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भारत का लक्ष्य युद्ध नहीं २०४७ तक विकसित भारत बनना

नारद जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में आपरेशन “सिन्दूर: भारत का सामर्थ्य”
विषय पर बोले पूर्व भारतीय सैन्य सचिव सिंघू

* भारत का लक्ष्य युद्ध नहीं २०४७ तक विकसित भारत बनना
* भारतीय सैन्य शक्ति दुनिया की तीसरी बड़ी सैन्य शक्ति

इंदौर। विश्व को भारत के सामर्थ्य का अनुमान था, लेकिन आपरेशन सिंदुर में उसे सभी देशों ने देख भी लिया। विश्व के देश भारत की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करते है, लेकिन भारत की शक्ति को, भारत के सामर्थ्य को कम नहीं कर सकते है। आज भारत की सैन्य शक्ति देखकर दुनिया अचंभित है। भारतीय सैन्य शक्ति दुनिया की तीसरी बड़ी सैन्य शक्ति है, जिसकी शक्ति आपरेशन सिंदुर में विश्व ने देखी। पहलगाम हमला वास्तव में भारत को चुनौती थी, जिसका भारत ने करारा जवाब दिया। आपरेशन सिंदुर में भारत सौ प्रतिशत सफल रहा। युद्ध विराम भारत की कुटनीतिक विजय है। भारत कभी भी युद्ध नहीं चाहता है। भारत का लक्ष्य युद्ध नहीं २०४७ तक विकसित भारत बनना है।
यह बात भारतीय सेना के पूर्व सैन्य सचिव एवं जम्मू कश्मीर के १५ वीं कोर के पूर्व कमाण्डर लेफ्टिनेंट जनरल जसविंदर सिंह संघू ने कही। आप रविवार को देवर्षि नारद जयंती समारोह में “आपरेशन सिन्दूर: भारत का सामर्थ्य” विषय पर सम्बोधित कर रहे थे। श्री संघू ने कहा कि पहलगाम में आंतकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमले किये। भारत का इरादा पाकिस्तान पर हमला करना नहीं था, लेकिन जब रात में ही पाकिस्तान की ओर से हमले हुये तो भारत को जवाबी कार्रवाई करना पड़ी। हमेशा की तरह आज भी भारत युद्ध नहीं चाहताा है, लेकिन दुश्मनों के हमलों का जवाब तो देना ही होगा। आने वाले दिनों में भी यदि पाकिस्तान की ओर से हमले होते है, तो भारत युद्ध जारी रखेगा। भारत ने युद्ध को विराम दिया है, युद्ध बंद नहीं किया है। भारत के पास सैनिकों और हथियारों की कमी नहीं है। श्री सिंधू ने कहा, भारत का उदेद्श्य २०४७ तक भारत को विकसित देश बनाना है। युद्ध केवल सैन्य पंक्तियों से नहीं लड़े जाते है, बल्कि युद्ध के भी अलग-अलग तरीके होते है, जिसे देशहित में देखना होता है। भारत को आने वाले दिनों में अपनी अर्थव्यवस्था को, अपनी शक्ति को बढ़ाना है। नई तकनीक को उन्नत करना है, ताकि भारत विश्व का सबसे शक्तिशाली देश बन सके। आज वह देश सबसे शक्तिशाली है, जिसने अर्थव्यवस्था और तकनीक में खुद को आगे रखा है। भारत का लक्ष्य भी विकास के मार्ग पर चल कर शक्तिशाली बनना है, न की युद्ध करना। जो शक्तिशाली देश होगा, वही विजयी देश भी होगा। युद्ध के अलावा भी कई विकल्प है शक्तिशाली बनने के।
श्री सिंघू ने कहा कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार है, लेकिन उसका उपयोग आसान नहीं है। पाकिस्तान जानता है कि यदि परमाणु शक्ति का उपयोग किया गया तो नुकसान उसका भी होगा। वह यह भी जानता है कि भारत भी परमाणु शक्ति संपन्न देश है। पाकिस्तान, भारत की शक्ति को जानता है, इसलिये युद्ध की स्थिति में वह अमेरिका की ओर भागा। पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए श्री सिंघू ने कहा कि पाकिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व का दबाव सेना पर था, जिस कारण उसे पहलगाम जैसी घटना करनी पड़ी। वास्तव में पाकिस्तान की सेना दबाव में थी। इसके साथ ही कई कारण थे, जिस कारण पाकिस्तान की सेना को पहलगाम में आतंकी हमला करना पड़ा। 370 हटने के बाद भी कश्मीर में हालात तेजी से सुधर रहे है। कश्मीर में पर्यटन से फायदा हो रहा है और वहां की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हो रहा है। यह बात पाकिस्तान को रास नहीं आ रही है। कश्मीर को लेकर भारत की नीति को असफल करने के लिये भी पहलगाम में आतंकी हमला किया गया। वास्तव में पाकिस्तान कश्मीर को कमजोर करना चाहता है।
