Thursday, December 4राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: hindi gaorav

उजाड़ दिये हैं बहुत सारे घर इस शराब ने
कविता

उजाड़ दिये हैं बहुत सारे घर इस शराब ने

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** उजाड़ दिये हैं बहुत सारे घर इस शराब ने मयखानों में खो गई  है जिंदगी अब तो उसकी, लाखों की पी गया जो अब तक शराब वो यहांँ, आता है हर रोज़ शराब के नशे में घर अपने वो, बच्चे- पत्नी रहते हैं डर के  साये में उसके यहांँ, खुद का  होश  ना उसे पता अपने शरीर का, लड़खड़ाते कदमों से चला आता है वो यहांँ, रहने को ढंग का घर नहीं बनाया उसने अब तक, फिर भी नशें से  दिल लगाता है वो हर दिन यहांँ, बना ना सका बच्चों के नहाने,शौच की जगह वो, बस पीने का ही ख़्याल  रहता है उसको तो यहांँ, जिंदगी नर्क बना ली अपनी व बच्चों की उसने, संगती में  रख रखे हैं  अपने जैसे दो- चार यहांँ, उजाड़  दिये  है  बहुत  सारे घर इस शराब ने, देखता है वो हर तरफ ना सोचता अपने बारे में यहांँ परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घो...
स्पर्धा
कविता

स्पर्धा

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हर कोई शख्स अपनों से स्पर्धा कर रहा है, सुकून छोड़ चिंता से प्रतिस्पर्धा कर रहा है। जिंदगी की दौड़ में आगे निकल जाऊं, कमाने की होड़ में सबको पीछे छोड़ आऊं, स्वयं आगे हो कैसे उसे पीछे खींच लाउं।। कमाल है ना , हर कोई शख्स अपनों से स्पर्धा कर रहा है। ये सारी दुनिया बहुत सतरंगी है जनाब, सभी अपनों ने पहने हुए हैं बेहिसाब नकाब, आप नहीं कर सकते उनसे सवाल जवाब, कमाल है ना, हर कोई शख्स अपनों से स्पर्धा कर रहा है। आप शामिल हो गए अनभिज्ञ किसी स्पर्धा में, पता न चलेगा रहोगे अनजान इसी दुविधा में, प्रतिस्पर्धी बन जाओगे अनचाही प्रतिस्पर्धा में, कमाल है ना, हर कोई शख्स अपनों से स्पर्धा कर रहा है, सुकून छोड़ चिंता से प्रतिस्पर्धा कर रहा है।। परिचय :- दीप्ता मनोज नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्...
हवाओं में बिखरने दो
कविता

हवाओं में बिखरने दो

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** मुझे हवाओं में बिखरने दो मुझे हवाओं की नजाकतोंमेंं घुले विष को निगलने दो। इन गमगीन सी बयारों से नीरस अहसासों को समेटने दो, फिर सुमन का सुमधुर इत्र बनकर मुझे हवाओं मेंं महकने दो । मुझे हवाओं में बिखरने दो। तपती गर्मी के ताप से झुलसती लूओं के झोकों मेंं चंद्रमा की शीतलता बनकर मुझे चांदनी बिखरने दो। मुझे हवाओं में बिखरने दो। हाड़ चीरते शीत मेंं सूर्य की ऊष्मा बनकर मुझे (जीवन को) राहत भरी सांस लेने दो मुझे हवाओं में बिखरने दो। आसुरी प्रवृत्तियों के प्रदूषण से आत्मशुद्धीकरण हेतु पंचतत्त्व से निर्मित देह को नभ-जल-थल, पावक-पवन के हवन कुंड में मुझे आहुति बनकर बिखरने दो। मुझे हवाओं मेंं बिखरने दो। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त्र ब...
खुश रहो चहेरे से अपने यहाँ
कविता

