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Tag: संजू “गौरीश” पाठक

वसंतोत्सव
कविता

वसंतोत्सव

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आया वसंत, मन आल्हादित। गूँजे भँवरे, फूली सरसों। वृक्षों पर अमराई छाई, नव सृजन हुआ सृष्टि में ज्यों।। प्राकट्य दिवस माँ शारदे का! शत-शत वंदन और अभिनंदन। विद्या, बुद्धि,सुर, लय दो माँ, करती हूं पुष्प गुच्छ अर्पण।। मंडराती तितली फूलों पर। सुंदर परिदृश्य उभर जाता। देता संदेशा है वसंत, उल्लसित काम फिर हो जाता।। गीता में कहते वासुदेव, ऋतुओं का राजा मैं वसंत। आप्लावित रस श्रंगार युक्त, प्रमुदित होता जन-जन अनंत।। ढक जल को कमल सरोवर में, देते संदेश मनुज को यों। खुलकर जीवन को जियो सदा, दारुण दुख में अब डूबे क्यों? खग कलरव चहुँ दिशि गूँज रहा, वसुधा ने नव श्रृंगार किया। वरदान सदृश है ऋतु वसंत, नव ऊर्जा का संचार किया।। परिचय :- संजू "गौरीश" पाठक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्...
मधुमक्खी और चिड़ियारानी
कविता

मधुमक्खी और चिड़ियारानी

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हुआ सामना मधुमक्खी का, इक दिन चिड़िया रानी से। चूं-चूं कर बोली मक्खी से मीठी, मधुरम वाणी से।। बड़े परिश्रम और लगन से छत्ता सखी बनाया तुमने। चुन-चुन फूलों का मधुरस मीठा शहद जुटाया तुमने।। वृक्ष शाख बैठी थी मैंl देख रही थी इधर उधर। आते देखा इक मानव को पहुंच गया वह छत्ते पर।। शहद तुम्हारा चुरा लिया, छत्ता भी लेकर चला गया। सभी मक्खियां बिखर गईं, मानों सबको वह रुला गया।। बोली रानी मक्खी- और कर भी क्या सकता मानव है? रहम नहीं है तनिक उसे, वह सचमुच पूरा दानव है।। खुली चुनौती मेरी उसको, शहद बनाकर दिखलाए। हुनर हमारा शहद बनाना, कोई उसे ना सिखलाए।। परिचय :- संजू "गौरीश" पाठक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक...
हां, मैं शिक्षक हूं!
कविता

हां, मैं शिक्षक हूं!

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** शिक्षक एक ऐसा दीपक है, खुद अंधकार में रहता है। करता आलोकित पथ सबका, तिल - तिल करके खुद जलता है।। हो विकट परिस्थिति कितनी भी, मेहनत का पाठ पढ़ाते हैं। मन का विज्ञान समझकर ही शिक्षण में रुचि जगाते हैं।। होते हैं ज्ञान पिपासु स्वयं, संस्कारों का करते विकास। बच्चों के स्तर पर जाकर, सिखलाते हर संभव प्रयास।। अपनाते नवाचार शिक्षण, शिक्षा गुणवत्ता में सुधार। अगणित गतिविधियां अपनाकर, करते हैं शिक्षा का प्रसार।। कर सहन प्रहार कोराेना का, दायित्व निर्वहन में डटे रहे। ऑनलाइन पद्धति अपनाकर, निर्बाध शिक्षण करते रहे।। परिचय :- संजू "गौरीश" पाठक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, ...
मैं हिंदुस्तान हूं!
कविता

मैं हिंदुस्तान हूं!