श्री सिंघू ने कहा कि पाकिस्तान, भारत में हिन्दू-मुस्लिमों के बीच में दरार पैदा करना चाहता है, ताकि दोनों में समन्वय की कमी हो और अविश्वास की भावना पैदा हो। पाकिस्तान हमारी आन्तरिक स्थिति को कमजोर करना चाहता है। इसी को ध्यान में रखते हुए पहलगाम आतंकी हमला किया गया। कश्मीर में सुधर रहे हालात पाकिस्तान को अच्छे नहीं लग रहे है। भारत को लेकर पाकिस्तान की नीयत साफ नहीं है। श्री सिंधू ने कड़े शब्दों ने चेतावनी दी कि यदि पाकिस्तान इसी रास्ते पर चलता रहा तो आने वाले समय में भारत भी कठोर कदम उठायेगा। भारत इससे भी ज्यादा शक्ति से इसका जवाब देगा। पीओके पर भारत के कब्जे को लेकर श्री सिंघू ने कहा कि पीओके पर कब्जा के लिये भारत हथियार और नीति स्तर पर सक्षम है। कारगिल के बाद पहलगाम मामले में विश्व हमारी शक्ति को देख चुका है। हालाँकि युद्ध के अलावा भी कई रास्ते है, जिससे किसी हिस्से को जीता जा सकता है। पीओके तो वैसे भी भारत का ही हिस्सा है। आने वाले समय में यह भी संभव है कि भारत को पीओके के लिये कुछ करना ही नहीं पड़े और पाकिस्तान खुद की कई हिस्सो में टूट जाए। वास्तव में यह विचारधाराओं की लड़ाई है और पूरे पाकिस्तान को जीतने के लिये महाभारत होगा, लेकिन इसके लिये समय का इंतजार करना होगा। आपने कहा कि, भारत के इतिहास को देखे तो पता चलता है कि भारत की टूट आंतरिक कारणों से हुई थी। आज भी हालात वहीं है। भारत को आंतरिक दुश्मनों को भी देखना होगा। बाहरी शक्तियां जितनी बड़ी है, उतनी ही बड़ी आंतरिक शक्तियां भी है।
भारत के युद्ध विराम पर श्री सिंघू ने कहा, युद्ध विराम को कुटनीतिक दृष्टि से देखना होगा। युद्ध रोककर भारत कुटनीति स्तर पर विजयी हुआ है। सरकार का स्पष्ट कहना था कि कुटनीति केवल और केवल देशहित में ही होना चाहिये। आपरेशन सिन्दूर में भारत की कुटनीति सफल रही। आपरेशन सिन्दूर में महिला सैन्य अधिकारियों की भूमिका पर श्री सिंघू ने कहा कि भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। समय के साथ सेना में महिलाओं की भूमिका बढ़ रही है, जिस पर गर्व किया जाना चाहिये। ३० मई २०२५ को महिला सैन्य अधिकारियों की पूरी बैच का प्रशिक्षण पूरा हो रहा है। यह बैच भारत की पहली बैच होगी, जिसमें सभी अधिकारी महिलाएं ही है। आयोजन की सूत्रधार आकाशवाणी की वरिष्ठ उद्घोषिका श्रीमती सुधा शर्मा थी । एसजीएसआईटीएस के गोल्डन जुबली आडिटोरियम में समारोह का आयोजन विश्व संवाद केंद्र, मालवा प्रांत, इंदौर प्रेस क्लब, रेनसां विश्वविद्यालय और पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला, देअविवि के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। दीप प्रज्ज्वलन और पण्डित दीपक द्वार नारद स्तृति के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। अतिथि परिचय मेजर सौरभ शर्मा ने दिया। आयोजन की प्रस्तावना प्रेस क्लब अध्यक्ष श्री अरविंद तिवारी ने प्रस्तुत की।
इस अवसर पर विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष श्री दिनेश गुप्ता, इन्दौर प्रेस क्लब अध्यक्ष श्री अरविंद तिवारी, रेनसां समूह के श्री स्वप्निल कोठारी, पत्रकारिता विभाग की श्रीमति सोनाली नरगुंदे, एसजीएसआयटीएस के निदेशक श्री नितेश पुरोहित के साथ ही इन्दौर के अनेक पत्रकार तथा समाज के प्रबुद्धजन उपस्थित थे।


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