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वो लड़की

अर्चना लवानिया
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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थोड़ा ध्यान पढ़ाई पर भी दिया करो हर थोड़ी देर मैं कक्षा के बाहर जाने का बहाना बनाती रहती हो। पढ़ना लिखना कब सीखोगी? कभी-कभी गुस्से में और ना जाने क्या-क्या कह जाती। शायद उसे पढ़ाई में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी इसलिए वह कभी मेरी स्नेह पात्र नहीं रही। पर उसे तो जैसे मेरी किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था।
उस दिन मुझे सुबह से ही सिर दर्द और बुखार सा महसूस हो रहा था कक्षा में भी अनमने ढंग से कुछ पढ़ाई कराई फिर ज्यादा तबीयत खराब होने लगी तो सर टेबल पर टिका दिया। बच्चे चिंतित होने लगे क्या हुआ मैम ..क्या हुआ…..? कर-कर के फिर अपनी बात और अपने काम में लग गए। भोजन अवकाश में मैं अपने ऑफिस में आकर बैठ गई तो फिर वही लड़की आई मैंने थोड़ा चिढ़कर कहा अब क्या है? खाना खा लो और हम लोगों को भी यहां चैन से बैठने दो। उसने थोड़ा सकुचाते हुए अपनी मुट्ठी आगे की मैंम इसे ले लो। मैंने कहा क्या है इसमें? उसने मुट्ठी खोली शायद कोई दर्द निवारक गोली थी। यह कहां से लाई और क्यों ….? उसने थोडा झिझकते हुए कहा मैम आपकी सुबह से तबीयत ठीक नहीं है तो पास में ही डॉक्टर से पूछ कर लाई हूं आप ले लो आराम मिलेगा। मैं और मेरे सभी शिक्षक साथी उसे देखते रह गए। मुझे तो लगता था कि यह कभी कुछ नहीं समझ सकती कभी कुछ नहीं कर सकती बस उद्दंडता से इधर-उधर घूमना पढ़ाई ना करने के बहाने बनाना बस यही करती रहेगी। दरअसल मेरा पैमाना सिर्फ अक्षर और किताबों तक ही सीमित था और वह इन सब से परे भावनाओं को पढ़ना सीख रही थी।

परिचय :– अर्चना लवानिया
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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