Sunday, May 12राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

सावित्री

अमिता मराठे
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************

सावित्री ने बाबा को खांसी की दवाई दी और पैरों में तथा छाती पर सरसों के तेल से मालिश की और बोली बाबा अब आराम से सो जाओ। मैं भी सोती हूं। कल से ऑफिस भी जाना है। वह जानती थी बाबा अभी चुप है लेकिन उन्हें बहुत कुछ बोलना है।
बाबा ने कहा, “बेटी थोड़ा और रूक जाओ।”
‘मीठी को छोड़ आई।’ हां कहते वह दरवाजे की ओर जाने लगी। वह रो रही थी ना! नहीं, बाबा शान्त थी लेकिन कहती थी बाबा बहुत याद आयेंगे।
वहां का माहौल कैसा था बेटा?
बाबा आज ही सब सवाल पूछोगे, अभी सो जाओ, कल बातें करते हैं कहते सावित्री ने बाबा को चादर ओढ़ा दी और कमरे बाहर हो गई थी। रात के दो बज रही थी, जाते हुए मीठी ने एक चिट्ठी दी और बोला था, दीदी इसे घर पर पढ़ना। सोचकर भी सावित्री ने चिट्ठी नहीं खोली थी। मुझसे गुस्सा हुई मीठी ने चिट्ठी में मुझे गाली दी होगी और क्या लिखती वह। नींद भी तो आने को राजी नहीं थी। आखिर उसने चिट्ठी खोलकर पढ़ना शुरू किया।
“दीदी मुझे होस्टल में क्यों रखना चाहती हो? यहां फिर से आठवीं में रखना आपने क्यों पसंद किया? क्या मैं मूक-बधिर हूं इसलिए आप मुझे पसंद नहीं करती हो? माँ मुझे बहुत प्यार करती थी, बाबा के तो आंखों का तारा हूं। मेरा एक साल क्यों बिगाड़ना चाहती हो?
नमस्ते दीदी मेरे सवालों का जवाब जरूर देना।
आपकी
मीठी
क्या सचमुच मीठी का साल बिगड़ जायेगा? नहीं उसने टेस्ट में प्रश्नों के उत्तर ठीक नहीं लिखे थे। उसे साइन लैंग्वेज भी आती नहीं है। वह शुरू से ही मीठी से कहती थी पढ़ मेहनत कर। पर वह बेचारी भी क्या करें? मैंने उसकी तरक्की सोची, नींव मजबूत करना चाहा था। मुझे मीठी को बहुत अच्छा बनाना हैं।
हे! भगवान मुझसे कोई भूल न हो। कहते सावित्री ने अपना सिर दिवार से टिका दिया था। आंसू बहना चाहते थे, लेकिन उसकी दृढ़ता तथा लक्ष्य ने बहने से मना कर दिया था। उसका मन खिन्न था। वह छत पर खुली हवा में चली गई थी। रात्रि के सन्नाटे में, शीतल हवा के झोंके में उसकी विचारधारा उतर उतरकर चारों ओर बिखरने लगी।
उसी समय बाबा की खांसी से उसकी तंद्रा भंग हुई। तेजी से नीचे आई। पापा के खांसी का दौरा एक बार जो शुरू होता काफी समय तक चलता था।
सावित्री ने दवाई दी और पीठ सहलाने लगी। जब बाबा सो गये, वह अपने कमरे में आई सोने की कोशिश करने लगी।
मीठी को होस्टल में रखने का निर्णय तो बाबा का ही था। वो अपनी बीमारी के कारण परेशान थे। यह भी पढ़ लिख लेगी तो तेरे जैसी नौकरी करने लगेगी। पापा की इच्छा ही तो थी जो मैंने भी अपना मन पक्का कर लिया था।
मिसेज वर्मा मीठी से प्यार से करती थी। उसने ही तो इस स्कूल का पता दिया था, कहती थी, यहां मीठी का “आल ओव्हर प्रोग्रेस” होगा।
एक महीने में घर का वातावरण बदल गया था। जब से माँ ने हम सबसे बिदाई ली, मैं नौकरी पर लग गई थी। पापा भी रिटायर हो गये थे। लेकिन उन्हें इस फेफड़े की बीमारी ने जकड़ लिया था। माँ और मैं बार बार कहते थक गये थे कि “बाबा सिगरेट बीड़ी आदि सब बन्द कर दो” इंसान को तो उसकी करनी ही सजा देती है।
आज जब वह ऑफिस से घर लौटी तो देखा बाबा के पुराने दोस्त रज्जू भैया बैठे थे। बाबा भी प्रसन्न थे। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, आपकी बड़ी बेटी ने मीठी के बारे में लिया निर्णय एकदम परफेक्ट था। आज पूरे देश में मूक-बधिरों के उत्कर्ष के लिए और उनसे सही कार्य करवाने के लिए तेजी से विकास की योजनाएं बन रही है।
उसने देखा बाबा का चेहरा निश्चिंत हो गया था। उसी समय मीठी के स्कूल से फोन था। “मीठी फर्स्ट युनिट में पास हो गई है, स्कूल प्राचार्या सेकंड युनिट में उसकी तरक्की देखने के बाद नौवीं कक्षा में बिठा देंगी।” आपकी सहमति पर यह संभव हो सकता है।
खबर सुनाते सावित्री की आंखें छलछला आई थी। लेकिन खुशी का ठिकाना भी नहीं था। रज्जू भैया बोले, देख भैय्या सही कहा न मैंने ऐसे बच्चों को उनके समान बच्चों के बीच रखना और उनकी भाषा का ज्ञान देना इनके जीवन की पहली प्राथमिकता है।
अब तीनों ही इतमिनान से बैठ चाय नाश्ता करने लगे।
देखो, बेटी सिफारिश करके आजकल सभी अपना काम करवा लेते हैं।
हां, चाचा मीठी भी और बाबा भी यही चाहते थे कि मैं एक बार स्कूल में जाकर मीठी को आगे की कक्षा में बिठाने की प्रार्थना करूं। लेकिन चाचा मेरे सामने ऐसा विद्यार्थी होता तो मैं तो सिफारिश करने वालों को बाहर कर देती।
संतोष की सांस लेते बाबा ने बस इतना ही कहा “मैं तो बीमार आदमी ठहरा, अब तू ही समझ मीठी का भला बुरा”
चाचा जा चुके थे। दीपावली की छुट्टी पर मीठी को घर लाना था। बाबा की खांसी रूकने का नाम नहीं ले रही थी।
इन लोगों को देखते हुए मेरी जिंदगी का क्या होगा? सोचते सावित्री जैसे ही दरवाजा बन्द करने पहुंची, सामने राहुल को देखा, हेलो देखो बाबा राहुल आये हैं।
आओ! “बेटा बहुत दिनों बाद आये हो।”
हां बाबा, नयी नौकरी है ना समय नहीं मिल पाता। अरे! मीठी कहां हैं? पूछते ही उसकी आंखें मीठी को घर भर देखने लगी। “सच मीठी का रिश्ता सबसे कितना गहरा था।”
राहुल दूर से बाबा के रिश्ते के भाई का बेटा था। चार साल से इसी शहर में था। सावित्री से मन बहलाने आता रहता था। शिक्षित और उम्दा व्यक्तित्व था। अब नौकरी पक्की और अच्छी मिल गई थी तो ख़ुश नजर आ रहा था। बाबा उसके साथ ही सावित्री के हाथ पीले करने का मन बना रहे थे।
मीठी को होस्टल में रखने के विचार का राहुल ने भी स्वागत किया था। मीठी प्रतिभावान है, बाबा बहुत ऊंचाई छूएंंगी चिंता मत करना। राहुल ने उस दिन सावित्री और बाबा के साथ ही भोजन किया था।
दीपावली पर मीठी को राहुल ही लिवा लाये थे। उसकी चपलता, दक्षता, पढ़ाई तथा बराबरी से दीदी को मदद करते हुए देखकर बाबा ने भगवान को शुक्रिया अदा किया और कहा, राहुल अब कितनी भी तेज खांसी आ जाएं कोई चिंता नहीं। राहुल ने सहारा देते हुए बाबा को पलंग पर बिठाया, बस ऐसा ही सहारा देतो रहो राहुल, आखरी इच्छा है सावित्री का हाथ भी थाम लो। पता नहीं कब भगवान बुला ले।
राहुल सहज ही सावित्री की आंखों के भावों को पढ़ने लगे थे। मीठी बाबा के गले मिलकर पास में बैठे संकेतों से बहुत सी बातें समझा रही थी। जिन्हें समझने की चेष्टा में बाबा तल्लीन हो गये थे।

