Monday, May 20राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

यत्र नारयस्तु पुजयन्ते रमन्ते तत्र देवता

संजय डुंगरपुरिया
अहमदाबाद (गुजरात)
********************

युगों-युगों से भारतीय परंपरा में स्त्री को पूजनीय बताया और माना गया। फिर क्यों बार-बार ऐसे उदाहरण है जब पुरुष ने स्त्री को एक वस्तु की भांति त्याग दिया, अपमानित किया या इस्तेमाल किया। स्त्री को नरक का द्वार तक बता दिया गया है।
ऋषि गौतम ने श्राप दे दिया अहिल्या को और वो पत्थर हो गयी। अरे श्राप देना था तो इंद्र को देते जो गौतम का रूप बना कर अहिल्या के साथ व्यभिचार करता रहा। अहिल्या को तो पता भी नही था की वो इंद्र है। सूर्पनखा द्वारा प्रणय निवेदन करने पे लक्ष्मण उसकी नाक काट देते हैं। जबकि राक्षस कुल में उत्पन्न सूर्पनखा कोई गैर पारंपरिक निवेदन नही कर रही थी। इनकार कर देते नाक काटने की क्या ज़रूरत थी।
रावण अशोक वाटिका में सीता को कहता है की मंदोदरी आदि सभी रानियाँ तुम्हारी अनुचरी करेंगी अगर सीता उसका वरण कर ले। एक धोबी के उलाहना देने पे रामजी ने सीता को त्याग दिया जबकि सीता तो अग्निपरीक्षा से भी गुजर चुकी थी।
महाभारत काल में दुर्योधन द्रोपदी को पांच नही १०५ की पत्नी बनने को कह के अपमानित करता है। लेकिन युधिष्ठिर द्रोपदी को वस्तु की तरह जुए में कैसे दांव पे लगा सके। इसके बाद कृष्ण ने कर्ण को पांडव पक्ष में शामिल होने के लिए लालच भी दिया की द्रोपदी छह पतियों की पत्नी बनेगी अगर वो पांडव पक्ष में आ जाएं।
वर्तमान में भी कहने को पूजनीय देवी है लेकिन हर वस्तु के विज्ञापन के लिए स्त्री शरीर का इस्तेमाल जिस तरह हो रहा है सोचनीय है।

परिचय :- संजय डुंगरपुरिया
निवासी : मनीनगर, अहमदाबाद (गुजरात)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *