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प्राण प्रतिष्ठा और दुष्ट आत्माएं

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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आज एक बार फिर यमराज का
बिना किसी सूचना के
मेरे घर आगमन हुआ,
मैं पहले से ही दुखी था,
अब और दुखी हो गया
जैसे किसी ने मेरे घावों
पर नमक रगड़ दिया।
मैं कुछ कहता सुनता
उससे पहले शायद उसने
मेरे दर्द को महसूस कर लिया
और बड़े आत्मीय भाव से
कहने लगा, प्रभु! आप
परेशान हो मुझे पता है
पर आपकी परेशानी का
सीधा सा उत्तर मेरे पास है।
मैंने संयम बनाए रखा
और बड़े प्यार से कहा
यूं तो मैं परेशान बिल्कुल नहीं हूँ
फिर भी तुम्हें यदि ऐसा लगता है
तो तुम ही बता दो, मेरी
परेशानी का हल दे दो।
यमराज बोला-मुझे चेहरा
और मन पढ़ना आता है
यह अलग बात है
कि मेरा राम मंदिर,
निमंत्रण और राजनीति से
दूर-दूर का नहीं नाता है।
मैं बस रामजी को और
रामजी मुझे जानते हैं
मेरी वजह से थोड़ा-थोड़ा
आपको भी पहचानते हैं,
फिर भी आप अबोध
बच्चे की तरह कुछ
नहीं जानते हो,
बस एक खिलौने को ही
पूरी दुनिया मानते हो।
अब मेरी बात ध्यान से सुनिए
और बीच में टोकने के
अपराध से बचिए,
वरना सब गुड़
गोबर हो जायेगा
आपकी परेशानी का हल
मेरे दिमाग में गुम हो जाएगा।
मैं झुंझलाया पर
कुछ बोल नहीं पाया
आप भी सुनिए यमराज
ने जो मुझे बताया
उसने हाथ जोड़कर
शीश झुकाया
शायद प्रभु श्रीराम को
याद कर प्रणाम किया
और आंख बंदकर
कुछ यूँ कहने लगा
आज जब राम और राम मंदिर
की चहुंओर चर्चा है
प्राण प्रतिष्ठा की विलक्षण
तैयारियां चल रही है
देश विदेश की नजरें बाइस जनवरी
सन् दो हज़ार चौबीस पर टिकी हैं
ऐसे में दुष्ट आत्माओं
के लिए भी यह विशेष अवसर है।
तभी तो कुछ लोग
निमंत्रण की प्रतीक्षा में हैं,
और कुछ निमंत्रण
पाकर भी उपेक्षा कर रहे हैं
नहीं आने की बात कहकर
जैसे रामजी पर बड़ा
अहसान कर रहे हैं।
तो कुछ सिरफिरे राम
और राम मंदिर ही नहीं,
हिंदूओं और सनातन धर्म
को निशाना बना रहे हैं
पानी पी पीकर अनर्गल
प्रलाप कर रहे हैं
बेसिर पैर के तर्क,
सबूत पेश कर रहे हैं
शायद जनता को सबसे बड़ा
बेवकूफ समझ रहे हैं।
पर सच में वे सब खुद
बेबकूफ बन रहे हैं
रावण की तरह
बड़ा दंभ भर रहे हैं
अपने आपको
मायावी दुनिया का
स्वयंभू शहंशाह समझ रहे हैं
रोज-रोज अपने रंग
बिरंगे चोले बदल रहे हैं
खुद को राम रहीम
का अवतार समझ
राक्षसी प्रवृत्ति का
शिकार हो रहे हैं,
राम जी के धैर्य का वे
इम्तिहान ले रहे हैं
ऐसा करके वास्तव में वे
बड़ा नेक काम कर रहे हैं।
और आप बेवजह
खुद को दुखी कर रहे हैं।
क्योंकि वे सब तो
मोक्ष पाने की लालसा में
राम जी को अपने
विनाश के लिए उकसा रहे हैं,
और राम जी मर्यादा
में रहते हुए भी
उन सबके पुनर्वास
का विचार कर रहे हैं।
उससे पहले उन सबको
उछलकूद करने का
एक बड़ा अवसर
आज भी दे रहे हैं।
फिर भी वे रामजी को
जाने क्या क्या कह रहे हैं,
राम और राम मंदिर की
आड़ में धर्म संस्कृति
और सभ्यता को जी भरकर
गालियां दे रहे हैं।
दरअसल इसमें उनका
तनिक भी दोष नहीं है,
दोष उनके कर्मों, उनकी
राक्षसी प्रवृत्तियों का है
उसी के अनुरूप ही वे
सब आचरण कर रहे हैं
क्योंकि राम की शरण में
जाने से डर रहे हैं
इसलिए राम कृपा पाने के लिए
अपने अपने ढंग से
सब जतन कर रहे हैं
और आप जैसे राम भक्त
यह समझ नहीं पा रहे हैं।
लेकिन लोग तो ये बात
बहुत अच्छे से समझ रहे हैं
चुपचाप रामकाज में
खुद को भूले जा रहे हैं
किसे निमंत्रण मिला किसे नहीं,
कौन आयेगा कौन नहीं आयेगा
इसकी चिंता कहाँ कर रहे हैं,
सब कुछ राम जी इच्छा मान
अपना सारा ध्यान
श्रीराम जी की भव्य प्राण प्रतिष्ठा
और बाइस जनवरी की
तैयारियों पर लगा रहे हैं,
सभी राम भक्त
अपना अपना काम
बड़े मनोयोग से
चुपचाप कर रहे हैं
इससे ज्यादा कुछ
करने का राम जी
अपने भक्तों को
अवसर ही कहाँ दे रहे हैं?
और राम विरोधियों
को अपने रामजी ही
आसुरी शक्तियों के
मकड़जाल में उलझाकर
रामकाज से दूर रखने का
इंतजाम करते जा रहे हैं,
यह और बात है कि
राजनीति की ओट में
राम विरोधी यह बात
समझ नहीं पा रहे हैं
या राम जी उन्हें
समझने ही नहीं दे रहे हैं।
अब यह बात राम जी से
पूछने की आप तो क्या
हम भी हिम्मत
कहाँ कर पा रहे हैं?
इसलिए हे प्रभु!आप
मेरा नमस्कार, प्रणाम लो
और सारा ध्यान राम काज पर दो
हम भी वापस अपने
काम पर जा रहे हैं
क्योंकि यमलोक में भी
तो धरती की तरह
प्राण प्रतिष्ठा के भव्य
इंतजाम हो रहे हैं।
जय श्री राम जय जय
श्री राम नाम की गूँज
वहां की फिजाओं में भी तैर रहे हैं,
आखिर हमारे आपके
हम सबके राम जी
अपने धाम जो पधार रहे हैं।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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