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नाक रगड़ना

अमिता मराठे
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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अबे साले, आज भी तूने स्कूल के सामने खड़े होकर लड़कियों को छेड़ा। तुझे शर्म आनी चाहिए। कुछ उम्र का तो लिहाज रखता, कहते हवलदार ने आव देखा न ताव, हाथ का डंडा पीठ पर दे मारा।
वह हे राम ! कहते, लड़खड़ाते नीचे गिर पड़ा।
अब राम याद आ रहा है। घूरकर देखते समय आंखें निकाल लेता, मारने के लिए हवलदार के हाथ का डंडा ऊपर ही रह गया। सोहन ने हाथ पकड़ कर कहा, देखो हवलदार साब आप सही नहीं है, जानकारी पूरी लेकर हाथ चलाना चाहिए। सोहन गुरुकुल का समझदार लड़का था।
प्यारेलाल फटेहाल प्रौढ़ था। वह अक्सर स्कूल से घर जाती बालिकाओं पर नजर इसलिए रखता था कि, कहीं मनचले लड़के तंग न करें।
चल जा, “बड़ा आया अपनी ताक़त दिखाने वाला। तुम्हें क्या मालूम ये आदमी कैसा है।” सोहन को झटककर बाजू में कर दिया। प्यारेलाल ने हवलदार के सामने ख़ूब नाक रगड़ी, लेकिन उसने उसे छोड़ा नहीं।

परिचय :- अमिता मराठे
निवासी : इन्दौर, मध्यप्रदेश
शिक्षण : प्रशिक्षण एम.ए. एल. एल. बी., पी जी डिप्लोमा इन वेल्यू एजुकेशन, अनेक प्रशिक्षण जो दिव्यांग क्षेत्र के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में मूक बधिर संगठन द्वारा संचालित आई.डी. बी.ए. की मानद सचिव।
४५ वर्ष पहले मूक बधिर महिलाओं व अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आकांक्षा व्यवसाय केंद्र की स्थापना की। आपका एकमात्र यही ध्येय था कि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। अब तक आपके इंस्टिट्यूट से हजारों महिलाएं सशक्त हो चुकी हैं और खुद का व्यवसाय कर रही हैं।
शपथ : मैं आगे भी आना महिला शक्ति के लिए कार्य करती रहूंगी।
प्रकाशन :
१ जीवन मूल्यों के प्रेरक प्रसंग
२ नई दिशा
३ मनोगत लघुकथा संग्रह अन्य पत्र पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में कहानी, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, आलेख कविताएं प्रकाशित राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था जलधारा में सक्रिय।
सम्मान :
* मानव कल्याण सम्मान, नई दिल्ली
* मालव शिक्षा समिति की ओर से सम्मानित
* श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
* मध्यप्रदेश बधिर महिला संघ की ओर से सम्मानित
* लेखन के क्षेत्र में अनेक सम्मान पत्र
* साहित्यकारों की श्रेणी में सम्मानित आदि
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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