Thursday, December 4राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: ललित शर्मा

प्रकृति
कविता

प्रकृति

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** प्रकृति में बनकर वर्षा, हरी भरी लाली चमत्कारी प्रकृति में, बरसाती हरियाली अमृत बनकर प्रकृति को कर तृप्त सूखे से प्रकृति की प्यास, बुझाती बचाती ।।१।। प्रकृति स्वयं प्रक्रिया में करतीऋतु में वर्षा प्रकृति में कीमती उपहार लगती,अमृत वर्षा मौसम में बिन कहे आसमान से जमीन पर आंनद में प्रकृति को खूब, भिगोती है वर्षा ।।२।। प्रकृति की एक मूल आधार, मनमोहक वर्षा घनघोर घटा में उमड़ती है आसमान से वर्षा टपकती जल की असनान से बूंदे बनती वर्षा प्रकृति करती इंतजार अब आओ बरसो वर्षा ।।३।। प्रचंड, तपती, चिलचिलाती, भीषण गर्मी में असहनीय प्रकृति में मानव पशुपक्षी जीवजंतु खेत खलिहान होती जमीन वीरान सुनसान में प्रकृति से जोरशोर प्रार्थनाएं की जाती वर्षा की, ।।४।। झुलसाये, मुर्झाये प्रकृति के पेड़ पौधे की पुकार जीव जंतुओं प्राण...
आदर्श पथ पर चलना
कविता

आदर्श पथ पर चलना

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आदर्श से रहना आदर्श का पालन करना आदर्शों से सूखी जीवन पथ को चुनना ।।१।। विकट परिस्थितियों में संयम बरतना मन मस्तिष्क नियंत्रित रख आदर्श रखना ।।२।। आदर्श एक महाशक्ति जिसपर रखो दृष्टि यह मानवीय मूल्यों की, उत्तम श्रेष्ट शक्ति ।।३।। हमेशा ही लक्ष्य प्राप्तियों में आदर्श है सूचक यह पथ अपनाकर कहलाता, प्रगति का सूचक ।।४।। आदर्शों से मिलती शान्ति आदर्शों से क्रांति दुःखों की दीवारों में आदर्शों मिलती शान्ति ।।५।। बचपन से आदर्शों का पाठ पढ़कर बीता पल आजीवन खुशियां लाता है हर दिन हर पल ।।६।। आदर्श के पथ से जब जो भी कही डगमगाया उसपर संकट का बादल किन्हीं रूप में आया ।।७।। प्रण करता चलूंगा आदर्श पथ पर बढूंगा आगे आदर्श का महत्व समझ वैसे व्यक्ति आते आगे ।।८।। परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खलिहामारी, डिब्र...
आत्मीयता का उपहार
कविता

आत्मीयता का उपहार

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** छोड़कर धन दौलत हार तनमन से बांटो आत्मीयता का अनमोल उपहार ना सोना, ना चांदी, ना आभूषण का कहलाता है सच्चा उपहार, तनमन से बांटो आत्मीयता के प्रेमबन्धन का फूलों की महकती खुशबू सा अपनापन का बांटो अपनों में अपनत्व का अनमोल उपहार जन्मदिन, वर्षगांठ पर दिखावटी आडम्बर से भरे क्या सचमुच कहलाते अनमोल उपहार ? स्वेच्छा से बांटो अनमोल आत्मीयता का सच्चा समन्वय का आत्मीयता से भरा प्रेमबन्धन का अपनो में अनमोल उपहार परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।...
अपना घर का सपना
कविता