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मैं हिंदुस्तान हूं यारों, कहानी खुद सुनाता हूं। पुराना है बड़ा इतिहास, यह तुमको मैं बताता हूं।। यहां हर धर्म जाति का, उचित सम्मान होता है । हिमालय ताज है मेरा, चरण सागर भी होता है।। चले आए हूण, शक, तुर्क, न थे मंगोल भी पीछे। कुटिल अंग्रेज और मुगल भी ना थे इनसे कहीं पीछे।। विभाजित कर किया शासन, चलायीं नीतियां अपनी। सुनिश्चित हो गया था अब, इन्हीं की रोटियां सिंकनी।। सहे सब ज़ुल्म, अत्याचार, हुयी फिर खत्म सहनशक्ति। लगा शोणित उबलने फिर, जाग उठी देशभक्ति।। किया संघर्ष वीरों ने, कफन फिर बांधकर सिर पर। शहादत भी पड़ीं देनीं, मुझे भी रक्तरंजित कर।। किया दो सौ बरस शासन, चले बुद्धू लौट घर को। संभालो अब हिफाजत से, शपथ है आज तुम सबको!! परिचय :- संजू "गौरीश" पाठक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश ...
प्रिय डायरी
कविता, संस्मरण, स्मृति

प्रिय डायरी

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** प्रिय डायरी, आज तुम फिर मेरे हाथ आ गईं। अच्छा हुआ !! अब मैं तुमसे ढेर सारी बातें करूंगी। इसलिए कि आज मेरे पापा की द्वितीय पुण्य तिथि है। सुबह से बहुत याद आ रही है उनकी। तुम्हारे माध्यम से मैं अपने पापा से ही बातें करूंगी। पापा, सुनोगे न मेरी बातें। आज के दिन २०१९ में लगभग ११ बजे भैया ने जब मुझे फोन किया तो मैं सिहर सी गई। पिछले चार पांच दिन से मुझे नींद नहीं आ रही थी। एक अजीब सी बेचैनी हो रही थी। आपने फोन उठाना भी बंद कर दिया था। चिंता लगने लगी थी। जरा सी बात करके फोन रख देते थे तो भी मन को शांति मिल जाती थी। दो सेकंड बात करके आप फोन मम्मी को पकड़ा देते थे। जैसे ही भैया ने दीदी बोला, उसका गला रूंध हुआ था। बोल ही नहीं पाया। बोला, दीदी, पापा चले गए। कैसे, क्या, कब इन सब सवालों के जवाब न मैं पूछने की स्थिति में थी, ना...
कलम की आत्मकथा
कविता

कलम की आत्मकथा

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हां, मैं कलम हूं ! अनगिनत रूप हैं मेरे। ज़रा सदियों पीछे जाइयेगा। मुझे एक अलग ही रूप में पाइएगा।। बड़ा गहरा नाता रहा है मेरा, भारत की पावन भूमि से।। ऋषियों मुनियों के सानिध्य में, ना जाने कितने पवित्र ग्रंथों के सृजन में काम आई हूं मैं।। महापुरुषों के जीवनी को बड़ी शिद्दत से उकेरा है मैने। राजाओं, महाराजाओं को भी बखाना है मैने।। नेताओं, राजनेताओं के तो कहने ही क्या ! इनके बड़े बड़े वादे लिख लिख कर, थक सी गई हूं मैं।। नमन है उन शूर वीरों को चिकित्सकों, शिक्षकों सिपाहियों और मेरे ही बहादुर सिपह सालारों को जिन्होंने अनवरत प्रदान की अपनी सेवाएं।। मेरी है यही फितरत कि कभी हंसाती, कभी गुदगुदाती हूं। और कभी दिल का दर्द खींचकर बाहर लाती हूं।। बोलने को है मेरे पास, अकथनीय अवर्णनीय भी। आज के बस इतना ही, बाकी फिर कभी।। परिचय :- सं...
मैं गौरैया नन्ही जान
हाइकू

मैं गौरैया नन्ही जान

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आधुनिकता परवान चढ़ी है तरु गुम हैं। पर्यावरण हुआ संतप्त गौरैया अस्त। कटते वृक्ष बनती इमारतें क्या करें हम? छीन ली मेरी चहचहाती सी धुन क्यों न तू सुन? हौंसले मेरे आसमान से ऊंचे समझ ले तू। रूठी प्रकृति ढहेगा तेरा नीड मिटाया हमें। आया समय कर तू संरक्षण मैं भी सृष्टि का अंग।। परिचय :- संजू "गौरीश" पाठक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीज...
रहो अटल चट्टान
दोहा

