
डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
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क्या कड़वे पौधे से मीठे फल आ सकता है? जी हां धैर्य एक कड़वा पौधा है पर फल हमेशा मीठे ही आते है। अपना बैंक बैलेंस देखकर खुश मत होइए जनाब, ऊपर वाला हिसाब तो आपके कर्मों का करेगा। चार लोग क्या कहेंगे? अक्सर कोई भी काम करने से पहिले हम सोचते है। चार लोग आपकी आपकी तेरहवीं पर कहेंगे “पूड़ी गरम लाना।” इसलिए उन चार लोगों में अपना अमूल्य समय बर्बाद न करें अपने कार्य में व्यस्त रहें।
समय सबसे बलवान है। आप कुछ भी योजना बना ले पर होता वही है जो समय चाहता है। एक महिला सरकारी कार्यालय पहुंची और विधवा पेंशन का फार्म भरने लगी क्लर्क ने पूछा आपके पति को मरे कितना समय हुआ है? महिला ने बताया वो अभी बीमार है। फिर आप विधवा पेंशन का फार्म क्यों भर रही है?
अरे भाई सरकारी काम में बहुत समय लगता है। जब तक मेरी पेंशन पास हो जायेगी तब तक शायद वो भी इस दुनियां में नहीं रहेंगे। महिला को जब घर में थकान लगती है तो वह मायके चली जाती है परन्तु पुरुष बेचारे कहां जाय? उन्हें तो अपने घर में ही रहना है।
आपकी खुशियों में वे लोग शामिल होते है जिन्हें आप चाहते है और आपके ग़म में वो लोग शामिल होते है जो आपको चाहते है।इसलिए हमेशा अपने चाहने वालों का हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए। इसी प्रकार दीपावली के वक्त जो लोग हमे सलाम करते है उनको हम हल्दीराम की सोनपापड़ी देते है और जिनको हम सलाम करते है उनको काजू कतली देते है। रिश्तों की बारिश में बहुत संभाल कर चलिए क्योंकि इसका रैंनकोट बाजार में नहीं मिलता है। रिश्ते के तालों को क्रोध के हथौड़ों से नहीं बल्कि प्रेम की चाभी से खोले क्योंकि प्रेम की चाभी से खुला ताला बार-बार कम आता है और हथौड़े से खुला ताला बाद में बेकार हो जाता है।
सुखी ग्रहस्थ जीवन की यही पहचान है कि पत्नी शादी के बाद मोटी होने लगती हैं और पति टकला होने लगता है। जब चाय को दोबारा गर्म करते है और जब हम रिश्तों में समझौता करते है तो दोनों की मिठास पहिले जैसे नहीं होती है। भगवान ने हमे एक मुंह और दो कान इसलिए दिए है कि कम बोलना है और अधिक सुनना है हर बदलती हुई चीज हमें अच्छी लगती हैं मगर दोस्त हमें पुराने हो अच्छे लगते है अमेरिका प्रगतिशील क्यों है? इसकी वजह भारत है क्योंकि हमारे देश में आरक्षण वालों को पहिले नौकरी मिलती है और बाद में जो योग्य लोग बिना नौकरी के बचते है वो अमेरिका चले जाते है।
वे खुद रहते थे अंधेरे में
बेटे का नाम जनरेटर रख गये।
खुद तो चले गये स्वर्ग में
मुसीबत सबके लिए छोड़ गये।
परिचय : डॉ. प्रताप मोहन “भारतीय”
निवासी : चिनार-२ ओमेक्स पार्क- वुड-बद्दी
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करता हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।
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Very nice written Satrangi Duniya by dr. Pratap Mohan Bhartiya