अपना घर का सपना

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** मेरा अपना आलीशान बंगला है नहीं बड़ी आलीशान इमारत भी है नहीं कहीं कोई बड़ी कोठी भी नसीब है नहीं न कहीं कोई है बड़ी ऊंची हवेली है नहीं, मेरा कहने को है घर कहता हूँ चाव से गर्व से अपना घर घर मकान बस है कच्ची झोंपड़ी का है बना सबको गर्व से कहता हूँ अपना घर, टपकता है घर की चहारदीवारी छत में, बरसात का पानी बाढ़ में जलमग्न हो जाता हफ्तेभर जलमग्न की रहती कहानी, जीवनभर, आंधी बरसात में छत घर की उड़ा ले जाता हर बार कहना चाहता हूँ घर बना नहीं पाता, कहता हूँ फिर भी उसे ही अपना घर, आंनद में रम जाता, सपना मन में हर बार आता सच कभी सपना, कर नहीं पाता मेहमान का आवभगत घर की हालात से कभी कर नहीं पाता बारिश में टप-टप बून्द में भीग जाता तेज गर्मी घूप से बैचैन ओलावृष्टि में घर हर बार टूटकर बिखरकर धाराशायी हो जाता, उ...
बदलता परिवार
कविता

बदलता परिवार

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** एक-एक सदस्य से कहलाता परिवार परिवार की सदस्यता बिना, सुना संसार कहीं भी रहे, कहीं भी बसे, भुलाये भूल नहीं सकते, परिवारजनों को, अक्सर उनके संग ही लगता है, अपना प्यारा कितना अनूठा है परिवार।।१।। कभी किसी जमाने में आन बान शान में संयुक्त परिवार एक जगह सोते रहते खाते पीते मिल-जुलकर हाथ बंटाते सारे काम कर लेते आसान दुःख सुख की नैया चलाने लेते सबजन आपस में हाथ थाम।।२।। संयुक परिवार की असली शक्ति लुटाते उस परिवार पर अपनी जान बदलती दुनिया में बदलते गए है विचार कहीं भी देखो, दिखलाई नहीं देता खुशहाल संयुक्त परिवार, युगपरिवर्तन में सब, अब दीखता एकल परिवार।।३।। परिवार से मिलती खुशियां परिवार से मिलता प्यार एकता का सूत्र बंधा रखता भरापूरा स्नेहभरा परिवार।।४।। परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खल...
हिंदी से लगाव
कविता

हिंदी से लगाव

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** मैं रोज हिंदी में बोलता हूँ रोज हिंदी के नए शब्द ही लिखता हूँ रोज में हिंदी ही रुचि से पढ़ता हूँ अनुवाद सिर्फ हिंदी में करता हूँ गद्य पद्य हिंदी में रोज लिखता हूँ हिंदी भाषा का ज्ञान लिखने पढ़ने में रोज व्यवहारित करता हूँ लेखकों कवियों रचनाकारो की रोज नवीन पुरानी अनमोल पुस्तकें सुबह से शाम फुर्सत में रोज संग्रह करता हूँ फुर्सत में रुचिकर रचित ज्ञान अन्तर्मन से पढ़ लेता हूँ रोज नए नए रोचक ज्ञान की खुराक पढ़कर लिखकर अनमोल ज्ञान से तृप्त हो लेता हूँ हिंदी की पुस्तकों का भरपूर खजाना उनका एक-एक पन्ना मन मस्तिष्क में भर लेता हूँ हिंदी की पुस्तकों से रोज असीमित ज्ञान के भंडार को रोज प्रेम से भर लेता हूँ यही है पूंजी सँजोकर रोज सुरक्षित रखता हूँ हिंदी की गहराई में खुशियों को ही नहीं सबके बीच हिंदी ज...
हिंदी ज्ञान का महारथ
कविता

