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स्पर्श

शिवदत्त डोंगरे
पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
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सुनो
ऐसा स्पर्श दे दो मुझे,
संवेदना की
आख़िरी परत तक,
जिसकी पहुँच हो.

ऐसा स्पर्श दे दो मुझे,
जिसकी निर्मल चेतना.
घेरे मन और मगज़ हो.

ऐसा स्पर्श दे दो मुझे,
जिसकी मीठी वेदना,
अंतर्मन की समझ हो.

ऐसा स्पर्श दे दो मुझे,
जिसके पार तुम्हें देखना,
मेरे लिए सहज़ हो.

ऐसा स्पर्श दे दो मुझे,
जिसकी अनुभूती के लिए.
उम्र भी एक महज़ हो.

ऐसा स्पर्श दे दो मुझे,
जिसमें सूर्य सी उष्मा हो
जिसमें चांद सी शीतलता
जिसमें ध्यान की आभा हो
जिसमें प्रेम की कोमलता
जिसमें लोच हो डाली सी
जिसमें रेत हो खाली सी
जिसमें धूप हो धुंधली सी
जिसमें छाँव हो उजली सी
जो तन मन को दे उमंग नयी
जो यौवन को दे तरंग नयी
जो उत्सव बना दे जीवन को
जो करूणा से भर दे इस मन को
ऐसा स्पर्श दे दो मुझे….

परिचय :- शिवदत्त डोंगरे (भूतपूर्व सैनिक)
पिता : देवदत डोंगरे
जन्म : २० फरवरी
निवासी : पुनासा जिला खंडवा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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