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पानी की कहानी उसी की ज़ुबानी

सरला मेहता
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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पानी रे पानी तेरा रंग कैसा…
रंग पूछ रहे हो मुझसे मेरा। मेरा अपना कोई रंग है ही नहीं। मैं बेरंगा पारदर्शी तरल पदार्थ हूँ। किन्तु मैं परिस्थिति के अनुसार अपना रूप परिवर्तित कर लेता हूँ। उच्चस्तरीय शीतलता पाकर बर्फ़ बन जाता हूँ। ऊष्मा पाकर वाष्प बन जाता हूँ। अपने स्वरूपों में बदलाव लाते हुए रिमझिम वर्षा बनकर धरा को निहाल कर देता हूँ। कभी माँ के गर्भ में समा जाता हूँ तो कभी पिता आसमान की गोद में जा बैठता हूँ। किन्तु मैं अपना उपकारी स्वभाव विस्मृत नहीं करता। और तुम मूर्ख मानव ! अभी तक मुझे समझ नहीं पाए। कब तक करूँ मैं तुम्हारी गलतियाँ माफ़ ? मुझसे ही कुछ सीख लो।
याद करो… सुबह उठने से लेकर तो रात में सोने तक मुझे कितना बर्बाद करते हो। उठते से ही गए वाशबेसिन पर। धड़ाधड़ खोला नल और बहा दिया पूरा आधा बाल्टी। यही काम एक मग से भी हो सकता है। ग्लास भर लिया पीने के लिया और पिया कितना? यही क्रिया तुम दिन में कितनी बार दोहराते हो?
फ़िर स्नान-ध्यान का तो कोई ओर-छोर ही नहीं है। उधर आपका सेवक तमाम वाहनादि धोने में पाइप हाथ में लिए बहाए जा रहा है मुझे सीमेंटेड सड़क पर। कोई राह मिलती तो माँ धरा के आँचल में जा समाता।
अब बहुत हो चुका। तुम्हारी लापरवाइयाँ बरदाश्त से बाहर हो गई है। ठोकर खाकर के तो ठाकुर बन जाते हैं।
लेकिन तुम तो…वही ढाक के तीन पात। सही बात है…जो वस्तु मुफ़्त में मिल जाती है उसका मोल तुम कैसे जानोगे। पचास रुपये लीटर मिलने वाले दूध का उपयोग भी ऐसे ही करोगे?
मेरे रहवासी स्थानों नदियाँ ताल पोखर आदि को भी प्रदूषित व बाधित कर देते हो। मेरे प्राणदायक वृक्षों को भी विकास के नाम पर बेदर्दी से उखाड़ फेकते हो। क्या होगा तुम्हारा भविष्य?
अपने आने वाली पीढ़ियों, अपने बच्चों के लिए ही सोचो। क्या विरासत सौपोगे उन्हें ? मै बेरंग होकर भी तुम्हारी ज़िन्दगी में इंद्रधनुषी रंग भर देता हूँ।
सोचो ज़रा… जैसा तुम करोगे वैसा ही तुम्हारे बच्चे करेंगे। तो आज से ही मेरे संरक्षण व संवर्धन के लिए कमर कस लो। घरेलू उपयोगों में मुझे समझदारी से वापरो। घर की सफ़ाई आदि से बचता हूँ तो उससे सब्जियाँ फ़ल उगाओ और हरियाली बढाओ। जल जंगल व ज़मीन प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा का संकल्प लो वरना मेरा कोई विकल्प नहीं है।
मैं हूँ तो तुम हो और तुम्हारा कल है। जागो और जगाओ भी।

परिचय : सरला मेहता
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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