हिंदी ज्ञान का महारथ

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** भाषाज्ञान से सबका सन्मान हिंदी को बढ़ाए रचाये सीखकर अर्जित करें हिंदी लिखने पढ़ने बोलने का ज्ञान ।।१।। जो है करता, भाषा हिंदी का सन्मान, मनमस्तिष्क में हिंदी कविता साहित्य जगत का, तनमन से रचाकर दिलाती खूब सन्मान ।।२।। वही खूब है रचता हिन्दीभाषा लेखन में शक्तिशाली शब्द भरकर अलंकार हिंदी भाषा के समृद्धि में हिंदी के भरता शब्दरस काम हिंदी में करता हिंदीभाषा का गुणगान कर बीज अंकुरित हिंदी का करता ।।३।। हिंदी भाषा का साहित्य जगत में बढ़ता जाए संसार शब्द भाषा से हिंदी भाषा का जन जन तक फलता फूलता जाए सुदृढ़ समृद्ध हिंदी महारथ का संसार ।।४।। मिले मौका लेखनशैली का हिंदी में, नियमित सूंदर सूंदर रचकर अलंकृत शब्द भरो खजाना रचना और शब्द भाषा ज्ञान हिंदी का हिंदी को करो अलंकृत भाषा में पीओ हिंदी...
कुदरत की महिमा
कविता

कुदरत की महिमा

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** कुदरत तेरी रचना वाह तेरा क्या खूब कहना प्राणी जीवजन्तु में कमोधिक गुणों में गुण की बसती महिमा खूबसूरत सुंदर रहती विद्यमान कुदरत तेरी रचना ।।१।। कलम, काठ, पेंसिल स्याही, चाक, लिखावट में गुणी पुस्तकें ज्ञान बढाने, पढ़ाने में रहती है हरदम गुण में गुणी डस्टर बार बार लिखावटों को मिटाने में रहता गुणी निर्जीव सजीव में कुदरत तेरी रची है अजीब रचना प्राणी जीवजन्तु गुणों में गुणी कुदरत तेरी रचना ।।२।। केंचुएं में जमीन उपजाऊ का गुण चूहा, जहरीला कीड़ा उगती फसल नष्ट का रखता गुण हिंसक नीचे गिराने सेवक रखता उठाने गुणों में गुण कुदरत तेरी रचना कुदरत तेरी रचना कहीं बाधक का गुण कहीं सम्मान का गुण मुश्किल है कुदरती रहस्य मुश्किल तेरी महिमा समझना ।।३।। परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खलिहामारी, डिब्रू...
बस मन से लिखूं
कविता

बस मन से लिखूं

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सुबह जागते ही आते ख्याल दिनभर कुछ लिखूं सोचकर समझकर लिखकर सचेत सबको करूँ, क्या लिखूं, कैसा लिखूं लिखकर ना कागज में रखूं लिफाफे में बंद कर ना रखूं, मनगढ़त चुभती बातें ना लिखूं मन के उपजे सवालों में, लिखकर विचारों से, जीवन का सार बदल दूँ,।। कभी घर में, कभी बाहर कभी जमीन में, कभी आसमां में, झांकता हूँ, सोचता हूँ, समझता हूं, उत्साहित, उदासीन मन को लगता है मुझे चुप क्यों फिर रहूँ, लिखने की शक्ति भरूँ इनपर भी मन की बातों का मन को स्पर्श करने सा मनभावन विचार क्यों न मन से लिखूं।। देश, समाज, जाति, की बातें मन में कैसे रखूं, मन करता है हर रोज मुसीबतों में भी मुसीबतों से लड़ने की बेधड़क मन की उपजी बातों को कलम से कागज में अविराम एकांत लिखूं।। परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खलिहामारी, ड...
सावन का सुहावना झूला
कविता

सावन का सुहावना झूला

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आता है सावन जब, मल्हार गीतों से गूंजती बहार सावन की हरी भरी हरियाली में, गूंजे गीतों की बहार ।।१।। सावन के सुरीले गीतों की मस्ती में, आंनद की बहार नवविवाहित सजती श्रावण में, करती सोलह श्रृंगार ।।२।। भगवान कृष्ण और राधा का सजता, सावन में दरबार श्रद्धालुओं की लंबी लंबी लग जाती, मंदिरों में कतार ।।३।। ब्रज में बुरा सेवन की परंपरा, दामाद आने की बहार सावन में ससुराल वाले, दामाद का करते इंतजार ।।४।। सावन में ठाकुरजी की आकर्षित लगती, सुंदर पोशाक दौड़े दौड़े आते भक्त, पहनाते बेबाकमनमोहक पोशाक।।५।। ब्रज रस में सावन का सुहावना, सुंदरता से सजा झूला कृष्ण राधा की युगल जोड़ी में, मधुरतम लगता झूला ।।६।। सावन में संस्कृतिसाहित्य की समृद्ध, नजर आती कला जिधर देखो सुनहरी छटा में सुंदर, ब्रज का सावन मेला ।।७।। चौरासीक...
भूल रहे घरेलू कला कौशलता
कविता

