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उम्मीदों का आसमान

रामसाय श्रीवास “राम”
किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़)

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बीता यह पल जैसा भी,
सहा सभी है हमने।
खट्टे मिठे अनुभव सारे,
किया सभी है हमने।।

जीवन है अनुभव शाला,
सब कुछ यही सिखाता है।
होते हैं नित नई परीक्षा,
समय बदलता जाता है।।
उम्मीदों का आसमान भी,
सदा रखा है हमने
बीता यह पल जैसा भी
सहा सभी है हमने

कभी धूप कभी है छाया,
है यह रीत निराली।
सुख दुख है उसकी माया,
कभी दशहरा दिवाली।।
चार दिन की इस जीवन में,
देखा सभी है हमने
बीता यह पल जैसा भी
सहा सभी है हमने

आए कुछ ऐसे पल भी,
याद रहेंगे जो हमको।
कुछ खोया कुछ पाया है,
भूल नहीं सकते उसको।।
जैसा भी अवसर आया,
उसका मान किया हमने
बीता यह पल जैसा भी
सहा सभी है हमने

उम्मीदों के आसमान में,
सदा उड़ाने भरना।
सीखा है हालातों से,
सदा खुशी से रहना।।
राम लगा आना जाना,
सदा नहीं है रहने
बीता यह पल जैसा भी
सहा सभी है हमने

परिचय :- रामसाय श्रीवास “राम”
निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)
रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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