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राष्ट्रीयता के मुक्तक

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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हिन्दू, मुस्लिम एक हैं, सभी एक इंसान।
सिक्ख और ईसाईयत, सब में इक भगवान।
जब सारे मिलकर रहें, तो गुलशन आबाद,
देश प्रगति के पूर्ण तब, होंगे सब अरमान।।

खेतों में जब श्रम करें, हलधर प्रखर किसान।
सीमाओं पर हों डँटे, सारे वीर जवान।
तभी देश आगे बढ़े, जीते हर इक जंग,
तभी बनेगा वास्तव, भारत देश महान।।

भारत माँ का लाल हूँ, दे सकता मैं जान।
गाता हूँ मन-प्राण से, मैं इसका यशगान।
आर्यभूमि जगमग धरा, बाँट रही उजियार,
इसकी गरिमा, शान पर, मैं हर पल क़ुर्बान।।

भगतसिंह, आज़ाद का, अमर सदा बलिदान।
ऐसे पूतों ने रखी, भारत माँ की आन।
जो भारत का कर गए, सचमुच चोखा भाग्य,
ऐसे वीरों ने दिया, हमको नवल विहान।।

जय-जय भारत देश हो, बढ़े तुम्हारा मान।
सारे जग में श्रेष्ठ है, कदम-कदम उत्थान।
धर्म, नीति, शिक्षा प्रखर, बाँटा सबको ज्ञान,
भारत की अभिवंदना, दमके सूर्य समान।।

तीन रंग की चूनरी, जननी की पहचान।
हिमगिरि कहता है खड़ा, मैं हूँ तेरी शान।
केसरिया बाना पहन, खड़े हज़ारों वीर,
अधरों पर जयहिंद है, जन-गण-मन का गान।।

अमर जवाँ इस देश के, भरते हैं हुंकार।
आया जो इस ओर यदि, देंगे उसको मार।
रच डाला इतिहास नव, लेकर कर शमशीर,
दुश्मन का हमने किया, हर युग में संहार।।

परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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