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रामभक्त हनुमान जी

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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चिरंजीवी परमभक्त,
भगवान राम के अनन्य सेवक
बजरंगबली हनुमान जी
का जन्मोत्सव आज है
जिसे दुनिया उनके बारह नामों
हनुमान, अजंनीसुत,
वायुपुत्र, महाबल,
रामेष्ट, फाल्गुण सखा,
पिंगाक्ष, अमित विक्रम,
उदधि क्रमण
सीता शोक विनाशन,
लक्ष्मण प्राणदाता,
दशग्रीव दर्पहा से जानती,
पुकारती है
रोज प्रातः काल इन नामों
का जाप करती है।

तुलसीदास जी ने
जिसे विज्ञानी बताया
जिनके विज्ञान ज्ञान से,
दुनिया आज भी हैरान है।
लंका दहन के लिए
रावण की सभा में
पूंछ को बढ़ाते जाना
अशोक वाटिका में
मां सीता के सामने
अपने लघु और
विशालकाय रुप दिखाना
विशालकाय समुद्र के
पार जाना विज्ञान ही तो था
जिसे रामकथा वाचक मुरारी बापू
विश्वास का विज्ञान मानते कहते हैं

लंका मे सीता जी की खोज,
संजीवनी बूंटी लाकर,
लक्ष्मण की प्राण रक्षा को
विश्वास के विज्ञान से ही जोड़ते हैं।
उनके शील को ही
उनका चरित्र बताते हैं
चरित्रवान को ही
बलवान मानते हैं।

रावण भी युद्ध में राक्षसों को
किसी और की निंदा
करने की छूट देता था
पर हनुमानजी की निंदा से
बचने का आदेश दिया था।
क्योंकि वह हनुमान जी को
शिव का ही रुप मानता था।

हनुमान की पवित्रता दूर्लभ है
तुलसीदास जी ऐसा ही मानते थे
तभी तो वह हनुमान का अर्थ
पावित्रय होना कहते थे
हनुमान काम पावित्रय और
हनुमान मोक्ष को भी
पावित्रय बताते थे।

हनुमान को नीति निपुण,
नीति निर्धारक मानते थे
हनुमान जी के जन्म
ही नहीं कर्म को भी
दिव्य मानकर समझाते थे।

हनुमान का चरित्र हमें
जहां विश्वास भाव के
मायने बताता है
वहीं हमें नकारात्मकता
को पीछे छोड़
सकारात्मक सोच से जीवन
समृद्धि करने का
संदेश भी देता है।

जिसकी हर सांस में
प्रभु श्री राम का नाम है।
वही तो हमारे आपके हम सबके
आराध्य, संकटमोचक, चिरंजीवी
वीर बजरंगबली हनुमान हैं,

जिनका आज जन्मोत्सव
हम मना रहे हैं,
प्रभु राम की कृपा पाने के लिए
उनके परम भक्त हनुमान को
शीष झुका रहे हैं।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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