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प्रेम

माधवी मिश्रा (वली)
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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प्रेम का एक कठिन इतिहास
रचा रचना कारों ने आज
मनुज के जीवन का इतिहास
बन गया कल्पित प्रेम प्रकाश

किया है भाषा का श्रिंगार
और काव्यों का जटिल विकास
समर्पित कर डाला माधूर्य
कवि ने कविता मे चुप चाप

प्रेम का दे जीवन्त प्रमाण
प्रकृति की बृहद छटा का राग
इसी मे हरि ने ले अवतार
दिया जन जन को प्रीति पराग

भूमि की मूर्त कल्पना कर
दिया जब माता का सम्मान
तभी से राष्ट्र प्रेम का आज
अभी तक गूँज रहा स्वरगान

कहीं पर देश कहीं पर प्रिया
कहीं माता की स्नेह प्रतीति
कहीं पर वेद कहीं कूरान
सभी सद्गग्रंथो मे ये गीत

प्रेम है वह अनंत सी भेट
दिया विधिने है जिसे समान
मृत्यु से अमर लोक के बीच
बना डाला इसने सोपान

प्रेम है सर्व व्यापी कर्तार
यही है मूर्त रूप साकार
यही पाषाण सदृश्य कठोर
यही निर्झरिणी निर्मल रूप

प्रेम ही स्नेह भक्ति और
प्रणय वेदना व श्रद्धा का रूप
यही है जीव ब्रह्म और माया
शासित शासक शक्ति अनूप।

परिचय :- माधवी मिश्रा (वली)
जन्म : ०२ मार्च
पिता : चन्द्रशेखर मिश्रा
पति : संजीव वली
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए, बीएड, एलएल बी, पीजी डी एलएल, पीजीडीएच आर, एमबीए,।
प्रकाशन : तीन पुस्तकें प्रकाशित अनेक साझा संकलन, काव्य, लेख, कहानी विधा पत्र पत्रिकाओं रेडियो दूरदर्शन पर-प्रकाशन, प्रसारण,अनेक सामाजिक संस्थाओं व संगठनो मे सह भागिता। समाज सेवा
सम्प्रति : वर्तमान मे अंग्रेजी माडल स्कूल की प्रधान शिक्षिका।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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