खुश रहो चहेरे से अपने यहाँ

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** मेरे होंसलो को यों कम ना कर, मैं चल रहा हूंँ दिल में तूफान लिए, बदल जाए जीवन का ढ़ग सारा, बढ़ रहा हूंँ दिल में अरमान लिए, रूकावटें तो रास्तों पर बहुत आयी मेरे, कर रहा हूंँ इंतजाम मंजिल पर पहुंँचने के लिए, ख़ामोश रहकर गुज़र जाए ये दिन, गमों को सीने से लगा लिया है ज़िन्दगी के लिए, खुश रहो चेहरे से अपने यहांँ दुनियाँ में, अंदर कौन ज़ख्म देखता है किसके लिए, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्र...
मुस्कान सौंदर्य
कविता

मुस्कान सौंदर्य

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** अंग सौंदर्य आभा हीरक दिव्यमान। सुरलोक की अप्सरा मेरी मुस्कान।। काले कुंतल कमर झूले वृहद रेशमी। लट मुख शोभित घुंघराले लुभावनी।। सुरम्य मुख चंद्रमा की सोलह कलाएं। निशा की प्रहर जगमग करती लीलाएं।। कनिष्ठ कर्णफूल लटक कर टिमटिमाते। लाल भाल बिंदिया प्रिय देख शरमाते।। ग्रीवा शोभित मोती जड़ित नौलखा हार। प्रियतम दृश्य अंकित छवि झलका प्यार।। हस्त कोमल साजन नाम मेहंदी चित्रकारी। विश्व सुंदरी, मोहिनी लगती हो बड़ी प्यारी।। मानसरोवर हंसिनी सदृश कृश कमरिया। मोंगरा, चमेली की खुशबू लेता सांवरिया।। चंचल चाल मृगी चलती बन मिस इंडिया। मैं छूलूं तुझे और पालूं तब आए निंदिया।। जिस दिन जब छुओगी आसमान की बुलंदी। तब मिलेगी सुख,शांति, अशोक, गर्व, आनंदी।। आपके जीवन में सदा खुशियों की बहार हो। चारों दिशाओं में तुम्हारी ही जय-जयकार ...
जीवन सफल बना दो माँ
भजन, स्तुति

जीवन सफल बना दो माँ

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** जीवन के अंधेरों को दूर भगा दो माँ, नैया मेरी पार लगा दो माँ, ये जीवन जो तुमने दिया, जीवन की राह आसान बना दो माँ, आते हैं तेरे दर पर, बन कर सब सवाली, मुझ पर भी कृपा कर, मेरा भविष्य उज्जवल बना दो मांँ, दुःख दर्द सब दुर कर, मेरा जीवन सफल बना दो माँ, लक्ष्य जीवन का मेरे, उसको साकार बना दो माँ, मांँ होकर सब जानती हो, दीन दुखियों का दर्द पहचानती हो, मुझ पर भी दया दृष्टि बनाकर, सब काम मेरे आसान बना दो माँ, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्द...
माँ तुम ही मेरा आधार
कविता

माँ तुम ही मेरा आधार

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** माँ जगदम्बे के चरणों में, शीश झुकाये ये जग सारा। आदिशक्ति माता भवानी, भक्त लगाये जय जयकारा। तुम हो बड़ी कृपालु माता, याचक की सुनती हो पुकार। झोली सबकी तुम भर देती, आता है जो तुम्हरे द्वार। तेरा रूप है जग से निराला, नयनों को लगता है प्यारा। तुम मेरा एकमात्र सहारा, तुम बिन मेरा कौन आधारा। संकट से माँ तू ही उबारे, जीवन नैया तेरे हवाले। शरणागत हम आये माता, हे! जगजननी भाग्य विधाता। परिचय - सोनल सिंह "सोनू" निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच प...
तेरा चमक रहा दरबार
भजन, स्तुति

तेरा चमक रहा दरबार

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** "मैया तेरे दरबार की, धूल का मैं एक टुकड़ा, हरि नाम दास हूं बड़ा, सुनले मेरा दुखड़ा" तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। गड़ ऊंचे मंदिर मैया विराजी, नवरूपों में सजी महारानी। सज रहे गांव गली चौराहे, नवरूपों में झांकी विराजी। देखो चल रहा जागरण ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा। तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। "सुन ले मेरा दुखड़ा मैया, थोड़ा ना कर इंतजार, बेचारा नही मैं लाल हूं, मुझपर कर उपकार" तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। नंगे-नंगे पांव मैं चलकर आया, ऊंची-ऊंची सीढ़ियां मैं चढ़कर आया। धूपबाती की ज्योत जलायी, लाल रोली का तिलक लगाया। देखो भक्त करे जयकारा ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा।। तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भ...
मृतात्मा
कविता

