काश पंख होते मेरे…
हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम"
गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश)
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काश पंख होते मेरे, उड़ जाता,
काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।
मनचाही जगह पर मैं, चला जाता,
काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।
काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।।
कोई अपना दूर सही, याद सताती है,
जिस पल में याद करूं, याद आती है।
दिल जितना याद करे, मुझको रुलाती है,
मेरा दिल धड़के यूं, मिल जाता।
मनचाही जगह पर मैं, चला जाता,
काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।
काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।।
दिन याद करूं दूनी, रात चौगुनी आती है,
आकर मेरे सपनों में, समां जाती है।
एहसान किया ऐसा, सपनों में आकर सही,
मेरा सपना चाहे यूं, मिल जाता।
मनचाही जगह पर मैं, चला जाता,
काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।
काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।।
हर पल मैं याद करूं, एहसास मुझे ऐसा,
जुदाई भी क्या ऐसी, मुझे तड़पाती है।
देखो छलके आंसू मेरे, क...