भूल रहे घरेलू कला कौशलता

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** न जाने क्यों किन कारण से दिन प्रतिदिन बदल गये अधुनिकता के रंग में ढल गए नए रंगरूप में उमंग-तरंग में चढ़ गए घरेलू कला कौशलता के नुस्खे भूल गए आधुनिकता में बेसुमार रम गए घर की रसोईघर में भोजन पकाने में मिट्टी के सुंदर टिकाऊ चूल्हे धुंए की लोहे की फुँकनी मिट्टी के बने मनमोहक घड़े तांबे पीतल के बने बर्तन मसाले कूटने के मामजस्ते काठ के बने चकले बेलन कांच के अचार रखने के व्याम अनेकों सामानों को अकारण उन्हें भूल गए पकाने की पद्धति में न जाने कितने पिछड़ गए पौष्टिक आहार बनाने में शिथिल पड़ गए भोजनालय की सारी पद्धति भूल गए घरेलू स्वादिष्ट भोजन छोड़ बाहर के स्वाद चखने में बेधड़क रम गए न जाने क्यों घरेलू कला कौशलता अधुनिकता के चक्कर में भूल रहे आधुनिकता के गहराइयों में बेहिसाब गहरे रम गए परिचय...
पतंगबाजी
कविता

पतंगबाजी

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** हाथ में चरखी, चरखी में लिपटा धागा, चौकोर कागज की रंगीन पतंग हवा की मस्ती की लहरों में उड़ाता उड़ाने की ख़ुशी में सबसे हर्ष आनंद बढ़ाता सेहत बढ़ती, मिलती ताजी धूप प्रफ़ुल्लित मनमस्त हो चला जाता खुले वातावरण में चरखी औऱ डोर घुमाता कागज की सुंदर रंगीन पतंग आकाश में देख, ह्रदय खूब हर्षाता फेफड़ों में लाभकारी पतंग से खुशियाँ भारी पाता अच्छा ब्रीडिंग व्यायाम करता भारी ऑक्सीजन पर्याप्त मिलता ताकत भारी पतंगबाजी में करता प्रकृति से शरीर की प्रक्रिया नजरें प्रकृति से लड़ती लड़ता मन खुशियां मिलती न्यारी आसमान में उड़ाकर रंगीन पतंगों को रोगमुक्त का उपाय पतंग उड़ाकर मन को बढे चाव शरीर की पीड़ा जटिल रोग दूर होती पतंगबाजी से अनेक बीमारी एकाग्रता बनाए रख उड़ाए पतंग उड़ाए पतंग भगाओ परेशानी पतंग उड़ाने...
विश्वासघात का मकड़जाल
कविता

