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आजादी अमृत महोत्सव

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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सिर्फ एक कृत्य देशभक्ति का परिचायक कैसे हो
मित्र मतलब बस साथ भ्रमण का याचक कैसे हो

जिन लोगों का आजादी में निज जीवन कुर्बान है
सीमा रक्षा में लड़ते हर शहीद में देश का प्राण है

देश संपत्ति रक्षा वाली सोच नागरिकों की शान है
छात्रों और युवाओं को नैतिकता पाठ दिनमान है

आजादी अमृत महोत्सव भारत का स्वाभिमान है
सच्चे देशभक्तों को विभिन्न अर्थ कर्म का ज्ञान है

लोकतंत्र व्यापकता में निज स्वार्थ चलन कैसे हो
देशभक्त की परिभाषा सिर्फ एक शब्द में कैसे हो।

मित्र मतलब बस साथ भ्रमण का याचक कैसे हो।
सिर्फ एक कृत्य देशभक्ति का परिचायक कैसे हो।

इतिहास गवाह है जब जब बजा तानाशाही तबला
बर्बाद चकनाचूर था परिवार समाज देश का गमला

एक भवन बनाने मेहनत का पर्याय बनाती कमला
त्राहि त्राहि दशा में सड़क पे आ जाती नारी अबला

बड़ी बीमारी से ग्रसित दिखलाते छोटा सा नजला
लोकतंत्र हत्या का दाग लगाकर करते रहते हमला

जनता आशीर्वाद बल को मूर्ख समझना कैसे हो
विश्व समुदाय में राष्ट्रनाम आज शिखर पर कैसे हो

मित्र मतलब बस साथ भ्रमण का याचक कैसे हो।
सिर्फ एक कृत्य देशभक्ति का परिचायक कैसे हो।

सारा विश्व जब देख रहा भारत का अमृत महोत्सव
डाल डाल पर सोने की चिड़िया गान मधुर कलरव

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा का उदघोष देश अवयव
पुराने भारत का अब नए भारत में देख रहे हैं उद्भव

खुशियों के जश्न मध्य नहीं बनाते माहौल पराभव
उत्साह उमंग में देश की आन बान शान का उत्सव

जैसा देश वैसा भेष कहावत सच्चाई सिद्ध कैसे हो
बदले वक्त में हम देखते चौधरी बौखलाहट कैसे हो

मित्र मतलब बस साथ भ्रमण का याचक कैसे हो।
सिर्फ एक कृत्य देशभक्ति का परिचायक कैसे हो।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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