेरे इश्क का मुझे पर हुआ... गुरु विद्यासागर के दर्शन से हम। मानों आज हमसब हो गये धन्य। गुरु विद्यासागर के दर्शन से हम। मानों आज हमसब हो गये धन्य। गुरु विद्या सागर के दर्शन से हम।। जिसे भी मिले दर्शन विद्या गुरु के। मानव जीवन उनका सफल हो गया। कलयुग में भी देखो सतयुग जैसे मुनिवर। चलते फिरते तीर्थंकर कहते लोग उन्हें।। गुरु विद्यासागर के दर्शन से हम। मानों आज हमसब धन्य हो गये।। चारों दिशाओं में ऐसे मुनिवर। बहुत कम हमें देखने को मिले। त्याग और तपस्या की वो एक मिसाल है। साक्षात जैसे वो सबके भगवान है।। गुरु विद्यासागर के दर्शन से हम। मानों आज हमसब हो गये धन्य।। मुझे जैसे ही मिला गुरुवर का आशीर्वाद। मानों आत्मा में मेरे कमल खिल गया। ना अपनी रही सुध तब और न कुछ ...
मत रोको पर समझो
गीत

मत रोको पर समझो

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** छम-छम करती नदी बहती टेढ़े-मेढ़े, ऊँचे-नीचे रास्तो से। संग मिलकर वो चलती है छोटी-छोटी नदी नाले को। सबको अपना पानी देती और देती है शीतलता। बहते-बहते किनारों को हराभरा वो करती जाती।। छम-छम करती नदी चलती टेढ़े-मेड़े, ऊँचे-नीचे रास्ते से।। उदगम स्थल से देखो तो बहुत छोटी धारा दिखती है। पर जैसे-जैसे आगे बहती वैसे-वैसे बड़ती जाती है। फिर भी अपने स्वरूप पर कभी घमंड नहीं करती वो। कितने गाँवो और शहरो की प्यास बुझाती रहती है।। छम-छम करती नदी बहती टेढ़े-मेढ़े, ऊँचे-नीचे रास्तो से।। जब जब रोका लोगों ने इसके चलते रास्ते को। तब-तब मिले उन्हें विनाशता के परिणाम। जितनी शीतलता ये देती है उससे ज्यादा दुख भी देती। इसलिए मैं कहता हूँ लोगों मत रोको इसके रास्ते को।। छम-छम करती नदी बहती टेढ़े-मेढ़े, ऊँचे-नीचे रास्त...
किस्मत वाले है वो
गीत, भजन

किस्मत वाले है वो

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** (तर्ज : तू कितनी अच्छी है....) तुम कितने अच्छे हो तुम कितने सच्चे हो। नियम-सयंम के पक्के हो। ओ गुरुवर ओ विद्यासागर ओ गुरुवर ओ विद्यासागर। की ये जो संसार है बन है कांटो का तुम फुलवारी हो। ओ विद्यासागर ओ गुरुवर ओ विद्यासागर ओ गुरुवर।। छाले पड़ गये तेरे पैरो में चलते चलते इस दुनियां में धर्म की ज्योत जलाने को। आत्म कल्याण के लिए तुमने छोड़ा घर द्वार। ओ गुरुवर ओ विद्यासागर ओ गुरुवर ओ विद्यासागर।। तुम कितने अच्छे हो तुम कितने सच्चे हो। नियम सयंम के पक्के हो। ओ गुरुवर ओ विद्यासागर ओ गुरुवर ओ विद्यासागर।। अपना नहीं तुम्हें सुख दुख कोई पर औरो की चिंता तुमने की। श्रावको के मन में ज्योत जलाई जैसा वो समझे वैसा ही उन्हें समझाया।। ओ विद्यासागर ओ गुरुवर ओ विद्यासागर ओ गुरुवर।। गुरु श्रवको के जा ह...
मिलने से होती है
कविता

मिलने से होती है

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** न हम उनको समझ सके न वो हमको समझ पाये। पर हम फिर भी निरंतर आपस में मिलते जुलते रहे। और एक दूसरे से अपने दुख दर्द बाटते रहे। इसलिए लोगों ने इसे अलग ही रंग दे दिया।। हमारी इस मित्रता का उन्होंने अलग ही नाम दे दिया। करे तो क्या करे हम अब इस हवा को रोकने के लिए। जो दिखता है जमाने को वो सच भी नहीं होता। और हालातों के शिकार बहुत लोग हो जाते।। माना की मोहब्बत का रंग चढ़ते देर नहीं लगती। निगाहों से निगाहों का मिलन भी जल्दी होता है। दिलो की चाहत भी जल्दी बढ़ने लगती है। और मोहब्बत का भूत दिल पर छा जाता है।। समय के साथ साथ फिर सब कुछ बदलने लगता है। समझने और जानने की समझ भी फिर आ जाती है। दिलो में फिर प्यार का रंग ही रंग दिखता है। और मिलने जुलने से ही मोहब्बत का उदय होता है।। परिचय :- ब...
गीत तुम्हारे स्वर मेरे
कविता

गीत तुम्हारे स्वर मेरे

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** कभी गमो का साया भी नहीं पड़े तुम पर। खुशी की गीत गाओ उदासियों की महफ़िल में। बहुत सुकून मिलेगा मायूसो के चेहरे पर। महफ़िल में रोनक आ जायेगी तुम्हारे गीतों को सुनकर।। मिले गमो का साया भी, उसको भी गीत बना लेंगे। तेरी जुल्फों की साया में हम सारी रात बिता देंगे। क्योंकि सुनकर तुम्हारे गीत मै मोहित हो गया हूँ। भूल गया सारे गमो को और दिवाना हो गया हूँ। दिलकी धड़कनो में अब तुम ही तुम धड़क रही हो।। अब मुझे न नींद आ रही न ही मन मेरा लग रहा है। अब तेरी याद सता रही है और बेचैनी बड़ा रही है। मुझे अपना मीत बना लो होठों से मेरे गीत सजा लो। तुम्हारी बेचैनी मिट जायेगी जब दिलमें शमा जाओगी।। अब तुम्हें देखकर लिखता हूँ। और बस तुम्हें ही गाता हूँ। आवाज़ मेरी होती है पर दिलसे तुम गवाते हो। और मेरी वाह-२ करवा...
विश्वास और आस्था
कविता

विश्वास और आस्था

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** अब न गमों से हमें डर लगता है। न खुशी का मुझे कोई एहसास होता है। क्योंकिं मेरा दिल तो अब अब गुरुभक्ति में रहता है। इसलिए मैं इन सबसे अब दूर रहता हूँ।। जब वो ही मेरे साथ है तो डर किस बात का है। मुझे पूरा है भरोसा अपने गुरुवर पर। जो पग-पग पर साथ है मेरी रक्षा के लिए। तो क्यों रहूँ मैं उदास अपनी इस जिंदगी में।। भक्ति में बहुत शक्ति होती है जो अपना असर दिखती है। और मरने वाले इंसान की सोच को जिंदा रखती है। तभी तो मृत्य इंसान को प्रभु से जीवित करवा लेती है। और सावित्री और सत्यभान की याद दिलाती है।। रखो गुरु पर तुम विश्वास तेरा मालिक देगा साथ। बस अपनी आस्था को कम नहीं होने देना। तेरा प्रभु तुझे नहीं करेगा जीवन में कभी भी निराश। बस सच्चे मन से तुम करो सदा उन्हें याद।। परिचय :- बीना ...