विश्वासघात का मकड़जाल

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सोचता हूँ विश्वास की लहरों में विश्वास के जोश में उड़ जांऊ विश्वास का लगा पंख पखेरू सोचता हूँ मिलेगी की लहरें विश्वास से ऊंचीउड़ान भर पाऊं।। विवेक से मै अलमस्त उड़ता जांऊ आंधी तूफान से भी लड़ता जांऊ मनमस्तिष्क में रख शीतल गहराई शीतलता की छाँव में ठाँव में पाँउ विश्वास से उड़ान मैं भर पाँउ।। निस्वार्थ से उड़ान जब भरूँ निस्वार्थ की मंजिल बस मैं पाँउ जख्म विश्वासघात का किसे बताऊँ विश्वास में विश्वासघात का निशाना विश्वासघात मैं अब पिसता पाँउ।।3 घातक तीर लगा कि पंख बचा न पाँउ विश्वास करुं जितना, घात उतना पाँउ विश्वास की उड़ान भरूँ विश्वासघात पाँउ भरता हूँ उड़ान, षड्यंत्र का तीर मैं पाँउ विश्वास की उड़ान भरने में समझ न पाँउ विश्वासघात के मकड़जाल में, उड़ न पाँउ।। परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खलिहामारी, डिब्रू...
रचे रचनात्मक जिंदगी
कविता

रचे रचनात्मक जिंदगी

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सोचना समझना फिर करना जिंदगी का सबसे अहम काम, फुर्सत कभी मिलती ही नहीं, मिलता नहीं पलभर आराम ।। जिंदगी पहिये सी, घूम रही है शिकायत कभी करती ही नहीं, मौन भी रहती है हरदम जिंदगी सीख भी बेजोड़ देती जिंदगी ।। कहती है खुद पे खुद ये जिंदगी करो रोज, रचो रचनात्मक काम, समाज जाति देशहित के काम मौन क्यों, रचो रचनात्मक काम ।। प्रगतिशील गतिविधियों से लड़े जिंदगी प्रगति पथ पर खुद बढ़े मुसीबतो का जंजाल सताएगा सोचना समझना, काम आएगा ।। जिंदगी की है भारी भागदौड़ चुनो समाधान के नए नए मोड़ समाधान की तलाशते रहे धैर्य संयम रखो हरदम सांस मिलेंगे सरल स्रोत, मिलेगी राहें ।। परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्ष...
रामभक्ति में कंचन कुंवरी
कविता

रामभक्ति में कंचन कुंवरी

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** अखिल भारतीय कविता लिखो प्रतियोगिता विषय :- "नारी और स्वतन्त्रता की उड़ान" उत्कृष्ट सृजन पुरस्कार प्राप्त रचना नारियों में नारी कंचन कुँवरी भक्तिमय जीवन में खूब तरी श्रद्धाभक्ति जगायी श्री राम की खुशियां भक्ति में पायी खरी।। श्रद्धा से श्रीराम को बसा ली बाल्यकाल से महिमा पा ली श्रीराम के चरण की भक्ति में रामभक्तिमय जीवन बना ली।। काव्यात्मक रस का प्रेमभाव रामभक्ति का रखा खूब चाव चित्तएकाग्र में पाया रामभाव सदैव बसाया रामभक्ति भाव।। भक्ति की तृष्णा बुझाती राम से गुनगुनाती गाती नितगीत राम के जीवनकर्म को अनन्य बनाया राम आराध्यदेव सुख सब पाया।। बेतवाँ की लहरों में नित बैठ रामभक्ति भाव पाती ठेठ महिमा राम की जान जीवन अर्पण समर्पण रामभक्ति में प्राण करती गई रामभक्ति सेवा सर्वस्व मान ली कंचन कुंवरी, राम...
होली के रंग
कविता

होली के रंग

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** अजूबे होते है ये होली के रंग लाल पीले नीले प्यारे-न्यारे, ये होते प्रेम बरसाने के सुनहरे रंग। रंग में होते अपने अपने मन पसंदीदा रंग नीले पीले गुलाबी मन को लुभाते रहते होली के सुनहरे प्यारे न्यारे रंग।। हरे-भरे उड़ाकर यत्र-तत्र रंग सुनहरे सजाते माहौल होली के रंग। मस्तमग्न सबको करते केशरिया, लाल, पीले, हरे, नीले रंग मौसमी गुलाबी बनकर होली के रंग।। रंग की बरसात की बौछार में प्यारे न्यारे दिखते ये रंग गुलाबी आसमान बादल में । सुनहरा सुहावना चढ़ाते मिश्रित होकर आनंदित करते ये होली के रंग ।। सुगंध में भरे होते होली के ये रंग सुनहरा रूपरंग में अलबेले बसन्त ऋतु पर खींचते ये रंग कवि के मन में शब्द के रंग राग भरते बेसुमार खुशियों में होली की मस्तीभरे ये रंग रंग में घुलने मिलने के फाल्गुन मौसम करते है जब ...
विद्या की देवी सरस्वती
स्तुति

