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रोशनी का त्योंहार

डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
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दीपावली है
रोशनी का त्योहार
इसे मनाये
दिल के अंदर का
अंधेरा हटाये।

दियो से जगमग
रोशनी आती है
मन को प्रफुल्लित
कर जाती है।

किसी गरीब के
घर को भी करें
रोशन करने का प्रयास
तभी सच्ची खुशी का
होगा आपको आभास।

अंधेरो को निगलती
है रोशनी
काश सबके दुखों को
निगल जाय रोशनी।

एक दीपक भी अंधेरे
को खा जाता है।
रोशनी देकर आपके
जीवन में बहार लता है।

इस दीपावली पर
नफरतों के दिये जलाओ
और। खुशियों का
प्रकाश पाओ।

परिचय : डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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