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अनुपम दोहे

अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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१) दिनन बाड़ बीते जग
सत्य ना दीखो मोए ।
टहरत आऊं मशान तौ
साँचहिं सन्मुख होए।।

२) क्रोधि शील सज्जन चपल
ज्ञानी मूर्ख अनजान।
लेकर सबको जो चलैं।
वो ही चतुर सुजान।।

३) पर परनिंदक को नहीं
अनुपम पाए पार।
कपट, घृणा, छल ईर्ष्या
निंदा कै श्रृंगार।।

४) दूरी इनसन राखिए
जो निज हित की चाह।
दिखैं जहां कर जोड़ कै
तुरत बदल लो राह।।

५) स्वप्न दिखै चितवऊं उहय
‘अनुपम’ तोरो रूप।
हाँसे जग मुझपर स्वयं
लेकर चरित कुरूप।।

६) जे भगतन खैं जो कहैं
तसहिं तुरत तस पाएं।
ज्ञान डरो बौनो जहाँ
भगति बो रस कहलाए।।

७) लंबी रचना का कहूँ ?
जा में शब्द हजार।
दोह बखानत मैं चली
ले ग्रंथन को सार।।

८) पण्डित सो ना बांचिये
जिनके ज्ञान अगाध।
शीश स्वयं के दम्भ अरु
प्रशनन करत हैं घाघ।।

९) हरि से गाढ़ी प्रीति तौ
शास्त्र रटे का काम?
व्यर्थ समय ज्ञानी बनय
भगत करैं नित ध्यान।।

१०) मीरा सूर के सांवरे
तुलसी के भए राम।
रूप अनूपम हरि मोरे
अंतर्मन को ज्ञान।।

११) जगत पिता जगदीश हैं
मैं ना मानूँ बाप।
मोरे हिरदय तो बसे
बलम सरीखे आप।।

परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
पुरस्कार : १४ सितम्बर २०२० हिन्दी दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर मध्य प्रदेश द्वारा अखिल भारतीय कविता सृजन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त।

भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन।
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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