विद्या की देवी सरस्वती

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** माघ मास में शुभ पंचमी का दिन यहहै,मंगल, पुण्य पावन पवित्र दिन श्री कृष्ण के कंठ से उत्पन्न देवी विद्या की, तू कहलाई सरस्वतीदेवी सरस्वती का आविर्भाव इस दिन कहलाता, बसंतीपंचमी का दिन ।।१।। अज्ञानता से ज्ञान का, दीपक जलाता कलम, कमल, पुस्तक,चरणों में चढाता ज्ञान, बल,बुद्धि की रखता भावना तनमनसे करता, सरस्वतीकी ध्यावना ज्ञानप्रकाश कीभरो रोशनी,यही भावना करता साधक, पूजन आराधना ।।२।। देवी सरस्वती का है तेज अत्यंत दिव्य ज्ञानमय अपरिमेय महिमा है अवर्णीय देवी सरस्वती की महिमा है अतुलनीय वाग्देवी, शारदा, बागेश्वरी, बाग्गदेवता सरस्वतीदेवी के है प्रचलितविशेष नाम देवी सरस्वतीका है सब करते गुणगान।।३।। श्रेष्ठता, दक्षता, असामान्य उपलब्धियां परिपूर्ण करो मां सरस्वती, ये विनती शारीरिक मानसिक आत्मिक शक्ति मेधावी विद्व...
आजादी की एकता
कविता

आजादी की एकता

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** विविधता में एकता का एक ऐसा आंदोलन चलाया विश्वभर में आश्चर्यजनक एक शोध बनकर दिखाया हिंसात्मक पथ पर कभी भी कोई आगे नहीं आया देश की मिट्टी से किया देशप्रेम स्नेह प्यार निभाया देश की मिट्टी में मर मिटने देशप्रेमी कसम खाया चढ़कर फांसी का फंदा हंसता हंसता प्राण गंवाया अविराम मरतामिटता देशप्रेमी लहूलुहान नजर आया देश की खातिर देशप्रेमी बेहिचक एक आवाज उठाया जुबान की वही आवाज का देशप्रेमियों पर था साया जाति धर्म भाषा त्यागकर एकता स्वयं दिखलाया विविधता में एकता की मजबूतगांठ देशप्रेमी बनाया कूदकर देशप्रेम में देशप्रेमी देश को सुरक्षित कराया यही है हिंदुस्तान, देशप्रेम के पथ का पाठ था सिखाया परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणि...
नशे से नाश
कविता

नशे से नाश

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** नशे से नाश विनाश, नशे से सर्वनाश मत करो नशा, मत रहो नशे के पास।।१।। पूछो उनसे, जो करते नशे, नशे में कूदे खोए धन समृद्धि सम्पत्ति, नशे से डूबे।।२।। जो रहे नशे में चूर, पड़ता असर है सुदूर बुरी आदतें नशे की, नशे में होते चूर चूर।।३।। नशे से हानियाँ, पारिवारिक परेशानियां नशे के प्रचलनों की बढ़ रही कहानियां।।४।। नशे को रोकने में बढ़े विचार, रुके नशा अविलंब करें प्रयास, रुके समाज मे नशा।।५।। नशे के लत में पड़े वे लोग, दुःख रहे भोग अशान्ति में घिरकर लगाए लूटने के रोग।। ६।। समाज में कोई भी करे नशा, मत करो गुस्सा समझाओ सिखाओ, दिखाओ बनाओ अच्छा।।७।। नशे से घटती स्थिरता आत्मविश्वास साहसिकता घुटुनभरी जिंदगी में नशेड़ियों बनकर जीवन जीता।।८।। नशे के कारण अक्सर बढ़ते है, जगह जगह अपराध नशेड़ियों को...
लहरा गए तिरंगा
कविता

लहरा गए तिरंगा

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** वो थे वीर साहसी निडर देश के असंख्य पुरुष महिला अनगिनत देश के नौजवान।। मर मिटे गए वो खुद हुए थे लहूलुहान बढ़ाते ही गए शक्ति समन्वय बढाये अपने देश का सन्मान।। बिछाया था जाल देश की खातिर मरने मिटने का देश की मिट्टी में झलकाये थे वे कमाल।। गुलामी की जंजीरें तोड़करलहरा गए वो भारत का प्यारा तिरंगा।। विश्वभर में भारत की गुलामी से मुक्त कर बचा गए वो मचा गए वो दिखा गए वो साहस और शक्तिवे थे भारत के वीर शान।। वे बजा गए खुशियों का मधुरिम डंका वे थे देश की रक्षार्थ सच्चे नोजवान।। परिचय :- ललित शर्मा निवासी : खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) संप्रति : वरिष्ठ पत्रकार व लेखक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
आओ मिलजर मनाएं मकर सक्रांति
कविता

आओ मिलजर मनाएं मकर सक्रांति

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** पौष जाए माघ आए शीत की छटा बह आये मकर सक्रांति पर खुशियाँ घर घर आये।। घरपरिवार में तिल गुड़ चिड़वा मुड़ी लाये मकरसक्रांति पर्व की खुशियाँ तनमनमे छाए।। मकर सक्रांति पर्व है ऐसा दान धर्म स्नान भाये वस्त्र अन्न बर्तन कम्बल का दानपुण्य बढ़ जाए।। तीर्थों में आनाजाना, मकर सक्रंति पर्व बताये भारतवर्ष के हर कोने में, मकरसक्रांति मनाए।। नदियां कुंड तालाब पोखरे में ठंडे जल से नहाए मकर सक्रांति पर्व की परंपरा की रीत निभाए।। दही चिड़वा घेवर खानपान में आनंद खूब लाये एक संग में शीत की लहर में अलाव को जलाए।। आसमान की रौनक चारो तरफ यह पर्व महकाये रंग बिरंगी लाखों पतंगों को उड़ाने की मस्ती लाये।। मकर सक्रांति माघ महीने का है दान धर्म का पर्व परंपरा को परम्परागत निभाये, सन्देश सब फैलाये।। आओ हम सभी प्...
रिश्ते में है अनमोल खुशी
कविता

रिश्ते में है अनमोल खुशी

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** रिश्ते में है रहता अटूट स्नेहप्रेम प्यार रिश्ते में विद्यमान चैन सांस, रिश्ते में सकुशलता, जीने की सफलता रिश्ते में बहती प्रेम बंधन की सरिता।। रिश्ते में खून का नहीं देखते रिश्ता, रिश्ते में अपनेपन अहसास का जुड़ा होता रिश्ता रिश्ते बिना समूचा जग सुना सुना। रिश्ते से बढ़ता एक सशक्त अपना परिवार।। रिश्ते में रहती खुशियां और चाहत बहार रिश्ते में धन दौलत का नहीं रहता मोल रिश्ते में दिलों के रिश्ते होते अनमोल देते मन को तौल रिश्ते में न रहे दरार, बढ़े हरदम प्यार।। रिश्ते में सदैव बसा रहे करुणा, प्रेम प्यार रिश्ते में रोज रहे आपसी आना जाना रिश्ते में दुःख सुख में संगी हो नहीं बनाए बहाना रिश्ते की दीवार में भेदभाव हरदम घटाना।। रिश्ते में रखना सीखो रखो एक थाली रिश्ते में एक संग खाने की लाएं हरियाली रिश्ते में ...
अटल जी अद्भुत सरलता
कविता

अटल जी अद्भुत सरलता

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सरलता से जीना थाजीवन का सपना नितनियमधर्म का संयम पालन रखना अनुशासन सकुशलता से कार्य करना कड़वा विचार त्याग, मुस्कुराते रहना ।१। अनर्गल शब्द वाणी को विराम देते बोलने में गहरे, शब्दों में तोल देते फिजूल विषयों के उलझनों से बचते कर्मठता रखे, जंजाल में नहीं फंसते ।२। विचारों और भावनाओ को ह्रदय से खुलकर अपनी मधुरवाणी में कहते बात वही रखते जिनका मूल्यांकन सम्बोधन की भाषा में, गहरे रचते ।३। कविता की पंक्तियों को रुक रुक कर मीठे मीठे रसीले मधुरवाणी में कहते अंतहीन गहराई की कविताओं में अटल जी ह्रदय से बखूबी सटीक रचते ।४। उच्चतम विचारों में जीने की इछाओ में सीखे जीवन में उच्च कर्म करना बढ़ना अहंकार की भाषाओं में बातें न करना सदा सरलता में सीधे विचारों को रखना ।५। राजनीति जीवन में उतार चढ़ाव के मोड़ वे तनिक ...
भक्तों के घर आती नवदुर्गा
कविता

भक्तों के घर आती नवदुर्गा

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** सिंह पर सवार होकर, नवदुर्गा, शरदकाल के नवरात्रि में जब आती, भक्तों के हर घर, हर आंगन में, ज्योत भक्ति भाव की, नियमित जलाती, देवी की पूजा पद्धति विधिवत करने की चौकी, माता की, भक्तों के घर सज जाती, अन्तर्मन में जगाकर प्रेम भक्ति का भाव विधिवत पूजा अर्चना का भरते भाव, श्रद्धालुओं में उमड़ता, मंत्रो का चाव समझते माता दुर्गा की शक्ति भक्ति भाव, कलश, दीप धूप रख करते भक्ति भाव विनती कर मैया से, जगाओ भक्ति भाव शारदीय दुर्गोत्सव की शुभ पावन बेला सुहावना, होता, भक्तिमय पल अलबेला आनंदित अंतरिम सुखमय मधुरिम भक्तिमय बन जाता, नवरात्रि का मेला मङ्गलमयदायक, प्रेरणादायक दुर्गा मेला विदाई में नम आंखे, खेलते सिंदूर खेला भक्ति गीत संगीत की तान ह्रदय में बजाती भावभक्ति से जगराते की रात जगाती मातारानी के नवरात्रि में शक्...
पितरों का श्राद्ध
कविता

पितरों का श्राद्ध

ललित शर्मा खलिहामारी, डिब्रूगढ़ (असम) ******************** आश्विन का मास पूर्वजों को करते तनमन से याद, करते श्रद्धा से पितरों का तर्पण करते उनका श्राद्ध, पूर्वजो के प्रति परिवारजन में जगाते श्रद्धा पितृपक्ष पर रहता मन मे श्राद्ध करने का विचार, पूर्वजो की श्रद्धा में श्रद्धापूर्वक करते पितृपक्ष की सेवा में श्रद्धा से श्राद्ध, भोजन से पूर्व तनमन से तर्पण गौओ, कोए को करते पहले अर्पण देते पहले ग्रास, पितृपक्ष पूर्वजो का एक सुंदर पर्व पूर्वजो की याद में पन्द्रह दिन तक परिवारजन निभाते अनुभव में करते गर्व, पूर्वजो के बिना अधूरा है जीवन पहचान है पूर्वज उनकी ही देन है उनके ही वंशज यही है अपना जीवन, पूर्वजो के प्रति करते है श्राद्ध समझते रहे है कर्तव्य प्रतिवर्ष करे श्रद्धा से पितरों का श्राद्ध, पितरों को मुक्ति शांति मिले हम परिवारजनों ...