मेरा नाज़ुक सा दिल है
रामेश्वर दास भांन
करनाल (हरियाणा)
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मेरा नाज़ुक सा दिल है,
कोई पत्थर तो नहीं,
चोट इतनी ना दे मुझे,
कि टुकड़ों में बिखर जाऊं,
ना बना मुझको अनजान पहेली,
कि फिर मैं कभी सुलझ ना पाऊं,
धीरे-धीरे से दर्द दे मुझको,
एक साथ सहने की हिम्मत तो नहीं,
मेरा नाज़ुक सा दिल है,
कोई पत्थर तो नहीं,
वक्त क्या था जब साथ थे तुम मेरे,
अब घेरे रहते हैं मुझको ये अंधेरे,
कुछ रहम खा कुछ तरस रख मुझ पर,
प्यार ही तो किया था कोई दगा तो नहीं,
मेरा नाज़ुक सा दिल है,
कोई पत्थर तो नहीं,
गम देते हो क्यों मुझको रूलाकर,
क्या मिलता है मेरा दिल दुखाकर,
क्यों दिया था भरोसा साथ रहने का मुझको,
अब मैं कहां जाऊं ये बता तो सही,
मेरा नाज़ुक सा दिल है,
कोई पत्थर तो नहीं
परिचय :- रामेश्वर दास भांन
निवासी : करनाल (हरियाणा)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करत...