मृतात्मा

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जन्म लिया था मानव बन कर इस पावन भू-भाग। कब दानव बना पता नहीं चला उगलने लगा आग।। मोह में फंसा था जीवन भर, लिया ना प्रभु का नाम। अपने लिए, अपनों के लिए करता रहा ताउम्र काम।। गरीबों से लेता था धन, अमीरों का किया काम मुफ्त। कहता सभी से बताना नहीं किसी को, रखना गुप्त।। देखकर पहनावा उनका निर्धनों को बिठाता जमीन। जब आता कोई धनवान, उठ खड़ा होता आसीन।। भिक्षु को कभी ना दान दिया ना किया समाज सेवा। भक्ति की ना धर्म के मार्ग पर चला, खुद खाता मेवा।। ईश्वर समान माता-पिता को भेज दिया वृद्धा आश्रम। माया और मांस-मदिरा में लिप्त पाल बैठा था भ्रम।। भटक रहा हूं स्वर्ग और नर्क में रूप लिए श्वेत छाया। निर्मल, पुण्य वाले मिट्टी में दफन है मेरी हाड़ काया।। जला था आजीवन दूसरों से, गुरुर अग्नि की लपटों में। धवल धुआं उड़ गया ग...
प्रेम भाव नज़र आता है
कविता

प्रेम भाव नज़र आता है

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** कुछ पल का मिलना उनसे मेरा, अपने पन का अहसास दिलाता है, बातें जब वो करते हैं मुझसे, जज़्बात निखर कर आता है, कुछ रिश्ते कुछ नाते होते हैं प्यार भरे, उनसे मिलो उनको देखो संसार नज़र आता है, देखकर प्रेम मन में उनकेे, प्यार का अहसास नज़र आता है, हो कोई दिल में बात नयी, या हों कुछ बातों की रायसुमारी, सब बातों को उनसे करके, हर बात का सार नज़र आता है, मन में हो निराशा कोई, या बातें हों दुनियादारी की, कर के सारी बातों को उनसे, उनका समाधान नज़र आता है, रखो साथ जीवन में अपने, ऐसे प्यार करने वाले साथियों को, जिनके साथ रहकर बातें कर, दिल से दिल का प्रेम भाव नज़र आता है, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एव...
हम तुमको न भूल पायेंगे
कविता

हम तुमको न भूल पायेंगे

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** राजू जी, आपने हमें हँसाया, आपकी बातों ने गुदगुदाया। हमारे मन को भी बहलाया, काॅमेडी किंग का तमगा पाया। समाज को नया रास्ता दिखाया, कॉमेडी में भी कैरियर है ये समझाया। युवाओं ने आपको मिशाल बनाया, बन काॅमेडियन जग को हँसाया। विधाता ने ये कहर क्यों बरपाया? हँसाने वाले ने है आज रुलाया। अब ये कैसा मौन है छाया, सब ईश्वर की है माया। अब यादें ही आपकी शेष रह जायेंगी, दुनिया आपको कभी भूल नहीं पाएगी। आपके किरदार आपको अमर बनायेंगे, बनके सितारा आप सदा झिलमिलायेंगे। परिचय - सोनल सिंह "सोनू" निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय ...
दोस्त कुंदन बन जाता है
कविता

दोस्त कुंदन बन जाता है

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** दोस्त दिल में रहता है बिना शर्तों के आता है। खुशी हो या गम के पल हमेशा साथ रहता है। हमारे हर कदम पर साथ-साथ चलता जाता। हमारी मुस्कुराहट में भी आँसू खोज लेता है।। दोस्ती ही वो रिश्ता जिसमें कोई बंधन नहीं है। खून का नाता नहीं उससे बढ़कर दोस्त होता है। दोस्त ही है वो जिसको हम खुद से ही चुनते । दोस्त के लिए दोस्त ही तो सबकुछ लुटाता है।। दोस्त के लिए तो जान भी कुर्बान कर देते हैं। अपनी दोस्ती की मिसाल कायम कर जाते हैं। कृष्ण और सुदामा की दोस्ती आज भी मिसाल। दोस्ती में कभी दगाबाजी नहीं किया करते हैं। दोस्ती में कभीं गरीबी और अमीरी नहीं होती है। दोस्त का दिल खरे सोने सा चमकता रहता है। इसकी चमक को तुम कभी कम न होने देना। वक्त की आग में तपा दोस्त कुंदन बन जाता है।। परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शि...
मुझको न्याय दिलवाओ तुम
कविता

मुझको न्याय दिलवाओ तुम

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** पग-पग भरे पड़े हैं दरिंदे, उन दरिंदों से कैसे लाज बचाऊंँ मैं, मैं गरीब दलित की बेटी हूंँ, उन दरिंदों से कैसे जान बचाऊंँ मैं, हर पल ठगा है जिन्होंने ने मुझको, खिलवाड़ किया मेरी लाज से, वहशी दरिंदों ने मारा है मुझको, उन दरिंदों को कैसे सजा दिलाऊंँ मैं, जो समझते ना है उनकी बेटियों जैसी मुझको, उन दरिंदों को कैसे समझाऊंँ मैं पेड़ पर लटका दिया लाश को मेरी, उन दरिंदों को कैसे अपनी तड़प बताऊंँ मैं, धर्म के ठेकेदार भी मेरी मौत पर, अब विरोध नहीं करते, उनको मेरी पीड़ा का, कैसे अहसास दिलाऊंँ मैं, मन की बातें करने वाले को, कैसे अपने मन की बात सुनाऊंँ मैं, मैं गरीब दलित की बेटी हूंँ, कैसे जान बचाऊंँ मैं, ए सत्ता के राजाओं , मुझको न्याय दिलवाओ तुम, उन वहशी दरिंदों को, चौराहों पर लटकाओ तुम, कर दो उनका एनकाऊंटर,...
जीत की अंधाधुंध तैयारी
कविता

जीत की अंधाधुंध तैयारी

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** आखिर एक दिन जीत जाऊंगा मेरे मन में है विश्वास। किए जा रहा हूं तुम्हें पाने के लिए मैं अंधाधुंध प्रयास।। अब नहीं करूंगा बर्बाद समय को यह है अमूल्य निधि। मंजिल हासिल करने अपनाऊंगा तरह-तरह के विधि।। यही अंतिम अवसर है मेरे लिए निरंतर चलूंगा कर्म पथ। विजेता बन दिखाऊंगा दुनिया को आज लेता हूं शपथ।। एक बार विफल हो गया क्या बार-बार असफल होऊंगा। बेबस और निराश होकर अपनी चेतना को नहीं खोऊंगा।। अनुकरण करके हो उत्साहित गलतियों में करूंगा सुधार। अपनी कमियों को दूर करके ज्ञान अर्जिन करना है अपार।। विद्यासागर को बनाकर हमराही बनूंगा अब किताबी कीड़ा। सभी पन्नें को याद करके बूंद-बूंद में भरेगा ज्ञान का घड़ा।। मन, वचन, कर्म अपना, परीक्षा एक सांप सीढ़ी का खेल। काटे विषैला सांप तो अंतिम पायदान पर देता है ढकेल।। चलूंगा इस बार मुंह स...
हमें प्यार जताना आता है
कविता

हमें प्यार जताना आता है

दीप्ता नीमा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सूरज और संध्या के जैसा हमें प्यार निभाना आता है प्रेम और समर्पण के संग 'हमें प्यार जताना आता है।' भारतीय संस्कृति के परिवेश में रिश्ते-नातों के निवेश में प्रेम और समर्पण के संग 'हमें प्यार जताना आता है।' परिवार समाज के बंधन में रीति-रिवाजों के पालन में प्रेम और समर्पण के संग 'हमें प्यार जताना आता है।' पीड़ा को दबा हृदय में अधरों से मुस्कुराना आता है प्रेम और समर्पण के संग 'हमें प्यार जताना आता है।' मौन रहकर निःशब्द होकर भी हमें बात करना आता है प्रेम और समर्पण के संग 'हमें प्यार जताना आता है।' परिचय :- दीप्ता मनोज नीमा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हि...
मित्रता
दोहा

मित्रता

डॉ. भगवान सहाय मीना जयपुर, (राजस्थान) ******************** मित सच्चा देखिए, कर दिया जान निसार। यारी ऐसी कहां मिले, ज्यों पीयूष इसरार। जल में डूबा देखकर, याद आया इकरार। संकट में साथ देना, इक-दूजे से करार। यार-यार पर कर दिया, अपने प्राण निसार। अपने मित्र के लिए, सब भूल गया इसरार। मां की ममता भूला, अब्बा का भूला प्यार। सबसे ऊपर हो गया, यार के खातिर यार। हिंदू मुस्लिम सिख ले, दिल से सच्चा प्यार। मानव से मानव मिले, ज्यों पीयूष इसरार। पोखर भी रोया होगा, देख अनोखा यार। मरकर भी न जुदा हुआ, सच्चा इनका प्यार। परिचय :- डॉ. भगवान सहाय मीना (वरिष्ठ अध्यापक राजस्थान सरकार) निवासी : बाड़ा पदम पुरा, जयपुर, राजस्थान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि र...
साहित्य की देवी
कविता

साहित्य की देवी

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** हे ! महादेवी हिंदी साहित्य की तपस्विनी तुम वर्तमान कलमकारों की प्रेरणा स्रोत बनीं। नीहार में भरी रसधार प्रेम की तुम आधुनिक मीरा हिंदी साहित्य की बनीं। दुख, संवेदनशीलता तो कभी सुख व प्रसन्नता के भावों की रचनाओं में प्रकाशित मिश्रित अभिव्यक्ति बनीं। हिंदी छायावादी युग का सशक्त स्तंभ बनीं। इतना ही नहीं तुम गद्यलेखन व रेखाचित्र की भी महान हस्ताक्षर बनीं। नवीन आयामों को स्थापित करती हिंदी छायावादी युग का एक सशक्त स्तंभ बनी नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्य गीत, अग्नि रेखा, सप्तपर्णा यामा में मानो आपकी ही आत्मा हैं रची बसी। हे ! महादेवी, तपस्विनी तुम भारत माँ की स्वतन्त्रता में सहभागी बनीं। सामाजिक कल्याण, महिला उत्थान की नवल पथप्रदर्शक बनीं। तुम वर्तमान कलमकारों की प्रेरणा स्रोत बनीं। परिचय :-  प्रभ...
गुरुदेव
कविता, भजन

गुरुदेव

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** जय हो! महाज्ञानी गुरुदेव ज्ञानदाता। सच्चा पथ प्रदर्शक भगवान विधाता।। सूर्य के समान चमक रहा है विद्याधर। साक्षात अंतरात्मा को प्रकाशित कर।। अबोध बालक में जागृत किया बोध। विशेषज्ञ बन किए वृहद नवीन शोध।। ज्ञानी गुरु जड़ बुद्धि में ला देता चेतन। प्रेरणा से लक्ष्य का करवाता है भेदन।। मन में जगा देता है सीखने की इच्छा। मूल्य निर्धारण के लिए लेता परीक्षा।। नैतिकता और संज्ञान में बनाता प्रवीण। खेल, नृत्य, गीत, संगीत में करता उत्तीर्ण।। अंधकार का बनाया उज्जवल भविष्य। सत्य की पहचान कर दिखाया दृश्य।। कोविद ही लाता है जन-जन में सुधार। समाज कल्याण करता प्रभु के अवतार।। वंदना करो गुरु का चरण कमल पकड़। मांग लो तुम आशीष विवेक का जड़।। सहज मानव को योद्धा बना जीतवाता। जीवन जीने की आदर्श कला सिखाता।। परिचय : अशोक कुमार ...
भारत के मस्तक की बिंदी है हिंदी
कविता

भारत के मस्तक की बिंदी है हिंदी

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** भारत मांँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। भारत मां का अलंकार है हिंदी, भारत मांँ का शीश सुशोभित करती है हिंदी, देव-भाषा की अनमोल कृति है हिंदी, भारत मांँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। जन -गण-मन की शक्ति है हिंदी, भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति है हिंदी, नन्हे मुन्नो की बोली है हिंदी विद्वानों की विद्वता को परिभाषित करती है हिंदी जब-जब इस पर संकट की परछाईं भी दिखती, कलमकारों की कलम से निकली हर हुंकार हिंदी रक्षण में आंदोलन करती, भारत मांँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। भाषाओं में सर्वोपरि राष्ट्रभाषा है हिंदी जन-गण-मन में रची बसी है हिंदी हर भारतवासी को एक सूत्र में बांधती है हिंदी, भारत मांँ के मस्तक की बिंदी है हिंदी। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शिक्षा :...
हिन्दी भारत की शान
कविता

हिन्दी भारत की शान

अनुराधा प्रियदर्शिनी प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) ******************** हिंदी की बोली में मिठास है सबको अपनी सी लगती है सात सुरों में झंकृत होती हिन्दी सबके मन को भाती हिन्दी अंग्रेजी शिक्षा बनी है जरूरत ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बड़ी नयी पीढ़ी के बच्चों को बताना हिन्दी से उनका रिश्ता है गहरा हिन्दी हमारे भारत की शान है भारतीयों का अभिमान हिन्दी सहज सरल हमारी भाषा हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती वैज्ञानिकता से परिपूर्ण है हिन्दी हर देश की अपनी एक भाषा है हमारे भारत की पहचान हिन्दी हिन्दुस्तान के माथे की है बिंदी चौदह सितंबर के इस शुभ अवसर एक संकल्प हम सबको करना है हिन्दी का खूब प्रचार प्रसार करना हिन्दी को विश्व जगत में फैलाना है हमारी मातृभाषा है प्यारी हिन्दी जन-जन की भाषा हमारी हिन्दी अब तक है राज भाषा हमारी हिन्दी राष्ट्र भाषा पद पर इसको बिठाना है ...
विश्व शान्ति की प्रतीक हिंदी
कविता

विश्व शान्ति की प्रतीक हिंदी

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** हिंदी है हम सब की भाषा, मिलकर इसका सम्मान करो, हिंदी में संवाद कर, हिंदी का गुणगान करो, प्यार प्रेम दर्शाने वाली, करूणा की मुर्त है, एक दूसरे से जोड़ती, ऐसी इसकी सूरत है, हिंदी को दो प्राथमिकता, ताकि विचार विचार बढ़े आगे, देश के सम्मान में, हिंदी का गुणगान बढ़े आगे, अज्ञानता से निकालकर, ज्ञानी हमें बनाती है, दुनियां में जीने के, सारे ढंग दिखाती है, हिंदी जोड़ती है आपस में, समुचे भारत वर्ष देश को, हिंदी देती है सभी जनों में, भाईचारे के संदेश को, गौरव गाथा है अपार इसकी, वैभव गौरवशाली है, विश्व शान्ति की प्रतीक, भाषा यह निराली है, ऋषि मुनियों की धरती पर, हिंदी का स्थान करो ऊंँचा, पताका इसकी फहरे विश्व में, ऐसा सम्मान करो ऊंँचा, परिचय :-  रामेश्वर दास भांन निवासी : करनाल (हरियाणा) घोषणा ...
चौपट भविष्य
कविता

चौपट भविष्य

रामेश्वर दास भांन करनाल (हरियाणा) ******************** बंद हो रहे हैं स्कूल, अब मेरे गांँव में, बच्चे कहां जाएं पढ़ने, अब मेरे गांँव में, उजड़ जायेगा ये जीवन, बिन पढ़ाई के, कौन बच्चों को पढ़ाएगा, अब मेरे गांव में, सदियों से था बना, मेरा पिता भी इसमें पढ़ा, अब मैं कहां जाऊं पढ़ने, किस गांँव में, पिता का साया नहीं है सर पर मेरे, माँ है अकेली, कौन छोड़ने जाएं मुझे स्कूल, किस गांँव में, साथी मेरे सब चिंता में हैं डूबे हुए जब से, मुरझा गए हैं चेहेरे सब बच्चों के मेरे गांँव में, बेटियों पर भी रहम नहीं खाया है जालिम आकाओं ने, बचपन को अनपढ़ बनाने की शाजिश रची है मेरे गांँव में, थी बुनियाद पढ़ाई की ये बढ़ी, गहराई से थी जड़ी, तोड़ दी है अब पढ़ाई की, बुनियाद मेरे गांँव में, कर दिया है चौपट भविष्य हमारा, रहनुमाओं ने, बंद कर हैं रहे स्कूल, अब मेरे गांँव में, कैसे पढ...
सब पढ़े, सब बढ़े
कविता

सब पढ़े, सब बढ़े

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** अज्ञानता के तिमिर में, ज्ञान का प्रकाश हो। दूर हो निरक्षरता, साक्षरता का आभास हो। साक्षरता हमें जगाती है, शोषण से भी बचाती है। देश को आगे बढा़ती है, जीवन सफल बनाती है। जन जन तक पहुँचे शिक्षा, आज ये संकल्प करें। शिक्षा का कोई विकल्प नहीं, इसे पाने का प्रण करें। सब पढ़े सब बढ़े, स्वप्न ये साकार हो। साक्षर बने सारा समाज, आओ इसका करें आगाज। परिचय - सोनल सिंह "सोनू" निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाश...
शिक्षक
कविता

शिक्षक

सोनल सिंह "सोनू" कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) ******************** शिक्षक, जो हौसला बढ़ाये, शिक्षक, जो सही राह दिखाये, शिक्षक, जो हिम्मत न हारे, शिक्षक, जो धैर्यवान हो, शिक्षक, जो ऊर्जावान हो, शिक्षक, जो क्षमाशील हो, शिक्षक, जो रचनात्मक सोच रखे, शिक्षक, जो निरंतर सीखता जाये, शिक्षक, जो बच्चों को समझे, शिक्षक, जो बच्चों की सुने, शिक्षक, जो प्रोत्साहित करे, शिक्षक, जो खुशियाँ बाँटे, शिक्षक, जो सपने देखना सिखाये, शिक्षक, जो सपने पूरा करना सिखाये, शिक्षक, जो जीवन जीने की कला सिखाये, शिक्षक, जो बच्चों के साथ बच्चा हो जाए, शिक्षक, जो बच्चों के मन में उतर जाये, शिक्षक, जिसे हर बच्चा चाहे। परिचय - सोनल सिंह "सोनू" निवासी : कोलिहापुरी दुर्ग (छतीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कवित...
तुम्हारे जाने के बाद
कविता

तुम्हारे जाने के बाद

अशोक कुमार यादव मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** चाह है मेरी तुम्हें पाने की, तुम आती हो बहुत याद। मन लगता नहीं कहीं मेरा, तुम्हारे चले जाने के बाद।। भूल जाता हूं कि मैं कौन हूं, खुद का पता है ना ठिकाना। प्यार में तेरे बन कर पागल, गली में घूमता प्रेम दीवाना।। गूंज रहा है तेरा नाम फिजा में, हर जगह दिखता तेरी तस्वीर। छोड़ कर अकेले चली गई हो, मेरी प्रेरणा तू है मेरी तकदीर।। अब ना देर करो जीवन साथी, लौट आओ तुम बिन मैं अधूरा। तुम अमूल्य हो मणींद्र से ज्यादा, तेरा प्यार मेरे लिए है पूरा-पूरा।। मेरे मनमीत, प्रेयसी, अर्धांगिनी, सुन लो निशब्द दिल की पुकार। तड़प रहा हूं तुम्हें पाने के लिए, तुमसे ही है प्रिय मेरा घर संसार।। परिचय : अशोक कुमार यादव निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) संप्राप्ति : सहायक शिक्षक सम्मान : मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पु...