रहो अटल चट्टान

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** संकट कितने हो बड़े, रहो अटल चट्टान। नेक कर्म करते रहो, पुनः मिलेगा मान।।(१) कभी न हिम्मत हारिए, हो मुश्किल का दौर। अंगद पाँव जमाइए, मिल जाएगा ठौर।। (२) सच्चाई की राह पे, चलता है जो कोय। दथविपदा चाहे हो बड़ी, जीत सत्य की होय।।(३) कलम दुधारू अस्त्र है , समझें असी समान। कवि लेखनी सशक्त है, पाते हैं सम्मान।। (४) कांधे पर हल जो धरे , निपट कृषक कहाय। कुछ तो कवि ऐसा लिखो, मुख मुस्कान समाय।।(५) खाली बर्तन देखिए, करता अति आवाज। तोल-मोल कर बोलिए यही सफलता राज।। (६) नफरत ऐसी आग है, सकल भस्म हो जाय। प्रेम डोर में बांधे, जन्म सफल हो जाय।। (७) चिंता से कछु ना बने, चिंतन राह दिखाय। जब भी भीर आन पड़े, शीतल मन सुलझाय।।(८) कभी हार ना मानिए, विषम काल हो पास। नियत अवधि पश्चात ही, होता सदा उजास।।(९) परिचय :- संजू "गौरीश" पाठक निवासी : इंदौ...
नूतन वर्ष
कविता

नूतन वर्ष

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बिखेरीं रश्मियां रवि ने, करो स्वागत सभी मिलकर। उषा की लालिमा सा तेज, बिखराओ कहे दिनकर।। अमावस निशि स्याह चाहे, चांद पूनम उजाला है। अटल हैं यह समझ लो तुम, प्रकृति का क्रम निराला है।। ना होता चाहने से कुछ, अथक श्रम तो जरूरी है। सफलता फिर कदम चूमे, हर एक अभिलाष पूरी है।। करो तुम कर्म अपना बस, नहीं चिंता करो फल की। समय खुद पथ-प्रदर्शक है, न यह चर्चा किसी बल की।। करो आगाज वर्ष नूतन, विचारों के नए किसलय। नयी सुर तान छेड़ो फिर, रखो गतिमान जीवन लय।। जा बेटा है तुझे सलाम।। परिचय :- संजू "गौरीश" पाठक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित कर...
वीर  सपूतों तुम्हें प्रणाम
कविता

वीर सपूतों तुम्हें प्रणाम

संजू "गौरीश" पाठक इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** दूर शहर से गांव एक था, जन्मा था एक लाल वहां। बड़ा हुआ भारत की माटी, साधन थे कुछ नहीं जहां।। सुनी कहानी भगत सिंह की, रग- रग में था जोश भरा। निकल पड़ा सेवा करने को, भारत मां का लाल निरा।। जा बेटा रक्षा कर मां की, दुश्मन को तू मार गिरा। कर देना प्राणों की आहुति, मत होना भयभीत जरा।। जा पहुंचा होने को भर्ती, सेना में जज्बात लिए। रग-रग उसका रोमांचित था, मात पिता आशीष दिए।। मिला संदेशा अधिकारी से, युद्ध क्षेत्र में जाना है। धूल चटा दुश्मन को अपने, ध्वज अपना फहराना है।। कर दी बौछारें तोपों से, कर्ज दूध का अदा किया। धराशायी कर अगणित दुश्मन, परिचय निज कर्तव्य दिया।। जान न्यौछावर कर दी लड़कर, ओढ़ तिरंगा पहुंचा ग्राम। क्रंदन करती मां यू बोली, जा बेटा है तुझे सलाम।। परिचय :- संजू "गौरीश" पाठक निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र :...