परिचय :- अमिता मराठे
निवासी : इन्दौर, मध्यप्रदेश
शिक्षण : प्रशिक्षण एम.ए. एल. एल. बी., पी जी डिप्लोमा इन वेल्यू एजुकेशन, अनेक प्रशिक्षण जो दिव्यांग क्षेत्र के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में मूक बधिर संगठन द्वारा संचालित आई.डी. बी.ए. की मानद सचिव।
४५ वर्ष पहले मूक बधिर महिलाओं व अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आकांक्षा व्यवसाय केंद्र की स्थापना की। आपका एकमात्र यही ध्येय था कि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। अब तक आपके इंस्टिट्यूट से हजारों महिलाएं सशक्त हो चुकी हैं और खुद का व्यवसाय कर रही हैं।
शपथ : मैं आगे भी आना महिला शक्ति के लिए कार्य करती रहूंगी।
प्रकाशन :
१ जीवन मूल्यों के प्रेरक प्रसंग
२ नई दिशा
३ मनोगत लघुकथा संग्रह अन्य पत्र पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में कहानी, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, आलेख कविताएं प्रकाशित राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था जलधारा में सक्रिय।
सम्मान :
* मानव कल्याण सम्मान, नई दिल्ली
* मालव शिक्षा समिति की ओर से सम्मानित
* श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
* मध्यप्रदेश बधिर महिला संघ की ओर से सम्मानित
* लेखन के क्षेत्र में अनेक सम्मान पत्र
* साहित्यकारों की श्रेणी में सम्मानित आदि


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें...🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *